नोवामैक्स की शुरुआत की दिलचस्प कहानी
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Business Idea: आज की युवा पीढ़ी में कई ऐसे उदाहरण हैं, जो साबित करते हैं कि अगर इरादा मजबूत हो और मेहनत की जाए, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण है हर्षित अग्रवाल की सफलता की कहानी। महज 26 साल की उम्र में नोएडा के हर्षित ने अपनी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से मात्र 6 साल में 164 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनी, नोवामैक्स (Novamax) की स्थापना की। आइए, जानते हैं उनके इस सफलता के सफर के बारे में।
1. कैसे शुरू हुई नोवामैक्स की यात्रा?
हर्षित का सफर 2018 में उस समय शुरू हुआ जब उन्होंने शारदा विश्वविद्यालय से बीबीए की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और अपने पिता के एयर कूलर व्यवसाय को एक नई दिशा देने का निर्णय लिया। हर्षित ने अपने पिता के अनब्रांडेड कूलर बिजनेस को नोवामैक्स ब्रांड में बदलने के लिए 6 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस निर्णय के बाद, सिर्फ पहले साल में कंपनी ने 3.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया। इसके बाद जो हुआ, वह किसी सपने से कम नहीं था।
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2. छोटे से स्टार्टअप से 164 करोड़ रुपये का बिजनेस
नोवामैक्स की शुरुआत महज 25 कर्मचारियों के साथ हुई थी, लेकिन अब यह कंपनी 350 से ज्यादा कर्मचारियों के साथ 15 गुना विकास कर चुकी है। 2023-24 में कंपनी ने 2.05 लाख कूलर बेचे और इसका टर्नओवर 164 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कंपनी के बढ़ते कारोबार का प्रमुख कारण इसकी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद, ग्राहकों के प्रति समर्पण और सही रणनीतियां थीं।
3. नोवामैक्स का विकास
हर्षित अग्रवाल की अगुवाई में, नोवामैक्स ने अब तक कई नए मुकाम हासिल किए हैं। कंपनी अब तक 2,000 यूनिट्स रोज़ उत्पादन करने में सक्षम है और जल्द ही अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 15,000 यूनिट्स प्रतिदिन करने वाली है। नोवामैक्स डेजर्ट कूलर, कमर्शियल कूलर और पर्सनल कूलर जैसे उत्पाद बनाती है, जो भारतीय बाजार में बेहद लोकप्रिय हैं। खासकर कमर्शियल कूलर की बिक्री में कंपनी ने शानदार सफलता हासिल की है।
4. नए उत्पाद और विस्तार
कंपनी ने अपने नए उत्पादन यूनिट के लिए 4,00,000 वर्ग फीट में एक तीन मंजिला इमारत नोएडा के BMIC औद्योगिक क्षेत्र में बनाई है। यह यूनिट अगले साल तक पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगा, जिससे कंपनी की उत्पादन क्षमता और भी बढ़ जाएगी।
5. हर्षित की सफलता की कुंजी
हर्षित का मानना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। उन्होंने हमेशा कठिन मेहनत, धैर्य और सही दिशा में काम करने को प्राथमिकता दी है। वे मानते हैं कि परिवार के समर्थन और सही मार्गदर्शन से कठिन परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है।
हर्षित अग्रवाल की यह कहानी यह सिद्ध करती है कि अगर आपके पास सही दिशा, लगन और मेहनत हो, तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते में नहीं आ सकती। आज वह सिर्फ 26 साल के हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से साबित कर दिया कि वह किसी भी बड़े उद्योगपति से कम नहीं हैं।
क्या आपने भी कभी अपनी मंजिल के लिए अपने सपनों का पीछा किया है? हर्षित की तरह, अगर हम अपने लक्ष्य पर फोकस करें, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।
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