जीवनशैली और मानसिक आदतों से उपजी ओवर न्यूट्रिशन और मनोवैज्ञानिक रोग जैसी नई चुनौतियाँ भी आ रही सामने
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Mental Health and Wellness: मानसिक बीमारी (Mental Illness) और शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health) के बीच गहरा संबंध है, जिसे अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। पिछले 50 वर्षों में चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के बावजूद, जहाँ पोषण संबंधी कमियाँ दूर हुई हैं, वहीं जीवनशैली और मानसिक आदतों से उपजी ओवर न्यूट्रिशन (Over-nutrition) और मनोवैज्ञानिक रोग (Psychological Disorders) जैसी नई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
प्रख्यात दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती ने साधकों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि हमारी आदतों, इच्छाओं और यहाँ तक कि रोग के प्रति आसक्ति (Attraction to Illness) से कैसे बीमारियाँ जन्म लेती हैं, और इनसे बचने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए।
मानसिक बीमारी: कारण और आत्म-उपचार के रहस्य
किशोरावस्था की खाने की आदतें और मोटापा (Eating Habits and Obesity)
स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती बताते हैं कि आज की कई शारीरिक बीमारियाँ वास्तव में मन की आदत से पैदा हो रही हैं।
पुराना बनाम नया दौर
-50 साल पहले, भारत में अंडर न्यूट्रिशन (Under-nutrition) की समस्या थी, औसत उम्र 27 साल थी और बाल मृत्यु दर बहुत अधिक थी। आर्थिक उन्नति, बेहतर पोषण और मशीनों के उपयोग से शारीरिक श्रम कम हुआ, और औसत आयु बढ़ गई। यह बदलाव एक नई समस्या लाया: ओवर न्यूट्रिशन (Over-nutrition)।
कारण
हड्डियों की लंबाई 18 साल की उम्र तक बढ़ती है, लेकिन हमारी भोजन की आदत (जो बचपन और किशोरावस्था के दौरान शरीर निर्माण के लिए ज़रूरी थी) बाद में भी बनी रहती है। प्रौढ़ावस्था में जब शारीरिक श्रम कम हो जाता है, तब भी हम उतनी ही मात्रा में भोजन करते रहते हैं, जिससे केवल मोटापा (Obesity) बढ़ता है और मोटापा जन्य बीमारियाँ घेर लेती हैं।
उपाय:
सजगता (Mindfulness): अपनी पुरानी खाने की आदत पर पुनर्विचार (Reconsideration) करें।
बीएमआई (BMI) पर ध्यान दें: भारत में सामान्य बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index) की रेंज 19 से 23 के बीच होनी चाहिए। 23 से अधिक BMI मोटापे की ओर इशारा करता है, जो बीमारियों का द्वार खोलता है।
आवश्यकतानुसार भोजन में कटौती (Reduction) करें, क्योंकि 16 साल की उम्र का परिश्रम और शरीर की ज़रूरत अब 40 साल की उम्र में नहीं है।
बीमारी के प्रति आसक्ति: ध्यान आकर्षण की चाह (Attraction to Illness: The Need for Attention)
एक और जटिल मानसिक बीमारी का कारण है— बीमारी के प्रति आसक्ति (Affinity for Sickness) या अनजाने में रोग को आकर्षित करना। स्वामी जी बताते हैं कि यह प्रवृत्ति बचपन से पनपती है। जब बच्चा बीमार होता है, तो उसे परिवार का प्रेम और ध्यान (Love and Attention) मिलता है (पिता का ऑफिस से छुट्टी लेना, सबका देखभाल करना)। इसके विपरीत, स्वस्थ और शरारती होने पर उसे डांट, उपदेश या पिटाई मिलती है।
मानसिक निष्कर्ष: बच्चे के मन में यह धारणा बन जाती है कि यदि लोगों का प्रेम और देखभाल चाहिए, तो बीमार होना एकमात्र उपाय है।
हिस्टीरिया (Hysteria) और पलायन द्वार (Escape Routes):
यह आसक्ति बड़ी होकर कई रूपों में सामने आती है:
-हिस्टीरिया (Hysteria): यह 99% महिलाओं में पाया जाने वाला एक मानसिक रोग है जो केवल ध्यान आकर्षित (Attention Seeking) करने के लिए होता है। अचानक बेहोश होकर गिरना, हाथ-पैर अकड़ना—यह सब उस व्यक्ति की मानसिक ज़रूरत को पूरा करता है, जब सामान्य उपायों से ध्यान नहीं मिल रहा होता।
-कैंसर और जीवन से पलायन (Escape from Life): यूरोप में हुए एक शोध के अनुसार, कुछ मरीज (जो डिप्रेशन में हैं, जीवन से ऊब गए हैं और मरना चाहते हैं) अनजाने में लालाज बीमारियों (Incurable Diseases) को आकर्षित करते हैं। वे जीवन जीने के संघर्ष, तनाव और प्रतियोगिता से बचने के लिए मौत को बुलाते हैं, लेकिन उनमें आत्महत्या करने की हिम्मत नहीं होती।
जीवन से पलायन के चार द्वार (The Four Escape Routes)
- लालाज बीमारी/दुर्घटना: यह आत्महत्या नहीं है, इसलिए सामाजिक निंदा से बचाव मिलता है।
- अपराध: अपराध करके जेल जाना। जेल, घर-परिवार और सामाजिक उत्तरदायित्वों से बचने का एक सुरक्षित ठिकाना बन जाता है।
- पागलपन: पागलखाने में बंद हो जाना। अब कोई जिम्मेदारी नहीं रहती और सहानुभूति भी मिलती है।
- संन्यास (भारतीय संदर्भ): स्वामी जी ने इसमें संन्यास को जोड़ा है। यह भागने का एक ऐसा मार्ग है जहाँ आपको सम्मान (Respect) भी मिलता है, जबकि यह केवल भगोड़ापन (Cowardice) हो सकता है—जीवन के उत्तरदायित्वों से भागने का एक सम्मानित रास्ता।
नकारात्मक सोच और लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Negative Thinking and The Law of Attraction)
अनीता मुरजनी (सिंगापुर) का उदाहरण एक शक्तिशाली प्रमाण है कि कैसे नकारात्मक भावनाएं (Negative Emotions) शारीरिक बीमारी पैदा कर सकती हैं।
ऑबसेशन (Obsession): अनीता को लगातार कैंसर का डर (Fear of Cancer) सताता था। वह हमेशा इंटरनेट पर इसके लक्षण देखती रहती थी कि कहीं उसे कैंसर न हो जाए। इसी डर और ऑबसेशन के कारण उसे वास्तव में कैंसर हो गया।
चेतना का अनुभव: मृत्यु के करीब पहुँचने पर, उसकी चेतना शरीर से बाहर निकली, जहाँ उसे पता चला कि उसकी बीमारी का कारण उसके मन में (In Her Mind) था, न कि केवल शरीर में।
सकारात्मक वापसी: कारण जानने के बाद वह वापस लौटी, डर को खत्म किया, और बिना किसी दवा के उसका कैंसर ठीक हो गया, क्योंकि कारण समाप्त हो गया था।
आकर्षण का नियम (The Law of Attraction):
स्वामी जी बताते हैं कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही आकर्षित करते हैं। नकारात्मक भावनाएं रखने पर जीवन में नकारात्मकता ही आएगी। हमारी सोच, बीमारी को खुद के पास बुलाने में सक्षम है।
उपाय: मन और तन का संयुक्त उपचार (The Integrated Treatment for Mind and Body)
स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती का निष्कर्ष है कि कई बीमारियाँ सिर्फ शारीरिक नहीं होतीं।
शारीरिक बीमारी (Physical Ailments)
बाहर से आने वाली बीमारियाँ (चोट, घाव, इंफेक्शन, विटामिन की कमी) आधुनिक मेडिकल साइंस से आसानी से ठीक हो सकती हैं।
मनोदैहिक बीमारी (Psychosomatic Ailments)
- जो बीमारियाँ मन, विचार और चिंता से आ रही हैं, उनका इलाज केवल बाहर से (दवाइयों से) संभव नहीं है।
- उदाहरण: चिंता और एंग्जायटी के कारण पेट में एसिड सिक्रीशन बढ़ जाता है (हाइपर एसिडिटी)। अल्सर का इलाज दवा से करने पर भी, यदि चिंता (Anxiety) बनी रहती है, तो बीमारी लौटकर आएगी। जड़ मन में है, और लक्षण तन में प्रकट हो रहे हैं।
अंतिम उपाय (The Final Solution)
- सकारात्मकता (Positivity): अपने भीतर सकारात्मक विचार और निडरता पैदा करनी होगी।
- कारण को जानें: अपनी मानसिक आदतों (Mental Habits) और भय को पहचानें।
- योग्यता और स्वस्थ जीवनशैली: शरीर की आवश्यकता के अनुसार जीवनशैली में बदलाव करें (जैसे किशोरावस्था की खाने की आदत छोड़ना)।
जब तक हम जड़ (मन) पर काम नहीं करेंगे, तब तक लक्षणों (तन) का इलाज अस्थायी (Temporary) ही रहेगा।
Q&A
Q1: BMI (बीएमआई) क्या है और भारत में स्वस्थ BMI रेंज क्या होनी चाहिए?
A: BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स, यह आपकी ऊँचाई और वजन का अनुपात है। स्वामी जी के अनुसार, भारत के लिए सामान्य और स्वस्थ BMI रेंज 19 से 23 के बीच होनी चाहिए। 23 से अधिक BMI मोटापे की श्रेणी में आता है, जो कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
Q2: लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Law of Attraction) मानसिक बीमारियों को कैसे प्रभावित करता है?
A: लॉ ऑफ अट्रैक्शन के अनुसार, आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही आकर्षित करते हैं। यदि आप लगातार किसी बीमारी (जैसे कैंसर) से डरते हैं या उसके बारे में सोचते हैं, तो आप अनजाने में उस बीमारी को अपने पास बुला सकते हैं। सकारात्मक और निडर विचार ही आपको स्वस्थ रखते हैं।
Q3: स्वामी जी के अनुसार जीवन से पलायन के तीन मुख्य द्वार कौन से हैं?
A: पलायन के चार द्वार हैं: 1) लालाज बीमारियाँ (Incurable Diseases) या दुर्घटना, 2) अपराध (जेल जाने के लिए), 3) पागलपन, और 4) संन्यास (जिम्मेदारियों से भागने का एक सम्मानित भारतीय तरीका)।
Q4: हिस्टीरिया (Hysteria) को स्वामी जी ने किस प्रकार की बीमारी बताया है?
A: उन्होंने हिस्टीरिया को 100% मानसिक रोग बताया है जो मुख्यतः महिलाओं में ध्यान आकर्षित करने की गहरी मानसिक ज़रूरत को पूरा करने के लिए उत्पन्न होता है। यह शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि एक मानसिक युक्ति है।
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- स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती से जानिए: मानसिक बीमारी के कारण और उपाय !! (Mental Health and Wellness)






