भूतकाल और भविष्य के बीच पीस रहा मानव जीवन
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
मां अमृत प्रिया ने साधकों को खुशहाल जीवन का एकमात्र रास्ता बताते हुए स्पष्ट किया कि जीवन की सच्ची खुशी न तो भविष्य के अनिश्चित सपनों में है और न ही भूतकाल के बोझ में। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो, जीवन में खुश रहने का यही एक सही रास्ता है।” हमारा मन हमेशा भविष्य का अनुसंधान करने और अतीत की चिंता में उलझा रहता है, जिससे हम उस आनंद-मग्न वर्तमान को खो देते हैं। मां अमृत प्रिया के अनुसार, ज़िंदगी तो है इसी पल में—और इसी पल को जीकर ही हम शाश्वत आनंद और मुक्ति पा सकते हैं।
अतीत और भविष्य: दो नहीं हो चुके ‘पाट‘
मां अमृत प्रिया समझाती हैं कि हमारा मन दो ऐसी चीज़ों के बीच उलझा रहता है जो मौजूद ही नहीं हैं।
अतीत (Past): ‘Is No More’ यानी अब नहीं है।
भविष्य (Future): ‘Is Not Yet’ यानी अभी आया नहीं है।
इन दोनों नहीं हो चुके समयों के कारण, हम बीच में मौजूद, छोटे-से, सफल वर्तमान काल को चूक जाते हैं।
अतीत की अलमारी: सुख-दुख की फ़ाइलें
मां अमृत प्रिया एक गहरा उदाहरण देती हैं: हमारा मन एक अलमारी की तरह है, जिसमें सुख-दुख की अनगिनत फ़ाइलें भरी हैं।
“अरे अलमारी इतनी फाइलों के ढेर से भरी है कि अब जो फाइल चाहिए वही नहीं मिलती।”
हम लगातार अतीत में झाँकते रहते हैं—’कल वह क्या था’ उसी का मलाल करते हैं। हम अतीत को सुधार कर बेहतर बनाकर भविष्य में रिपीट करने की चाहत रखते हैं। यह एक अंतहीन सिलसिला है, जहाँ हमारा मन उस रिसाइकल बिन की तरह गोल-गोल घूमता रहता है, कभी स्थायी रूप से फ़ाइलों को डिलीट नहीं करता।
मां अमृत प्रिया हमें सिखाती हैं कि अतीत के उन अनुभवों को डिलीट कर देना चाहिए जो ठीक नहीं थे, और जो अच्छा था, उसे संजोना चाहिए—पर रुकना वर्तमान में ही चाहिए। खुश रहने का तरीका अतीत को खंगालना नहीं, बल्कि वर्तमान को संवारना है।
कामना ही बंधन है: वर्तमान ही निष्कामता का द्वार
मां अमृत प्रिया मुक्ति के सूत्र को कामना से जोड़ती हैं।
“कामना ही बंधन है, और निष्कामना कैसे होगी? वर्तमान में जीने से।”
कामना हमेशा भविष्य से जुड़ी होती है। हम भविष्य में कुछ चाहते हैं, कुछ नया पाने की इच्छा रखते हैं, अक्सर उन्हीं चीज़ों को जो हमें अतीत में परिचित थीं। यह कामना ही हमारे निर्माण (मुक्ति) में बाधा बनती है।
कामना = भविष्य में जीना (बंधन)
निष्कामता = वर्तमान में जीना (आनंद और मुक्ति)
जब तक मन कामना और इच्छा के बंधन में रहेगा, तब तक शाश्वत आनंद का द्वार नहीं खुलेगा। मां अमृत प्रिया कहती हैं कि निष्कामना में ही आनंद और मुक्ति है। इस निष्कामना को साधने का एकमात्र तरीका वर्तमान के क्षण में ठहर जाना है।
आनंद और मुक्ति का द्वार: वर्तमान ही शाश्वत सत्य
मां अमृत प्रिया हमें उस शाश्वत सत्य को पकड़ने के लिए प्रेरित करती हैं जो अतीत और भविष्य के बीच मौजूद है।
“शाश्वत आनंद और आनंद का द्वार वर्तमान है।”
हम आनंद को भविष्य में ढूँढ़ते हैं, जबकि वह वर्तमान में मौजूद है। वर्तमान एक छोटा, अनमोल क्षण है जिसे हम खो देते हैं क्योंकि हमारी नज़र हमेशा सुख-दुख की फ़ाइलों पर पड़ी रहती है।
कबीर का दर्शन और मां अमृत प्रिया की व्याख्या
मां अमृत प्रिया कबीर साहब के वचन का हवाला देती हैं:
“दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।”
वह समझाती हैं कि ये दो पाटन और कुछ नहीं, बल्कि अतीत और भविष्य हैं।
अतीत और भविष्य के इन दो पाटों के बीच हमारा वर्तमान (हमारा जीवन) मसलता जाता है, महता जाता है।
परिणाम यह होता है कि हम ऐसे मरे-मरे जीते चले जाते हैं, आनंद से वंचित रह जाते हैं।
मां अमृत प्रिया हमें इसी वर्तमान को पकड़ने का आह्वान करती हैं, ताकि हम इन दो पाटों के बीच पिसने से बच सकें और खुशहाल जीवन जी सकें।
नास्तिक से आस्तिक तक: वर्तमान में जीने का ज्ञान
मां अमृत प्रिया एक शक्तिशाली दृष्टांत साझा करती हैं कि जो वर्तमान में नहीं जीता, वह नास्तिक है।
एक नास्तिक पिता ने अपने बच्चे को तख्ती पढ़ने को कहा: “God is Now Here”।
बच्चे ने पढ़ा: “God is Na-W-Here” (भगवान अब यहाँ है)।
इस कहानी से मां अमृत प्रिया ने यह अद्वितीय ज्ञान दिया:
जो व्यक्ति ‘Now’ (अब) में जीता है, वही आस्तिक है।
उस छोटे बच्चे ने ‘This Moment’ से जीना सीख लिया और आनंद के अमृत को पा लिया।
उसने निर्माण (मुक्ति) में प्रवेश कर लिया, क्योंकि वह वर्तमान की सच्चाई में जीता है।
वर्तमान को जीना ही सत्य को जीना है, और सत्य को जीना ही ईश्वर को जीना है। खुशहाल जीवन का रहस्य इसी जागरूकता में छिपा है।
वर्तमान ही जीवन है
मां अमृत प्रिया का खुशहाल जीवन का संदेश सरल और गहन है: भूतकाल को छोड़ो, भविष्य की चिंता मत करो, सिर्फ वर्तमान पर ध्यान दो। यह छोटा-सा, अनमोल वर्तमान ही हमारे आनंद और मुक्ति का द्वार है। हमें अपनी कामनाओं के बंधन को तोड़कर निष्कामता में जीना सीखना होगा। तभी हम अतीत और भविष्य के दो पाटों से बचकर शाश्वत आनंद को प्राप्त कर पाएंगे।
Q&A: मां अमृत प्रिया के संदेश पर आधारित प्रश्न
Q1: मां अमृत प्रिया के अनुसार खुश रहने का एकमात्र रास्ता क्या है?
A1: मां अमृत प्रिया के अनुसार, खुशहाल जीवन का एकमात्र रास्ता वर्तमान में जागरूकता के साथ जीना है, अतीत और भविष्य के भ्रम को त्यागकर।
Q2: मां अमृत प्रिया निष्कामता को क्यों महत्वपूर्ण बताती हैं?
A2: वह बताती हैं कि कामना ही बंधन है, और जब तक कामना रहेगी, मुक्ति या निर्माण नहीं होगा। निष्कामता केवल वर्तमान में जीने से ही आती है, जो आनंद का द्वार है।
Q3: कबीर के ‘दो पाटन’ का मां अमृत प्रिया क्या अर्थ बताती हैं?
A3: मां अमृत प्रिया बताती हैं कि ये दो पाटन अतीत और भविष्य हैं, जिनके बीच हमारा वर्तमान पिसता रहता है, जिससे हम आनंद से वंचित रह जाते हैं।
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