Amazon Prime पर रिलीज हुई मिर्जापुर सीजन 3

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Mirzapur 3 Review: गजब भौकाल है रे बाबा… कंट्रोल, पॉवर, इज्जत ईसी के खेल में तीसरा सीजन भी खत्म हो गया। एक बार फिर मिर्जापुर आते ही सोशल मीडिया में छा गई है। लोगों का रिएक्शन बता रहा है कि मिर्जापुर 3 ने भी भौकाल बना दिया है। दर्शकों को इस भौकाल में मजा तो आ रहा है। लेकिन, दूसरे से थोड़ा कम। कालीन भैया की शुरुआती एपिसोड में गायब रहना के साथ – साथ मुन्ना भैया की कमी भी खलेगी।

क्या है इस बार की कहानी? Mirzapur 3 Review

इस सीजन में जौनपुर और मिर्जापुर के अलावा सिवान के बाहुबलियों की कहानी भी प्रमुखता से दिखाई गई है। जौनपुर के बाहुबली शरद शुक्ल (अंजुम शर्मा) का वर्चस्व बढ़ता हुआ दिखाई देगा। शुरुआत के कुछ एपिसोड्स में मिर्ज़ापुर की गद्दी के लिए सीधी लड़ाई शरद शुक्ल और गुड्डू पंडित के बीच देखने को मिलेगी। इन चार एपिसोड्स में कालीन भैया दिखेंगे नहीं। शुरूआत के एपिसोड में शरद शुक्ल को मुख्यमंत्री माधुरी यादव (ईशा तलवार) से लेकर दद्दा त्यागी (लिलिपुट फारुकी) और उनके बेटे छोटे त्यागी (विजय वर्मा) का समर्थन मिलेगा। गुड्डू पंडित का परिवार कटता और बिखरता दिखेगा, इसका असर गुड्डू के दिल और दिमाग दोनों पर होगा।

कहानी और गुड्डू पंडित की लाइफ में बड़ा रोल गोलू गुप्ता का होगा, जो न सिर्फ ढाल बनेगी बल्कि इमोशनल सपोर्ट भी देंगी। जेल में बीत रही रमाकांत पंडित यानी गुड्डू पंडित के पिता की जिंदगी कई सीख देगी। नई दुश्मनी और दोस्ती पैदा होने के साथ ही कालीन भैया का पुनर जन्म होगा। मिर्ज़ापुर को गद्दी का नया और आखिरी हक़दार भी मिलेगा। छोटे त्यागी (विजय वर्मा) की मौत का खुलासा होगा। वहीं, बीना त्रिपाठी के बच्चे के असली बाप के लिए एक क्लू मिलने वाला है। इन दोनों चीजों को देखने के बाद आपका रिएक्शन शॉकिंग भी हो सकता है।

पूरे एपिसोड एक तरफ क्लाइमैक्स के 10 मिनट एक तरफ

इस सीजन का मज़ा आखिर के १० मिनट के क्लाइमैक्स में ही है, जिसमें धमाका में हो सकता है। इस आखिरी 10 मिनट में होने वाले चीजों का अंदाज़ा पूरे 10 एपिसोड में नहीं लगता। एक तरफ एक राज से पर्दा उठेगा लेकिन वहीं दूसरी तरफ सस्पेंस तैयार खड़ा मिलेगा जो कहानी को अंत तक बांधे रखेगा और जरा भी बोझिल नहीं होने देगा, यानी इस बार भी कहानी में दम है और आप इसे बिंज वॉच कर सकते हैं। फ़िलहाल ये कहना हरगिज़ गलत नहीं होगा कि इस बार इसे अलग धारा देने की कोशिश की गई है। कहानी को आप उत्तर प्रदेश की हालिया राजनीति से भी जोड़ के देख पाएंगे। बार -बार हो रही भयमुक्त प्रदेश की बात योगी राज की याद दिलाएगी।

एक्टिंग ने मचाया भौकाल

एक्टिंग और डायरेक्शन के मामले में टमिर्जापुर-3′ को वैसे ही फुल नंबर मिलते हैं जैसे गुड्डू भैया को चाहिए फुल इज़्ज़त। अली फजल पहले से ज्यादा पावरफुल लगने के साथ ही गंभीर होते नज़र आएंगे, लेकिन इस बार भी भौकाल टाइट है। यानी सीधे तौर पर जिसे जितना स्क्रीन टाइम मिला उसमें उन्होंने भौकाल मचाया है।

किस चीज की रह गई कमी?

भले ही मिर्जापुर 3 को भर भरके रेटिंग मिले लेकिन अब इस सीजुन की तुलना पहले दूसरे भाग से करेंगे तो फीकी कहानी दिखेगी। डॉयलॉग की कमी भी नजर आएगी। इस सीजन में का बे IAS YAS बनो जैसे दिल को छूने वाले डॉयलाग नहीं होने से फैंस नाराज दिखेंगे। हालांकि इस मिर्जापुर के अपने में ही खूब दर्शक हैं जिनका प्यार इसे मिलेगा।

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