श्रीसङ्कटनाशनगणेशस्तोत्रम्

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र एक प्रभावशाली स्तोत्र है जिसे भगवान गणेश की आराधना के लिए पढ़ा जाता है। इसे विशेष रूप से संकटों से मुक्ति पाने और जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए उपयोग किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्टों और बाधाओं का नाश होता है। संस्कृत में लिखे इस स्तोत्र के हिंदी अर्थ को समझकर, भक्तगण भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर सकते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का प्रतिदिन विधिपूर्वक पाठ करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

देवा ऊवाच:

नमो नमस्ते परमार्थरूप

नमो नमस्तेऽखिलकारणाय।

नमो नमस्तेऽखिलकारकाय

सर्वेन्द्रियाणामधिवासिनेऽपि॥1॥

देवता बोले- हे परमार्थस्वरूप ! आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप सबके कारण हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप सबके कर्ता हैं, आपको नमस्कार है। आप सब इन्द्रियोंमें निवास करते हैं, आपको नमस्कार है ॥ 1॥

नमो नमो भूतमयाय तेऽस्तु

नमो नमो भूतकृते सुरेश।

नमो नमः सर्वधियां प्रबोध

नमो नमो विश्वलयोद्भवाय ॥ 2॥

आप समस्त प्राणिमय हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। हे सुरेश! आप भूत-सृष्टिके कर्ता और संहारक हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप समस्त बुद्धियोंके प्रबोधरूप हैं, संसारकी उत्पत्ति और लय करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है ॥ 2 ॥

नमो नमो विश्वभृतेऽखिलेश

नमो नमः कारणकारणाय।

नमो नमो वेदविदामदृश्य

नमो नमः सर्ववरप्रदाय॥ 3 ॥

हे अखिलेश! आप विश्वके पालक हैं, कारणोंके भी कारण हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप वेदज्ञोंके लिये भी अदृश्य हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप सबको वर देनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है ॥ 3 ॥

नमो नमो वागविचारभूत

नमो नमो विघ्ननिवारणाय।

नमो नमोऽभक्तमनोरथघ्ने

नमो नमो भक्तमनोरथज्ञ॥ 4॥

आप वाणीके विचारसे परे हैं- वाणीसे आपके स्वरूपका कथन नहीं किया जा सकता; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप विघ्नोंका निवारण करते हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप अभक्तके मनोरथको नष्ट करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप भक्तोंके मनोरथोंको जाननेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है ॥ 4॥

नमो नमो भक्तमनोरथेश

नमो नमो विश्वविधानदक्ष।

नमो नमो दैत्यविनाशहेतो

नमो नमः सङ्कटनाशकाय ॥ 5 ॥

आप भक्तोंके मनोरथोंके स्वामी हैं, उनके मनोरथोंको सिद्ध करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप विश्वकी सृष्टि करनेमें कुशल हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप दैत्योंके विनाशके कारण हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप संकटोंको नष्ट करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है॥5॥

नमो नमः कारुणिकोत्तमाय

नमो नमो ज्ञानमयाय तेऽस्तु।

नमो नमोऽज्ञानविनाशनाय

नमो नमो भक्तविभूतिदाय ॥ 6 ॥

आप करुणा करनेवालोंमें सर्वश्रेष्ठ हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आपका स्वरूप ज्ञानमय है; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप अज्ञानको नष्ट करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप भक्तोंको ऐश्वर्य प्रदान करते हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है ॥ 6 ॥

नमो नमोऽभक्तविभूतिहन्त्रे

नमो नमो भक्तविमोचनाय ।

नमो नमोऽभक्तविबन्धनाय

नमो नमस्ते प्रविभक्तमूर्ते॥7॥

आप अभक्तोंका ऐश्वर्य नष्ट करनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप भक्तोंको मुक्ति देनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप अभक्तोंको बन्धनमें डालनेवाले हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप पृथक् पृथक् मूर्तिमें व्याप्त हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है॥ 7॥

नमो नमस्तत्त्वविबोधकाय

नमो नमस्तत्त्वविदुत्तमाय।

नमो नमस्तेऽखिलकर्मसाक्षिणे

नमो नमस्ते गुणनायकाय ॥ 8॥

आप तत्त्वबोध करानेवाले हैं, आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप तत्त्वज्ञोंमें सर्वश्रेष्ठ हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप समस्त कर्मोंके साक्षी हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है। आप गुणोंके स्वामी हैं; आपको नमस्कार है, नमस्कार है ॥8॥

गणेश उवाच

भवत्कृतमिदं स्तोत्रमतिप्रीतिकरं मम्।
संकष्टनाशनमिति विख्यातं च भविष्यति॥9॥
पठतां शृण्वतां चैव सर्वकामप्रदं नृणाम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेदेतत् संकष्टं नाप्नुयात् क्वचित्।। 10।। 

॥ इति श्रीगणेशपुराणे देवैः कृतं श्रीसङ्कटनाशनगणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

गणेशजी बोले – आपलोगोंके द्वारा किया गया यह स्तोत्र मुझे अत्यन्त प्रीति प्रदान करनेवाला है, यह स्तोत्र संकटनाशनके नामसे विख्यात होगा। पढ़नेवाले तथा सुननेवाले लोगोंके लिये यह सभी मनोरथोंको देनेवाला होगा। तीनों सन्ध्याओंमें जो इसका पाठ करेगा, वह कभी भी कष्टको प्राप्त नहीं होगा ॥ 9-10 ॥

॥ इस प्रकार श्रीगणेशपुराणमें देवोक्त श्रीसंकट प्रशनगणेशस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

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