पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित होगा दो दिवसीय अधिवेशन
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली:
भारत विकास परिषद, जो पिछले 62 वर्षों से “स्वस्थ समर्थ संस्कारित भारत” की परिकल्पना को साकार करने में जुटा है, अपना 31वां राष्ट्रीय अधिवेशन 28 और 29 दिसंबर 2024 को लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा, पंजाब में आयोजित करने जा रहा है। इस दो दिवसीय आयोजन में परिषद के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों कार्यकर्ता भाग लेंगे।
कार्यक्रम के उद्देश्य
राष्ट्रीय अधिवेशन में परिषद के कार्यों की समीक्षा, नई दिशा तय करना, और समाज में परिवर्तन के लिए पंचसूत्र – पर्यावरण, नागरिक कर्तव्य, सामाजिक समरसता, स्वदेशी, महिला सशक्तिकरण एवं कुटुंब प्रबोधन – को प्रभावी रूप से लागू करने पर चर्चा की जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस: प्रमुख बिंदु
इस अधिवेशन से पूर्व, दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में परिषद के शीर्ष नेतृत्व ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
वक्तव्य:
- राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री आदर्श कुमार गोयल (पूर्व न्यायमूर्ति, उच्चतम न्यायालय):
“आज समाज और परिवारों में संस्कार की सबसे अधिक आवश्यकता है। भारत विकास परिषद न केवल संस्कारों का प्रसार कर रहा है, बल्कि वंचितों को आत्मनिर्भर बनाने और पारिवारिक तनाव कम करने जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी कार्य कर रहा है।” - राष्ट्रीय संगठन मंत्री, श्री सुरेश जैन:
“अधिवेशन में सामाजिक समरसता, शिक्षा, चिकित्सा, और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर विचार होगा। यह मंच राष्ट्र निर्माण में संस्था की भूमिका को और प्रभावी बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगा।” - राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, श्री प्रेम शंकर सिंह:
उन्होंने मीडिया को अधिवेशन के दौरान जालंधर आने का अनुरोध किया और मीडिया सेंटर की व्यवस्था पर विस्तार से जानकारी दी।
मीडिया की भूमिका
राष्ट्रीय मीडिया प्रकल्प के वाइस चेयरमैन, श्री विपिन गुप्ता ने कहा कि परिषद के समाज परिवर्तन के प्रयासों को जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की अहम भूमिका रही है। उन्होंने अधिवेशन में मीडिया की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया।
भागीदारी और अपेक्षाएं
अधिवेशन में 3,500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह आयोजन विचारों के आदान-प्रदान, चिंतन, और भविष्य की रणनीतियों को विकसित करने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करेगा।
भारत विकास परिषद के इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य न केवल संगठन के कार्यों की समीक्षा करना है, बल्कि एक “संस्कारित भारत” के निर्माण में नए आयाम जोड़ना है।