मुसम्मन बुर्ज के नीचे चंद सीढ़ियां उतरकर दरिया के किनारे पहुंच जाते हैं। यह वही दरवाजा है, जिसको कप्तान डगलस 11 मई 1857 को इसलिए खुलवाना चाहता था कि बलवाइयों से बातें कर सके।

सलीमगढ़ दरवाजा (1622 ई.)

सलीमगढ़ की तरफ उत्तरी फसील के बीच में एक दरवाजा है, जिसका कोई खास नाम नहीं है। इस दरवाजे से उत्तर की तरफ थोड़े फासले से जहांगीर का बनवाया हुआ वह पुल था जो उसने 1622 ई. में सलीमगढ़ में जाने के लिए बनवाया था। सलीमगढ़ दरवाजे के पास किले की उत्तर-पूर्वी फसील में एक खिड़की है। इसका नाम भी कोई नहीं जानता।

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