बीएनएस 2023 में ऐतिहासिक बदलाव: सामूहिक बलात्कार, मानव तस्करी और पहचान छिपाकर यौन शोषण जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने और दंडित करने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन प्रावधानों में सख्त सजा, बेहतर सुरक्षा और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में बताया कि इन सुधारों का उद्देश्य समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर केंद्रित प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 में पहली बार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता देते हुए उनके लिए एक अलग अध्याय शामिल किया गया है। इस अध्याय में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके खिलाफ होने वाले गंभीर अपराधों पर सख्त दंड का प्रावधान किया गया है।
सामूहिक बलात्कार पर सख्त सजा
बीएनएस में अब 18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए कठोरतम दंड का प्रावधान किया गया है।
- आजीवन कारावास या मौत की सजा: दोषियों को उम्रकैद या मौत की सजा दी जाएगी।
- पहले 16 और 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए अलग-अलग प्रावधान थे। अब इसे統एकीकृत कर 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान किया गया है।
शादी, नौकरी या पहचान छुपाकर यौन शोषण को अपराध घोषित
शादी, नौकरी, पदोन्नति का झूठा वादा करके, या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाने जैसे कृत्यों को अब बीएनएस में स्पष्ट अपराध माना गया है। यह प्रावधान महिलाओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए लाया गया है।
मानव तस्करी पर कठोर कदम
मानव तस्करी को रोकने और इसके खिलाफ कठोर दंड सुनिश्चित करने के लिए बीएनएस 2023 में कई सख्त प्रावधान किए गए हैं।
- धारा 143: मानव तस्करी में दोषियों को उम्रकैद तक की सजा दी जाएगी।
- बच्चों की तस्करी: यदि किसी अपराध में बच्चों की तस्करी शामिल है, तो दोषियों को कम से कम 10 साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
- भिक्षावृत्ति: तस्करी के माध्यम से भिक्षावृत्ति करवाने को भी अब अपराध माना गया है।
तस्करी किए गए बच्चों के यौन शोषण पर सख्त दंड
बीएनएस की धारा 144(1) के तहत तस्करी किए गए बच्चों के यौन शोषण पर न्यूनतम 5 साल की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। यह कदम बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच में पारदर्शिता
पीड़िता के बयान की प्रक्रिया
महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच में अधिक पारदर्शिता और संवेदनशीलता लाने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
- पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किया जाएगा।
- बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा। अगर महिला मजिस्ट्रेट उपलब्ध न हो, तो पुरुष मजिस्ट्रेट महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में बयान दर्ज करेगा।
मेडिकल रिपोर्ट की समय सीमा
चिकित्सकों को बलात्कार पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट जांच अधिकारी को 7 दिनों के भीतर सौंपने का निर्देश दिया गया है। यह प्रक्रिया तेजी से न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान
समन प्राप्ति में बदलाव
पहले परिवार के “वयस्क पुरुष सदस्य” को समन प्राप्त करने का अधिकार था। अब इसे बदलकर “वयस्क सदस्य” कर दिया गया है, जिससे महिलाओं को भी यह अधिकार मिल गया है।
संवेदनशील मामलों में विशेष छूट
- वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुविधा: 15 वर्ष से कम उम्र या 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को उनके निवास स्थान पर ही बयान देने की अनुमति दी गई है।
- निशुल्क चिकित्सा उपचार: नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त प्राथमिक और चिकित्सा उपचार की व्यवस्था दी गई है।
सरकार की प्रतिबद्धता गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में कहा कि बीएनएस, 2023 का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर सख्त रुख अपनाना है। इन प्रावधानों से समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और अपराधियों के खिलाफ कड़ा संदेश जाएगा।