भारतीय दूतावास ने राष्ट्रीय अभिलेखागार के साथ मिलकर शुरू की डिजिटलीकरण की पहल
ओमान में रह रहे प्रवासी भारतीयों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को किया जा रहा संग्रहित
नई दिल्ली, 29 मई।
ओमान में सालों से रह रहे प्रवासी भारतीयों के समृद्ध इतिहास से अब पूरी दुनिया रूबरू होगी। भारतीय दूतावास, मस्कट ने भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनआईए) के सहयोग से ओमान में रह रहे प्रवासी भारतीयों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को संग्रहित करने की अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत भारतीय दूतावास परिसर में 19 से 27 मई तक ‘द ओमान कलेक्शन – ओमान में भारतीय समुदाय की अभिलेखीय विरासत- ‘The Oman Collection – Archival Heritage of the Indian Community in Oman’ नामक एक विशेष डिजिटलीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ।
जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में गुजरात के 32 प्रवासी परिवारों ने हिस्सा लिया। ओमान में रह रहे इन प्रवासी भारतीय परिवारों की विरासत तकरीबन 250 साल पुरानी है। यह NAI की पहली विदेशी परियोजना थी जिसमें प्रवासी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण और संग्रहण किया गया है।
इस परियोजना के तहत पुराने भारतीय व्यापारी परिवारों के निजी संग्रह से 7000 से अधिक दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटाइज किया गया। सबसे पुराना डिजिटाइज्ड दस्तावेज़ 1837 का है, जबकि अधिकांश दस्तावेज़ 19वीं शताब्दी केअंत और 20वीं शताब्दी के हैं। ये दस्तावेज़ ओमान में भारतीय समुदाय के इतिहास, उनके जीवन और उनके योगदान के बारे में बताते हैं। डिजिटाइज किए गए दस्तावेजों को एनआईए के डिजिटल पोर्टल ‘अभिलेखपटल’ पर अपलोड किया जाएगा।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के अलावा, भारतीय समुदाय के बुजुर्ग सदस्यों के मौखिक इतिहास को भी रिकॉर्ड किया गया है। पुराने लोगों की बातें, उनके किस्से-कहानियों, ओमान में रहते हुए उनके अनुभवों और बीते कई दशकों में ओमान में भारतीय समुदाय के विकास की कई कहानियों की एक श्रृंखला को कैप्चर किया गया है।
एनआईए के महानिदेशक अरुण सिंघल ने कहा, “यह योजना एनआईए के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, साथ ही विविध विदेशी भारतीय समुदायों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
ओमान में भारत के राजदूत अमित नारंग ने कहा कि “यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत करने के दृष्टिकोण के साथ मेल खाती है”।
ओमान में भारतीय समुदाय के प्रमुख, शेख अनिल खिमजी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का धन्यवाद किया। इस पहल को ओमान की राष्ट्रीय रिकॉर्ड और अभिलेख प्राधिकरण (NRAA) का समर्थन एवं सहयोग मिला। य़ह परियोजना भारत-ओमान मित्रता को मज़बूत करने के साथ-साथ, भारतीय प्रवासियों के योगदान के बारे में बेहतर शोध को भी प्रोत्साहित करेगी जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मूल्यवान संसाधन प्राप्त होगा।