विचारों को प्रभावशाली उत्पादों/सेवाओं में बदलने में सहायता करेगी यह फेलोशिप
युक्ति इनोवेशन चैलेंज 2025 के माध्यम से होनहार स्टार्ट-अप्स के लिए ₹10 लाख तक की फंडिंग भी की जाएगी
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

AICTE: युवाओं में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने आज एआईसीटीई प्रोडक्टाइजेशन फेलोशिप (एपीएफ) और युक्ति इनोवेशन चैलेंज 2025 के चौथे संस्करण का शुभारंभ किया। एपीएफ का उद्देश्य छात्र इनोवेटर्स को उनके विचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों और सेवाओं में बदलने में सहायता करना है जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करते हैं। एपीएफ प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी)-आधारित परियोजनाओं पर काम करने वाले छात्रों को वित्तीय सहायता, मेंटरशिप और इनक्यूबेशन सहायता प्रदान करेगा जिससे उन्हें समाज के लिए प्रभावशाली, आगे की सोच वाले तकनीकी समाधान विकसित करने में सशक्त बनाया जा सके।
इस फेलोशिप को एआईसीटीई-अनुमोदित संस्थानों के छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें स्नातक, स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट कार्यक्रमों के साथ-साथ पिछले दो वर्षों में हाल ही में स्नातक करने वाले छात्र भी शामिल हैं। एपीएफ का उद्देश्य संरचित मेंटरशिप, वित्तीय सहायता और इनक्यूबेशन सहायता के माध्यम से पूरे भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है।
इस पहल की शुरुआत करते हुए, एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने कहा, “एपीएफ की शुरुआत भारत के उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को नवाचार और व्यावहारिक प्रभाव के केंद्र में बदलने के हमारे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल छात्रों के बेहतरीन विचारों को ऐसे उत्पादों और सेवाओं में बदलने में मदद करेगी जो वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करते हैं। संस्थानों के साथ फेलोशिप उन्हें अपने विचारों को समाधानों में बदलने के लिए आवश्यक संसाधनों, सलाह और बुनियादी ढाँचे के साथ मदद करेगी। संकाय और छात्र एक साथ मिलकर भारत को प्रोडक्टाइजेशन का राष्ट्र बना सकते हैं, जो आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विजन का लक्ष्य हासिल करने के लिए आवश्यक है।”
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ. अभय जेरे ने कहा, “नवाचार को केवल विचार के स्तर पर ही नहीं रुकना चाहिए। इसे ऐसे उत्पादों और समाधानों के रूप में समाज तक पहुंचना चाहिए जो सार्थक बदलाव ला सकें। एआईसीटीई की विभिन्न पहलों के माध्यम से हमें हजारों नवीन विचार प्राप्त होते हैं। इन्हें छात्रों की रचनात्मकता और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए संग्रहित किया जा सकता है। प्रोडक्टाइजेशन फेलोशिप केवल सिर्फ एक अनुदान नहीं है; यह युवा नवोन्मेषकों के लिए एक लॉन्चपैड है जो प्रौद्योगिकी और उद्यमिता में भारत के भविष्य को आकार देंगे। इस वित्तीय सहायता से, छात्र कुछ हद तक वित्तीय बाधाओं को पार करते हुए, अधिक आत्मविश्वास के साथ अपने नवाचारों को आगे बढ़ा सकेंगे।”
एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि यह कार्यक्रम उद्यमशीलता की सोच को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी विकास में तेजी लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि नवाचार समावेशी, मापनीय और टिकाऊ हो।
एआईसीटीई प्रोडक्टाइजेशन फेलोशिप (एपीएफ) की मुख्य विशेषताएं
– व्यापक वित्तीय सहायता: चयनित छात्र टीमों को प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (पीओसी) को परिवर्तित/रूपांतरित करने, प्रोटोटाइप बनाने, परीक्षण करने, बाजारों को मान्य करने और अपने नवाचारों का व्यावसायीकरण करने के लिए अधिकतम दो वर्षों (दो चरणों में) के लिए 37,000 रुपये की मासिक फेलोशिप मिलेगी।
– आकस्मिक अनुदान: प्रत्येक टीम उत्पाद विकास से संबंधित विविध खर्चों के लिए 50,000 रुपये तक के वार्षिक आकस्मिक अनुदान की हकदार होगी।
– लक्षित क्षेत्र: फेलोशिप ग्रीन टेक्नोलॉजी, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा, बिग डेटा, रोबोटिक्स, ब्लॉकचेन, सस्टेनेबल मोबिलिटी और हेरिटेज मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में नवाचारों को प्रोत्साहित करती है।
– राष्ट्रीय आउटरीच और समावेशिता: यह योजना चरण 1 में 500 टीमों और चरण 2 में 150 टीमों का समर्थन करेगी जो भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार आरक्षण मानदंडों का पूरी तरह से पालन करेगी।
– विशेषज्ञ चयन और निगरानी: प्रस्तावों की समीक्षा एआईसीटीई द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा हर दो साल में की जाएगी। प्रगति का मूल्यांकन तिमाही आधार पर किया जाएगा, और केवल सिद्ध क्षमता और प्रभाव वाली परियोजनाओं को ही समर्थन मिलना जारी रहेगा।
तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के अलावा, एपीएफ छात्रों को बौद्धिक संपदा अधिकारों, व्यवसाय मॉडलिंग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यावसायीकरण रणनीतियों के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करता है। ऐसे मामलों में जहां छात्र टीम इनक्यूबेशन केंद्रों से संबद्ध हैं, विस्तारित परियोजना सहायता और फेलोशिप के बाद निरंतरता को प्रोत्साहित किया जाएगा।
एपीएफ के साथ ही एआईसीटीई ने युक्ति इनोवेशन चैलेंज 2025 के चौथे संस्करण की भी घोषणा की, जो एआईसीटीई-एमआईसी ढांचे के तहत एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य युक्ति रिपॉजिटरी में पंजीकृत टेक्नोलॉजिकल रेडिनेस लेवल (टीआरएल) 4 और उससे ऊपर की प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों को बढ़ावा देना है। इस संस्करण में नवाचार और उद्यमिता (आईआईसी) संस्थान अपने सबसे आशाजनक नवाचारों में से 10 को नामांकित कर सकते हैं।
चयनित टीमें एक व्यापक कार्यक्रम में भाग लेंगी जिसमें अनुभवात्मक शिक्षा, विशेषज्ञ सलाह और संरचित मूल्यांकन शामिल होगा जो समस्या-समाधान फिट, उत्पाद-बाजार फिट और व्यवसाय मॉडल सत्यापन प्राप्त करने पर केंद्रित होगा। 5,000 से अधिक भाग लेने वाले नवाचारों को शुरू में बाजार सत्यापन पर सलाह दी जाएगी। अगस्त 2025 में 26 शहरों में आयोजित होने वाली आईआईसी क्षेत्रीय बैठकों के दौरान शॉर्टलिस्ट की गई प्रविष्टियों को पिच करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले नवाचारों को प्रोटोटाइप से लेकर प्रभावशाली स्टार्ट-अप तक की उनकी यात्रा में तेजी लाने के लिए एआईसीटीई और एमआईसी द्वारा प्रत्येक को ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।उद्यमी मानसिकता को बढ़ावा देने और जमीनी स्तर पर गहन तकनीकी नवाचार का समर्थन करने की दृष्टि से, एपीएफ और युक्ति चैलेंज दोनों ही शिक्षा, उद्योग और समाज के बीच की खाई को पाटने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।