चीन ने 21 नवंबर 1962 की रात एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा कर दी। इसके बाद रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन ने सरकार से इस्तीफा दे दिया। कुलदीप नैयर ने एक बार उनसे पूछा कि वे देश के सामने अपना पक्ष क्यों नहीं रखते। उन्होंने जवाब दिया, “मेरी कहानी मेरे सीने में दफन रहनी चाहिए और मेरे साथ ही खत्म हो जानी चाहिए। मुझे नेहरू को कसूरवार ठहराना पड़ेगा, लेकिन उनके प्रति अपनी वफादारी के कारण मैं ऐसा नहीं करना चाहता।

हर समस्या का समाधान थे मेनन

कृष्ण मेनन को कभी ‘रासप्यूटिन’, ‘ईविल जीनियस’, ‘फ़ॉर्मूला मैन’ और ‘वर्ल्ड्स मोस्ट हेटेड डिप्लोमैट’ सरीखे नामों से बुलाया जाता था। मेनन, पंडित जवाहरलाल नेहरू के बहुत करीबी थे। लेकिन शीत युद्ध के दौरान अमेरिकी खेमे में मेनन की ज्यादा फजीहत हुई। ब्रिटिश उनके कम्युनिस्ट प्रेम और अक्खड़पन से इस कदर चिढ़े हुए थे कि जब वो ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त थे, उन्होंने सारे कूटनीतिक नियमों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ उनके फोन टैप करते थेे बल्कि चोरी छिपे खत भी पढ़ते थे। मेनन हीरो तब बने जब उन्होने 1957 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर आठ घंटे लंबा भाषण दिया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अपनी पुस्तक ‘अ चीकर्ड ब्रिलियंस द मैनी लाइव्स ऑफ वीके कृष्ण मेनन’ में लिखा है कि ‘ 1952 से लेकर 1957 तक कृष्ण मेनन को ‘फॉर्मूला मेनन’ कहा जाता था। कहीं भी कोई समस्या हो कोरिया में, अफ़्रीका में, कांगो में, स्वेज़ में, हर जगह मेनन की ही मांग उठती थी। उन्हें ही बुलाने के लिए कहा जाता था। 1957 में उन्होंने सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर आठ घंटे का भाषण दिया। चार घंटे एक दिन और फिर चार घंटे दूसरे दिन। इस भाषण के तुरंत बाद वो बेहोश होकर गिर पड़े और उन्हें होश में लाने के लिए तत्काल डॉक्टरों के एक दल को बुलाना पड़ा। तब तक लोग मान कर चलते थे कि संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीर पर पाकिस्तान का केस बहुत मजबूत है, लेकिन कृष्ण मेनन ने अपने भाषण से पूरा नक्शा बदल दिया और भारत का केस मज़बूत हो गया।

इस भाषण के बाद वो राष्ट्रीय हीरो बन गए। जब वो मुंबई के सांताक्रूज़ हवाई अड्डे पर उतरे तो कश्मीरियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई से बहुत बड़ी जीत हासिल की और वहां से जीत कर लोकसभा पहुंचे। चुनाव में उन्होंने एक दिन भी प्रचार नहीं किया, उनके चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी उठाई बलराज साहनी, ख़्वाजा अहमद अब्बास, राज कपूर, नूतन, नर्गिस, देवानंद और दिलीप कुमार ने।

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