उपचुनाव में जीत के बाद इंदिरा गांधी को किया गया गिरफ्तार
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
देश की राजनीति में इंदिरा गांधी का एक मुकाम हमेशा रहेगा। आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी। देश की स्थिति में सरकार बदलने के बाद तत्काल कोई बहुत ठोस परिवर्तन नहीं नजर आया।
जहां तक कांग्रेस का सवाल था, उसमें विभाजन ज़रूर हुआ, पर प्रभावी धड़े की नेता एक बार फिर इन्दिरा गांधी चुन ली गईं। एक बात साफ़ होने में देर नहीं लगी कि बिना कहे आपात्कालीन ज़्यादतियों के लिए जो पश्चात्ताप उनके व्यवहार में स्पष्ट था, उसे देखते हुए, देश की जनता ने उन्हें क्षमा करने में देर नहीं लगाई।
8 नवम्बर को चिकमंगलूर के संसदीय उप-चुनाव के माध्यम से राजनीतिक जीवन में उनकी फिर वापसी हुई। लौटते ही दबदबा अपनी जगह। प्रमाण-सरकार ने जल्दबाज़ी में उन्हें 19 दिसम्बर को लोकसभा से निष्कासित करके उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। पलक झपकते ही इन्दिरा गांधी फिर सुर्खियों में।
सारा दिल्ली शहर इस बात की अटकल लगाने में व्यस्त कि उन्हें किस जेल में रखा जाएगा। ख़बर उड़ी कि उन्हें किंग्सवे कैम्प के रास्ते कहीं आगे ले जाया जाएगा। निर्मला जैन अपनी पुस्तक दिल्ली शहर दर शहर में लिखती हैं कि वो उस समय विश्वविद्यालय के इलाके में माल रोड पर रहती थी।
वर्तमान मेट्रो स्टेशन के ठीक सामने, लम्बी सड़क। उनके ले जाए जाने की खबरों के आधार पर अनुमानित समय के क़रीब, तमाम माल रोड वासी उनकी एक झलक देखने के लिए अपने घरों के बाहर सड़क पर नज़रें गड़ाए देर तक खड़े रहे।
जाहिर है, ले जानेवालों ने रास्ता बदला या एहतियात बरती कि आम जनता की नज़र उन पर न पड़े। बहुत दिनों तक उन्हें बन्द रखने की ताब सरकार में नहीं थी। सो एक सप्ताह के बाद 26 दिसम्बर को ही उन्हें रिहा कर दिया गया।