दिल्लीवासियों के लिए डरावनी याद है कंधार विमान अपहरण
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
दिल्ली अब क्षेत्रीय विभाजन और चुनावी दंगल का केंद्र बन चुका है। यहां की राजनीति का चेहरा भी बदल चुका है। जहां एक ओर उत्तर-दक्षिण और पूर्वी-पश्चिमी दिल्ली के उपविभाग हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्लीवासियों की बढ़ती संख्या उत्तर प्रदेश और हरियाणा की नागरिक हो चुकी है। साथ ही, 1999 के राजनीतिक संकट ने भारतीय राजनीति को गहरे तरीके से प्रभावित किया है।
दिल्ली का राजनीतिक परिपेक्ष्य अब पहले जैसा नहीं रहा। नगर निगम और विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं, जबकि संसद के चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति और विचारधाराओं का दबदबा बढ़ा है। दिल्ली में अब उत्तर प्रदेश और हरियाणा के नागरिकों की बड़ी संख्या है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से इन राज्यों के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं, न कि दिल्ली के साथ। इसके अलावा, दिल्ली और आसपास के क्षेत्र जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुड़गांव में रहनेवाले लोग दिल्लीवासी होने के बावजूद इन राज्यों के राजनीतिक दावेदार बन गए हैं।
दिल्ली की राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बावजूद देश की राजनीति अपनी गति से चलती रही। 1999 में वाजपेयी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव में एक वोट से पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद आम चुनावों में भाजपा गठबंधन वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई। इस दौरान भारत-पाकिस्तान के संबंधों में भी बदलाव आया, जब 2000 में दिल्ली से लाहौर के लिए बस सेवा शुरू हुई। हालांकि, यह दोस्ताना माहौल ज्यादा लंबा नहीं चला और पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण यह प्रयास निष्फल हो गया।
इसी बीच, दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की उड़ान का अपहरण कर कंधार में उतार दिया गया। इस घटना ने दिल्लीवासियों को गहरे मानसिक तनाव और अनिश्चितता में डाल दिया। इस अपहरण ने ना सिर्फ दिल्लीवासियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए, बल्कि भारतीय राजनीति और सरकार के आचरण पर भी उंगलियाँ उठाईं। इस घटना को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएँ आज भी फिल्म “ए वेडनेसडे” के रूप में उभरकर सामने आई हैं, जो सरकार के फैसलों और उनके निहितार्थों पर सवाल उठाती है।