नहीं बढ़ाई गई है इन्कम टैक्स रिर्टन फाइल करने की अंतिम तारीख

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

ITR Filing: अब यह साफ हो चुका है कि इन्कम टैक्स रिर्टन फाइल करने की अंतिम तिथि नहीं बढ़ेगी। ये और बात है कि 31 दिसंबर तक पेनाल्टी चुकाकर फाइल भरा जा सकता है। हालांकि, अच्छा तो यही होगा कि आज ही भर लें। चूंकि आज अंतिम तारीख है, इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) सही तरीके से फाइल करना बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसा नहीं करने पर इसके रिजेक्ट होने की संभावना बनी रहती है। टैक्स विशेषज्ञ इसीलिए आईटीआर फॉर्म भरते समय सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि टैक्सपेयर्स को जल्दबाजी में रिटर्न फाइल नहीं करना चाहिए। अगर रिटर्न भरने में कोई कठिनाई हो रही है, तो सीए या टैक्स एक्सपर्ट की कंसल्टेंसी सेवाओं का उपयोग करना चाहिए। इनकम टैक्स रिटर्न रिजेक्ट होने पर टैक्सपेयर्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, आइए जानें कि आमतौर पर किन गलतियों से बचकर आप अपने आईटीआर को रिजेक्ट होने से बचा सकते हैं।

1.फॉर्म में गलत जानकारी:

इनकम टैक्स रिटर्न रिजेक्शन से बचने के लिए फॉर्म में सही जानकारी भरना बेहद जरूरी है। टैक्सपेयर्स को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केवल उन डिडक्शंस का दावा करें जिनके लिए दावेदार हो। फॉर्म सब्मिट करने से पहले हर जानकारी को एक या दो बार अच्छी तरह से जांच लेना चाहिए।

2.फॉर्म 16 और AIS का अंतर:

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास टैक्सपेयर्स के हर वित्तीय लेनदेन पर नजर रखने के कई तरीके होते हैं, जिनमें एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) सबसे प्रमुख है। सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए फॉर्म-16 भी अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले, फॉर्म 16 और AIS में दी गई जानकारी को अच्छी तरह से समझना आवश्यक है। इससे ITR में गलत जानकारी दर्ज होने की संभावना कम हो जाती है। टैक्स विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फॉर्म 16 और AIS के डेटा को मिलाकर देखना चाहिए, ताकि किसी भी तरह के अंतर को समय पर ठीक किया जा सके।

3. डेडलाइन से चूकना:

आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख से पहले फॉर्म सब्मिट करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अक्सर, टैक्सपेयर्स फॉर्म को भर तो लेते हैं, लेकिन सब्मिट नहीं करते। यदि किसी वजह से फॉर्म समय पर सब्मिट नहीं किया गया, तो रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है।

4.टैक्स कैलकुलेशन में गलती:

टैक्स लायबिलिटी के कैलकुलेशन में कोई गलती आईटीआर के रिजेक्ट होने का कारण बन सकती है। रिटर्न फाइल करने से पहले, टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स लायबिलिटी का सटीक कैलकुलेशन करना चाहिए, जिसमें डिडक्शन, एग्जेम्प्शन और टैक्स रेट शामिल हैं। यदि कैलकुलेशन में किसी प्रकार की दिक्कत हो, तो टैक्स एक्सपर्ट की सलाह लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

5.फॉर्म की वेरिफिकेशन न करने पर ध्यान दें

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) सबमिट करने के बाद, उसे वेरिफाई करना अनिवार्य है। वेरिफिकेशन के विभिन्न तरीके उपलब्ध हैं:

•आधार ओटीपी के माध्यम से

•नेटबैंकिंग का उपयोग करें

•आईटीआर-वी फॉर्म पर हस्ताक्षर करके और इसे बेंगलुरु स्थित सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर को भेज सकते है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here