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Business Idea: गोंडा की कुसुम मौर्य ने दादी से सीखा सिरका बनाने का हुनर, अब कर रही शानदार कमाई!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Business Idea: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के छोटे से गांव रायपुर की कुसुम मौर्य की कहानी एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे मेहनत, दृढ़ निश्चय और पारंपरिक विचारों को नया रूप देकर सफलता पाई जा सकती है। कुसुम ने सिरका बनाने का बिजनेस शुरू किया, जो आज न केवल गोंडा में बल्कि अन्य जिलों में भी लोकप्रिय हो चुका है। आइए जानते हैं कुसुम की सफलता की कहानी और उनके व्यवसाय के बारे में।

दादी से मिली सिरका बनाने की आइडिया

कुसुम को सिरका बनाने का आइडिया अपनी दादी से मिला, जो घर पर ही सिरका बनाती थीं। इस पारंपरिक कार्य को कुसुम ने खुद एक व्यवसाय में तब्दील कर दिया। कुसुम ने अपनी दादी के अनुभव से प्रेरित होकर सिरका बनाने की कला सीखी और इसे व्यवसाय में बदल दिया। आज उनका सिरका न केवल गोंडा बल्कि आसपास के जिलों में भी बिकता है, और ग्राहकों के बीच इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

कैसे बनता हैं सिरका?

कुसुम ने सिरका बनाने की विधि बहुत ही सरल और प्राकृतिक तरीके से शुरू की। सबसे पहले, गन्ना काटकर उसका रस निकाला जाता है। इस रस को 2-3 महीने तक स्टोर किया जाता है, जिससे सिरका तैयार होता है। कुसुम का कहना है कि गन्ने का सिरका सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है और यह पेट की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

इसके अलावा, कुसुम अपने सिरके में अलग-अलग फ्लेवर्स भी डालती हैं, जैसे कटहल, आम, लहसुन, धनिया और सौंफ। इन फ्लेवर्ड सिरकों की वजह से उनका उत्पाद बाजार में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया है। लोग इन्हें बड़ी मात्रा में खरीदते हैं क्योंकि ये सिरके स्वाद और सेहत दोनों में बेहतरीन होते हैं।

महिला सशक्तिकरण और रोजगार

कुसुम का सिरका बिजनेस केवल उनके लिए ही लाभकारी नहीं है, बल्कि यह कई महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया बन चुका है। आज कुसुम अपने इस बिजनेस के जरिए 10-12 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और उन्हें सिरका बनाने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं। इन महिलाओं के लिए कुसुम का बिजनेस न केवल आय का जरिया है, बल्कि यह उनके आत्मनिर्भर बनने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

व्यापार में सफलता और विस्तार

कुसुम के सिरका व्यवसाय ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है। वह सालाना 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। उनके सिरके की मांग न केवल गोंडा में, बल्कि आसपास के जिलों और ऑनलाइन भी बढ़ रही है। कुसुम अपने उत्पादों की पहचान बनाने के लिए नए-नए तरीके अपना रही हैं और इसके लिए वह डिजिटल मार्केटिंग का भी सहारा ले रही हैं।

आज उनका सिरका गोंडा के सभी दुकानों पर उपलब्ध है और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध है, जिससे उन्हें दूर-दराज के ग्राहकों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। इस सफलता से प्रेरित होकर कुसुम अब अपने बिजनेस को और बढ़ाने की योजना बना रही हैं।

भविष्य की क्या हैं योजना?

कुसुम का सपना है कि वह अपने सिरका व्यवसाय को पूरे देश में प्रसिद्ध करें और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार प्रदान करें। वह चाहती हैं कि लोग उनके सिरके को स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद के रूप में अपनाएं और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

तो ये रही कुसुम मौर्य की कहानी… जो यह दर्शाती है कि अगर किसी के पास अच्छे विचार और मेहनत हो, तो वह किसी भी पारंपरिक व्यवसाय को नया रूप देकर सफलता हासिल कर सकता है। कुसुम ने सिरका बनाने के व्यवसाय से ना केवल अपना भविष्य संवरने में मदद की, बल्कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

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