कोलकाता की एक नौकरी, छिपी हुई पहचान और देश की सबसे ताकतवर महिला से फोन कॉल — ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि ‘सदी के महानायक’ के असली जीवन का अनकहा किस्सा है।
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Amitabh Bachchan: यह सन 1968 के आसपास की बात है, कोलकाता शहर के एक शांत ऑफिस में फोन की घंटी बजी। रिसेप्शनिस्ट ने आवाज लगाई — “बच्चन साहब, आपके लिए फोन है!”
फोन उठाते ही दूसरी तरफ से एक जानी-पहचानी आवाज आई —
“हैलो, इंदिरा आंटी बोल रही हूं…”
और यहीं से शुरू होती है एक ऐसी कहानी, जो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं।
अमिताभ बच्चन, उस समय कोलकाता में एक शिपिंग कंपनी में नौकरी कर रहे थे। किसी को नहीं बताया था कि वो मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं, और न ही यह कि देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें “इंदिरा आंटी” कहकर फोन करती हैं।
जब उस दिन राजभवन से एक सीनियर अधिकारी आया और बोला कि प्रधानमंत्री ने उन्हें कॉल किया है, लोग पहले तो चौंके — “प्रधानमंत्री कोलकाता आई हैं और अमिताभ बच्चन को फोन कर रही हैं?”
फोन पर इंदिरा गांधी ने उन्हें प्यार से इंदिरा आंटी कहकर बुलाया, उनका हालचाल पूछा और लंबी बात की।
फोन कटने के बाद ऑफिस के बॉस ने चकित होकर पूछा —
“ये इंदिरा आंटी कौन हैं? बड़ी फेमस लगती हैं, तुम्हारे सेहत की इतनी चिंता कर रही थीं!”

तब अमिताभ बच्चन ने झूठ बोलते हुए कहा —
“कोई खास नहीं… बस एक रिश्तेदार हैं…”
यही वो पल था जब उनके बॉस और साथी पहली बार समझ पाए कि इस शांत, कम बोलने वाले युवा के पीछे एक बहुत बड़ा नाम और उससे भी बड़ी विरासत छिपी है।
सचमुच, ‘एंग्री यंग मैन’ बनने से पहले, अमिताभ बच्चन ‘मिस्ट्री यंग मैन’ थे!
1968 में उन्होंने सबको चौंका दिया, जब उन्होंने एक्टिंग में जाने की घोषणा की — और फिर वही अमिताभ बच्चन आने वाले दशकों में सदी के महानायक बन गए।
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