आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय शिक्षक संगठन ‘एएडीटीए’ ने डीयू में एडहॉक शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए अध्यादेश लाने की केंद्र सरकार से मांग की है। आम आदमी पार्टी के शिक्षक विंग के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू में 12 हजार शिक्षकों में 6 हजार टेम्पररी टीचर्स हैं, जो कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं। हाल ही में डीयू में इंटरव्यू प्रक्रिया में जो हटाने की प्रक्रिया देखने को मिली है, उसे कत्लेआम कहा जाएगा। करीब 72 -75 फीसद योग्य शिक्षकों के पास यूजीसी के नियमों के तहत योग्यता है, लेकिन एडहॉक व अस्थायी टीचर्स के रूप में कार्य करने वाले शिक्षकों को उनके पद से हटा दिया गया। कई वर्षों से दिल्ली महानगर में रह रहे इन शिक्षकों के पास मकान के किराए के लिए भी खर्चा नहीं है और न ही अपने बच्चों की स्कूल फीस औऱ ईएमआई दे सकते हैं।
बैंक से लोन लेकर मकान खरीदने वाले इन शिक्षकों के पास बैंक से नोटिस आ रहे हैं कि बैंक को पैसे दो या फिर घर खाली करें। उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए मामले में तुरंत हस्ताक्षेप किया और डीयू के कुलपति को पत्र के माध्यम से आपत्ति जताई है। डिप्टी सीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि दिल्ली सरकार के जो 28 कॉलेज हैं, जहां दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी हैं, उन कॉलेजों में डिसप्लेसमेंट नहीं होने देंगे। हम विश्वविद्यालय में डिसप्लेसमेंट के पक्षधर नहीं हैं। हम इसका विरोध करते हैं, हम अब्जॉर्प्शन चाहते हैं। हाल ही में पंजाब सरकार की ओर से पंजाब में इसी तरह का अब्जॉर्प्शन हुआ है। हम पंजाब सरकार को बधाई देते हैं कि उन्होंने एक सही और सकारात्मक कदम उठाया। यदि डीयू में एक भी डिस्पलेसमेंट होता है तो हमारी आवाज थमेगी नहीं, बल्कि एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में हमारी आवाज उठेगी। एडहॉक टीचर्स के लिए अब्जॉर्प्शन के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है।
आम आदमी पार्टी के शिक्षक विंग ‘एएडीटीए’ के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य नारायण मिश्रा ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस मौके पर आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदुस्तान की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी के रूप में जानी जाती है। डीयू में 12 हजार शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें 6 हजार टेंपररी टीचर्स हैं। ये शिक्षक कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं। इस दौरान कई बार कारणवश इंटरव्यू आयोजित नहीं हो पाए। हाल फिलहाल में दिल्ली विश्वविद्यालय में इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें जो डिस्प्लेसमेंट देखने को मिला उसे कत्लेआम कहा जाएगा। 72 से लेकर 75 फीसद योग्य शिक्षक जो कार्य कर रहे थे, इनके पास यूजीसी के नियमों के तहत योग्यता है। एडहॉक और अस्थायी टीचर्स के रूप में कार्य करने वाले इन शिक्षकों का इंटरव्यू लेकर उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है। उनकी क्या हालत होगी इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। वह कई वर्षों से दिल्ली महानगर में रह रहे हैं, उनके पास मकान के किराए के लिए भी खर्चा नहीं है। जिन लोगों ने बैंक से लोन लेकर मकान लिया था, उनके पास बैंक से नोटिस आ रहे हैं कि बैंक को पैसे दो या फिर घर खाली करे। ऐसी परिस्थिति में इंसान कैसे अपना जीवन चलाए, उनके साथ किसी भी तरह से मानवीय बर्ताव नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अभी हाल फिलहाल में भी जो कॉलेज में इंटरव्यू चल रहे हैं, इसमें 10 पद पर काम करने वाले 10 लोगों को एकसाथ हटा दिया जा रहा है। यह डूटा की जनरल बॉडी का फैसला था कि जो लोग जहां काम कर रहे हैं उन्हें हटाया नहीं जाएगा। वह सभी लोग योग्य हैं, अपने–अपने क्षेत्र में टॉपर्स हैं, इनके पास सभी डिग्री हैं और यह काफी समय से दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। हम इस मामले को माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जी के संज्ञान में लाए। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी ने इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि यह अच्छी चीज नहीं हो रही है, इस मामले पर तुरंत हस्ताक्षेप करना होगा।
आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को इस विषय में पत्र लिखा है। इस मामले में संज्ञान लेने के लिए हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का दिल से धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने शिक्षकों के दर्द को महसूस किया। डीयू के कुलपित को जो पत्र लिखा गया है उसमें उन्होंने साफ तरीके से यह बताया है कि विश्वविद्यालय में जो डिसप्लेसमेंट हो रहा है हम उसके पक्षधर नहीं है, हम इसका विरोध करते हैं। डिप्टी सीएम ने अपने पत्र में यह साफ लिखा है कि दिल्ली सरकार के जो 28 कॉलेज हैं, जहां दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी हैं, उन कॉलेजों में डिसप्लेसमेंट नहीं होने देंगे। हम अब्जॉर्प्शन चाहते हैं। हमारे लोग भी इस अब्जॉर्प्शन का समर्थन करेंगे। लेकिन आप इस प्रोसेस को फैसिलिटेट करिए। दिल्ली विश्वविद्यालय में 1977-78 में इसी प्रकार का अब्जॉर्प्शन हुआ था, जिसके तहत एक अध्यादेश 13 ए को टेंपरेरी रूप से बनाया गया था।
मनीष सिसोदिया जी ने भी इस पत्र में इसी बात का जिक्र किया है। वह चाहते हैं कि इस प्रकार का अध्यादेश बने। दिल्ली विश्वविद्यालय में जो कत्लेआम हो रहा है, जो टेंपरेरी टीचर आपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। वो जानता है कि लिस्ट कहीं से आ रही है। बाहर से एक्सपर्टस को बुलाया जाता है। उनके चुने हुए एक्सपर्ट्स किसी-किसी विश्वविद्यालयों से बुलाए जाते है। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टेंडर्स और कार्यशैली के प्रति उनका कोई अनुभव नहीं है। उनके द्वारा हो रहे लार्ज स्केल डिस्प्लेसमेंट पर इस पत्र के माध्यम से न केवल अकुंश लगेगा, बल्कि यह थमेगा।
उन्होंने कहा कि मैं अपील करता हूं कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय तुरंत इस पत्र को संज्ञान में लें। इस कत्लेआम को रोका जाए। जो एडहॉक टीचर्स के डिस्प्लेसमेंट है, आदमी जिंदा रहते रहते भी वो मर जाता है, क्योंकि अपने परिवार के रहने के लिए वो मकान का किराया भी नहीं दे सकता है, न अपने बच्चों की स्कूल की फीस और ईएमआई दे सकता है। वह किसी लायक नहीं रह जाता है। वह कैसे क्लासरूम में जाएगा। जिस एडहॉक पोजिशन पर वह काम रहा था, उस पद को भी उन्होंने खत्म कर दिया। वह कहीं का नहीं रह गया। हम चाहते हैं कि इसका अंत हो। हाल फिलहाल में पंजाब सरकार द्वारा पंजाब में इसी तरह का अब्जॉर्प्शन हुआ है। हम पंजाब सरकार का धन्यवाद करते हैं। साथ ही बधाई देते हैं कि उन्होंने एक सही और सकारात्मक कदम उठाया।
आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि यह दर्द वही समझ सकता है जो इस दौर से गुजरता है। अभी चुनाव है और हमारे लोग हमेशा वैल के अंदर गए है। डॉ. सीमा दास व हमारे एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों ने हमेशा वैल के अंदर जाकर धरना-प्रदर्शन किया है। वाइस चांसलर का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। उन्हें बाध्य करने की कोशिश की है कि नियम के ऊपर उनके अब्जॉर्प्शन को पास कराना चाहिए। लेकिन उनमें किसी भी तरह की मानवीय भावनाएं नहीं है। जैसे ही चुनाव खत्म होगा, हम इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करेंगे। यदि एक भी डिस्पलेसमेंट होता है तो हमारी आवाज थमेगी नहीं। बल्कि एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिड काउंसिल में हमारी आवाज उठेगी।
हम एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग चलने नहीं देंगे, अगर इस तरह के आमनावीय कार्य में वो लिप्त होते है और टीचर्स को हटाने की कोशिश करते हैं। वो शिक्षित समाज है। मुझे लगता है कि जिस तरह से वो कार्य कर रहे है उसका अंत होगा। मनीष सिसोदिया जी का पत्र एक मील का पत्थर साबित होगा। हम इस स्थिति में एडहॉक टीचर्स के साथ हैं। हम अरविंद केजरीवाल जी, मनीष सिसोदिया जी और केजरीवाल सरकार का सभी की तरफ से धन्यावाद करते हैं। एडहॉक टीचर्स के लिए अब्जॉर्प्शन के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है।