ये दोनों मकान एक ही प्रकार के हैं। ये 48.5 फुट 35.25 फुट है, जो सिर से पैर तक संगमरमर के बने हुए हैं। हयातबख्श बाग के उत्तर का मकान सावन कहलाता है और दक्षिण का भादों। एक चबूतरा कुर्सी देकर बनाया गया है और उस पर 16 खंभे लगाकर एक दालान बनाया है, जिसमें दो दीवान पूर्व-पश्चिम की ओर हैं और दो बंगले हैं। इनके आगे और पीछे बीचोंबीच एक चौखंडी-सी बनी हुई है।

इसमें एक हौज संगमरमर का है। इस मकान में नहर बहिश्त आती है और हौज में चादर होकर पड़ती है और नहर इसमें से निकलकर आगे एक ओर चादर छूटती है और नहर में पड़ती है। इसका नाम भादों है। अब इस मकान में पानी आने का और चादरें छूटने का रास्ता बिल्कुल बंद हो गया है। इस मकान के हौज और चादरों में महराबी छोटे-छोटे ताक बना दिए हैं।

दिन को उनमें गुलदान रखे जाते थे और रात को रोशनी हुआ करती थी। उसके ऊपर से पानी की चादर पड़ती थी। इसकी छत के चारों कोनों पर भी चार बुर्जियां चौखंडी सुनहरी बनी हुई हैं। सावन का मकान भी भादों की तरह है। उसी प्रकार की चादर बनी हुई है और हौज भी हैं और उसी तरह गुलदान और चिराग रखने के आले हैं। पानी के गिरने से जो शोर होता है, वह सावन की वर्षा के समान होता है। इसीलिए इसका यह नाम पड़ा है।

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