रामदरश मिश्र के साहित्यिक योगदान पर आधारित संगोष्ठी में साहित्य, संस्कृति, और समाज पर चर्चा 

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में “साहित्य की शती उपस्थिति: रामदरश मिश्र” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ। संगोष्ठी का उद्देश्य साहित्यकार रामदरश मिश्र के शताब्दी वर्ष में उनके साहित्यिक योगदान का सम्मान करना और समाज में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा करना है। 

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें “साहित्य की शती उपस्थिति: रामदरश मिश्र” विषय पर विचार-विमर्श हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवाणी और दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद अतिथियों का स्वागत किया गया। इस भव्य आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय पूर्व शिक्षा मंत्री और साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ उपस्थित रहे।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथियों में पद्मभूषण स. तरलोचन सिंह, अध्यक्ष प्रबंध समिति, एस.जी.टी.बी. खालसा कॉलेज; प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, निदेशक अंतरराष्ट्रीय प्रभाग, इग्नू; पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष हिंदी अकादमी दिल्ली; और प्रसिद्ध लेखक आमोद माहेश्वरी ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन लेखिका अलका सिन्हा ने किया। 

प्राचार्य प्रो. गुरमोहिंदर सिंह ने अपने उद्बोधन में रामदरश मिश्र के साहित्यिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने मिश्र जी की सादगी और उनके गहरे साहित्यिक दृष्टिकोण की सराहना की। प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव ने मिश्र जी की रचनाओं को करुणा और विचार का संगम बताया और कहा कि उनकी कविताएं पाठकों के अंतर्मन को प्रभावित करती हैं।

हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि आज के कवियों को विचारधारा से ऊपर उठकर साहित्यिक समझदारी से काम लेने की जरूरत है। कॉलेज के शासी निकाय के अध्यक्ष पद्म भूषण सरदार तरलोचन सिंह ने मिश्र जी के जीवन की प्रेरणादायक बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि मिश्र जी का साहित्य आने वाली पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

संगोष्ठी के संयोजक अमरेन्द्र पाण्डेय ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम साहित्य के महानायक का सम्मान है। खालसा कॉलेज के सभी विभागों और हिंदी अकादमी, राजकमल प्रकाशन ने इस आयोजन में सहयोग किया। संगोष्ठी के दो दिनों में 6 सत्र आयोजित होंगे, जिनमें विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विद्वानों की उपस्थिति में गहन चर्चा की जाएगी। 

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