शोहरत की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद अकेली पड़ गई थीं मीना कुमारी

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

भारतीय सिनेमा की महान अदाकारा मीना कुमारी का जीवन उतना ही संघर्षमय था जितनी उनकी फिल्मों में निभाई गई किरदारों की कहानियां। बेहद कम उम्र में सिनेमा की दुनिया में कदम रखने वाली मीना कुमारी ने अपने जीवन में बेशुमार शोहरत और कामयाबी देखी, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में वे कभी सुकून नहीं पा सकीं। गरीबी और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी मीना कुमारी ने अपना बचपन भी खो दिया और जवानी भी।

‘पाकीज़ा’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘आरती’, ‘बैजू बावरा’, ‘परिणीता’, और ‘मैं चुप रहूंगी’ जैसी अद्भुत फिल्मों में अपनी अदाकारी से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। लेकिन सफलता के इस ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के बाद भी मीना कुमारी का निजी जीवन पूरी तरह अकेलेपन और दुखों से भरा रहा। अपने जीवन के अंतिम दिनों में, वे शराब की लत से जूझ रही थीं, और इस आदत ने उनके रिश्तों में कड़वाहट भर दी।

कहा जाता है कि मीना कुमारी ने अपने आखिरी दिनों में अपनी गलतियों का पछतावा किया। उनके सौतेले बेटे ताज के अनुसार, जब वे मीना कुमारी से मिलने गए, तो उन्होंने उन्हें बेहद टूटे हुए और निराश हाल में पाया। उनकी आंखों में आंसू थे, और उनके लहजे में दर्द झलक रहा था।

मीना कुमारी ने उस वक्त कहा, “अल्लाह उन्हें कभी माफ नहीं करेगा, जिन्होंने मेरा घर बर्बाद किया।” उनका यह बयान उनकी टूटती उम्मीदों और बिखरे सपनों का आईना था। ये शब्द न केवल उनके व्यक्तिगत दुख को दर्शाते हैं, बल्कि उस फिल्म इंडस्ट्री को भी कटघरे में खड़ा करते हैं, जहां उन्होंने अपना सर्वस्व झोंक दिया, लेकिन बदले में अकेलापन ही पाया।

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