Ameen Sayani: बहनो और भाइयो, बुधवार की शाम है, आठ बज चुके हैं, बिनाका गीतमाला में आपका दोस्त अमीन सयानी आपका स्वागत करता है…..याद कीजिए 70-80 का दशक…हर कोई रेडियो सीलोन के इस प्रोग्राम का इन्तजार करता था।
हर सुननेवाला एंकर अमीन सयानी को अपना सबसे बड़ा दोस्त समझता था जो हर सप्ताह अपने पसन्दीदा गानों को क्रम से सुननेवालों को बताया करता था। न जाने अमीन सयानी की आवाज ने कितने दोस्त बनाए।
रेडियो श्रव्य माध्यम है और उसमें आवाज के जादू से ही सुननेवाले खिंचे चले आते थे। कहते हैं कि देवकीनन्दन पांडे की खनकदार आवाज को सुनने के लिए ही अनेक लोग आकाशवाणी पर समाचार सुना करते थे। ठीक उसी तरह जिस तरह अमीन सयानी की चुहलभरी आवाज या तबस्सुम की पारदर्शी हंसी सुनने के लिए लाखों-करोड़ों लोग बुधवार को रात आठ बजते ही शॉर्टवेव के 25 और 41 मीटर बैंड पर रेडियो की सुइयों का रेडियो सीलोन से मिलान करने लगते थे।
रेडियो सीलोन यानी श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग के विदेश विभाग के इस कार्यक्रम का अमीन सयानी की आवाज के साथ ऐसा रिश्ता था कि अगर किसी हफ्ते किसी कारणवश वे उस कार्यक्रम की एंकरिंग नहीं करते थे तो सुननेवालों को वह कार्यक्रम बेजान लगता था। उनकी आवाज के सहारे यह कार्यक्रम रेडियो पर करीब 40 वर्षों तक चला।
बाद में जब टी.वी. पर काउंटडाइन शो दिखाए जाने लगे तब उसकी लोकप्रियता जरूर कम हुई। बाद में उसको प्रायोजित करनेवाली कम्पनी बिनाका का नाम बदलकर सिबाका हो गया। इसलिए तकनीकी कारणों से इस कार्यक्रम का नाम भी बदलकर बिनाका गीतमाला की जगह सिबाका गीतमाला कर दिया गया। बाद में यह आधे घंटे के कार्यक्रम के रूप में आकाशवाणी के विविध भारती पर प्रसारित होने लगा। इन सारे बदलावों के बीच एक सन्तोष की बात यह रही कि अमीन सयानी की चुहलभरी आवाज उसके साथ बनी रही।
बिनाका गीतमाला की इस कहानी से यह पता चलता है कि एंकर की आवाज का क्या महत्त्व होता है। बुधवार को रेडियो की दुनिया के जादूगर का निधन हो गया। अमीन सयानी ने मुंबई में आखिरी सांस ली।