bihar election 2025
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वोटर अधिकार यात्रा क्या गुल खिलाएगी? यह बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा

vidhu shekhar

Bihar election 2025: देश की युवा राजनीति के ‘तीन तिलंगे’… राहुल, अखिलेश और तेजस्वी, सत्तारूढ़ सरकार को देश की राजनीति से उखाड़ फेंकने में लगे हुए हैं। वो लगातार बिहार में रैलियां कर रहे हैं और बिहार की जनता को बता रहे है कि उनका वोट चुराया जा रहा है। वोटर लिस्ट से उनका नाम काटा जा रहा है। जनता को उनके मतदाता अधिकार से दूर किया जा रहा है। बिहार के तेज़… पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, पटना के गांधी मैदान में मोदी और नीतीश पर जमकर बरसे।

उन्होंने “नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह कहा।“ उन्होंने कहा कि “इस बार बिहार की जनता नीतीश की सरकार को उखाड़ फेंकेगी। उनके डीएनए में लालू का खून है। लालू जी ने आडवाणी को गिरफ्तार किया था, तो उनका बेटा मोदी से डरेगा।“ दरअसल वो कहना चाहते थे कि लालू ने आडवाणी को गिरफ्तार किया था और वो मोदी को गिरफ्तार करेंगे, लेकिन उन्हें याद आ गया कि वो फिलहाल न तो बिहार के सीएम हैं और न ही डिप्टी सीएम हैं, तो उन्होंने सुधार कर कहा कि “वो मोदी से नहीं डरते। ये सरकार बोलने वाले को डरा रही है। उन पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। वो कृष्ण के वंशज है, जेल और केस से उनका पुराना नाता है।“

उन्होंने आगे कहा कि “गुजरात में फैक्ट्री लग रही है और वोट बिहार में मांगा जा रहा है। ये नहीं चलेगा। बिहार की जनता समझ चुकी है। वो इसबार एनडीए की सरकार को बदलकर मानेगी।“ वोटर अधिकार यात्रा के समापन पर तेजस्वी ने राहुल गांधी के साथ मंच साझा किया। इस रैली में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी मौजूद थे। उन्होंने तेजस्वी के काम की तारीफ़ की और बीजेपी को चुनाव से बाहर करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि “पहले अवध में हराया, अब मगध में हराएंगे। बिहार का संदेश, पूरे देश में जाएगा”  

 वोटर अधिकार यात्रा…आग़ाज़ से अंजाम तक का सफ़र  

संविधान को अपनी जेब में लेकर घूमने वाले राहुल गांधी दरअसल, देश की जनता को बताना चाहते हैं कि ये सरकार संविधान से नहीं, बल्कि संविधान और चुनाव आयोग का दुरूप्रयोग करके चल रही है। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी देश के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। वो देश की राजनीति बदलना चाहते हैं। उन्हें वंचितों, पिछड़ों, गरीबों और देश के बेरोजगार युवाओं से खासा लगाव है। वो दिल से उनके लिए कुछ करना चाहते हैं, लेकिन अफ़सोस वो कुछ कर नहीं पाते। वो इन दिनों सड़क पर उतरकर, सरकार से सवाल करते हैं।

राहुल गांधी “वोटर चोरी अभियान” के तहत जनता को ये बता रहे हैं कि “वोट चोरी की शुरूआत गुजरात विधानसभा से शुरू हुई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर हुआ, जिसकी बदौलत दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी। राहुल गांधी देश के गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान का हवाला देते हुए कहते हैं कि अमित शाह ने इसी के बल पर 40-50 साल तक देश में बीजेपी की सरकार रहने का दावा किया है।

अगर उन्हें इलेक्शन कमीशन पर भरोसा नहीं होता, तो वो ऐसी बातें नहीं कहते।“ उनका आरोप है कि “अपने चुनावी फायदे के लिए चुनाव आयोग के अध्यक्ष का बीजेपी चुनाव करती है।“ वो सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर बीजेपी को फायदा कराने का आरोप लगाते हैं। वो लगातार चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा “हमें मध्यप्रदेश में शक था। लोकसभा चुनाव में संदेह था। महाराष्ट्र में थोड़ा और बढ़ा। स्टेट लेवल पर हमें लगा कि यहां वोट की चोरी हुई है। 1 करोड़ वोटर जोड़े गए थे। फिर हम डिटेल में गए। चुनाव आयोग मदद नहीं कर रहा था। उन्होंने धमकी भरे लहज़े में कहा कि चुनाव आयोग में, जो भी लोग ये काम कर रहे हैं। एक बात याद रखें। हम उनको नहीं छोड़ेंगे। कुछ भी हो जाए, हम आपको छोड़ेंगे नहीं। क्योंकि आप हिन्दुस्तान के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं।“

हालांकि इलेक्शन कमीशन ने अपने फैक्ट चेक के जरिए राहुल गांधी के दिए बयानों को भ्रामक, तथ्यहीन और धमकाने वाला बताया है।  कांग्रेस के चश्मों चिराग राहुल गांधी की इस मुहिम में इंडिया गंठबंधन भी शामिल है। राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में वोटर चोरी के आरोप का भरपूर सामान है। 2022 में राहुल गांधी ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत की। उन्हें इस यात्रा से उस वक्त के चुनावों कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ था।

अबकि बार बिहार चुनाव के मद्देनज़र उन्होंने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली है। उन्हें भविष्य में इस रैली से बड़ा फायदा दिख रहा है। इस रैली में राहुल गांधी के साथ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे, तमिलनाडु के सीएम स्टालिन और सीपीआई के दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हुए। लेकिन मज़े की बात ये कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी इस यात्रा में कहीं नहीं दिखीं।17 अगस्त को रोहतास जिले से शुरू हुई इस रैली का पटना के गांधी मैदान में 1 सितंबर को समापन हो गया। बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। राज्य में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं।

क्या है चुनाव आयोग का स्पेशल इंटेसिव रिवीज़न (SIR)

बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सही मतदाताओँ की जांच करके उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया जा रहा है और डेड, फर्जी वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है, ताकि योग्य मतदाता, चुनाव में अपना वोट डाल सकें। लेकिन इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है। वो एसआईआर की आड़ में लोगों की नागरिकता की जांच कर रहा है। इस आधार पर वोटरों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

जबकि चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफ़नामें में यह भरोसा दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी नागरिकता ख़त्म हो गई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में हो रहे एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी और कोर्ट ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता सूची अपडेट करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों की सूची में शामिल करने की सलाह दी थी। 

संदेह के घेरे में ‘तेजस्वी यादव की राजनीति!

महज़ 26 साल की उम्र में बिहार की सत्ता का सुख ले चुके तेजस्वी अब मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। वो नीतीश कुमार की 2015 वाली सरकार में डेढ़ साल तक डिप्टी सीएम रहे। 2022 में एक बार फिर से वो बिहार के उपमुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन यह समीकरण ज्यादा दिन तक नहीं चला।

1990 से 1997 तक लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री रहे। लालू के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार में जंगलराज की शुरूआत हुई। 1990 से 2005 का दौर जंगलराज के नाम से कुख्यात है। किडनैपिंग, हत्या, लूट और बलात्कार बिहार की पहचान बन गई थी। प्रदेश में कानून व्यवस्था इस कदर बिगड़ चुकी थी कि अधिकारी तक सुरक्षित नहीं थे। बिहार अपराधिक स्टेट के नाम से जाना जाने लगा।

बिहार की राजनीति में चंपा विश्वास केस आज भी बदनुमा दाग़ है, जब एक दलित आईएएस अधिकारी की पत्नी चंपा विश्वास का लगातार दो साल बलात्कार होता रहा। रेप करने वाला लालू की पार्टी (राजद} के विधायक का बेटा था। ये सिलसिला यही नहीं रुका। उसकी मां, भतीजी, और घर की दो नौकरानियों को भी नहीं छोड़ा गया। चंपा ने तंग आकर इसकी शिकायत पुलिस से की, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच उसने लालू यादव से मुलाकात की और मदद मांगी लेकिन कथित तौर पर लालू यादव का जवाब था ‘जाने दो, जिंदा तो हो।’

हालांकि बाद में राजद सुप्रीमो लालू पर चारा घोटाला, रेलवे टेंडर घोटाला, रिश्वत कांड, लैंड फॉर जॉब घोटाला के तहत कई केस दर्ज हुए। उन्हें चारा घोटाले में 5 साल की सज़ा हुई। आज उसी लालू के सुपुत्र बिहार में सुशासन और बदलाव को लेकर रैलियां कर रहे हैं।

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