delhi red fort blast
delhi red fort blast

हताशा में किया गया लाल किला धमाका, ‘डॉक्टरआतंकियों के असली मंसूबे थे खतरनाक

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Delhi red fort blast: सोमवार को लाल किला के निकट हुआ विस्फोट एक सामान्य घटना नहीं थी। शुरुआती जांच में ही यह बात सामने आ गई कि यह महज एक आतंकी वारदात का ‘ट्रेलर’ नहीं, बल्कि हताशा में उठाया गया एक कदम था। सुरक्षा एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह विस्फोट पूरे आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद, पकड़े जाने के डर से, आखिरी प्रयास के रूप में किया गया था। आतंकियों की योजना कहीं अधिक गंभीर, भयावह और बड़े हमले की थी, जिसका केंद्र लाल किला का इलाका कतई नहीं था। इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिए कैसे 3000 किलोग्राम विस्फोटक जमा करने वाले एक खतरनाक मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ और उनका असली ‘मेगा टारगेट’ क्या था।

मॉड्यूल का पर्दाफाश: 3000 KG विस्फोटक की बरामदगी

जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई ने देश को एक बड़े खतरे से बचा लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उनकी टीम पिछले लगभग 15 दिनों से ‘डॉक्टर मुजम्मिल’ और ‘डॉक्टर शाहीन’ नामक संदिग्धों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही थी।

  • सफलता की कहानी: खुफिया जानकारी के आधार पर फरीदाबाद में एक बड़ी कार्रवाई की गई।
  • बरामदगी: इस कार्रवाई में न केवल 3,000 किलोग्राम विस्फोटक की भारी मात्रा बरामद की गई, बल्कि मॉड्यूल से जुड़े आठ आतंकियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार भी किया गया।

इस विस्फोटक की मात्रा अपने आप में ही बताती है कि आतंकियों के इरादे कितने घातक थे। 3000 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किसी छोटे-मोटे या भीड़-भाड़ वाले इलाके को निशाना बनाने के लिए नहीं किया जाता।

लाल किला विस्फोट: डिसट्रैक्शनया हताशा?

लाल किला के पास विस्फोट करने वाले आतंकी की पहचान डॉक्टर उमर के रूप में हुई है। यह विस्फोट उसके साथियों की गिरफ्तारी और फरीदाबाद में 3000 किलो विस्फोटक की बरामदगी के बाद किया गया था।

हताशा में उठाया गया कदम

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि जैसे ही डॉ. उमर को अपने साथियों की गिरफ्तारी और बारूद के जखीरे के जब्त होने की खबर मिली, उसे यह स्पष्ट हो गया कि उसका “खेल खत्म हो गया है।” उसे डर था कि फरीदाबाद में वह कभी भी गिरफ्तार हो सकता है।

  • योजना में बदलाव: इसी हताशा और गिरफ्तारी से बचने के लिए डॉ. उमर सुबह-सुबह फरीदाबाद से दिल्ली आया।
  • अंजाम: पूरे दिन इंतजार करने के बाद, शाम के समय उसने लाल किला के पास I-20 कार में रखे विस्फोटकों में विस्फोट कर दिया।
  • असली मकसद नहीं: यह साफ है कि लाल किला का इलाका उनका असली टारगेट नहीं था, बल्कि यह केवल सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान भटकाने और अपनी हताशा जाहिर करने का एक असफल प्रयास था।

विस्फोटकों की प्रकृति: साफ़ संकेत

लाल किला धमाके में इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों की प्रकृति भी इस बात की पुष्टि करती है कि यह विस्फोट केवल हताशा में किया गया था।

  • घातकता की कमी: विस्फोटकों में न तो कीलें (Nails), न डेटोनेटर, न टाइमर, और न ही अन्य जानलेवा चीजें मिलाई गई थीं।
  • विश्लेषण: आतंकी आमतौर पर भीड़भाड़ वाले इलाकों में अधिकतम हताहतों के लिए विस्फोटकों में कीलें, छर्रे आदि मिलाते हैं, ताकि विस्फोट घातक बन जाए और दूर तक लोगों को अपनी चपेट में ले ले।
  • अधिकारी ने स्पष्ट किया कि लाल किला में इस्तेमाल विस्फोटक को भीड़भाड़ वाले स्थान के लिए तैयार नहीं किया गया था। इसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए तैयार किया जा रहा था, लेकिन साथियों की गिरफ्तारी ने उमर को इसे अधूरा ही इस्तेमाल करने पर मजबूर कर दिया।

3000 KG बारूद का असली टारगेट क्या था?

3000 किलो विस्फोटक, बड़ा हमला, टारगेट

यह सबसे बड़ा और गंभीर सवाल है। यदि लाल किला टारगेट नहीं था, तो 3000 किलोग्राम विस्फोटक जमा करने का असली उद्देश्य क्या था?

वरिष्ठ अधिकारी और इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार, आतंकियों के पास स्पष्ट निर्देश केवल विस्फोटकों और हथियारों को इकट्ठा करने का था। उन्हें यह नहीं बताया गया था कि इनका इस्तेमाल कहाँ और कैसे करना है। टारगेट तय होने के बाद ही इनका उपयोग किया जाना था।

  • बड़ी योजना: 3000 किलो की मात्रा यह बताती है कि उनकी योजना एक बड़ा ‘मेगा अटैक’ करने की थी।
  • इस्तेमाल का तरीका: यह स्पष्ट है कि इन विस्फोटकों का उपयोग कई गाड़ियों में, या फिर किसी एक बहुत बड़ी गाड़ी (जैसे ट्रक या कंटेनर) में रखकर किसी अति-संवेदनशील और महत्वपूर्ण स्थान को निशाना बनाने की थी।
  • संभावित लक्ष्य: आमतौर पर इस तरह के बड़े विस्फोटक का इस्तेमाल महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों, उच्च-सुरक्षा वाले सैन्य या पुलिस बेस, या फिर किसी ऐसे स्थान पर किया जाता है जहाँ एक ही झटके में अधिकतम तबाही मचाई जा सके। फरीदाबाद से विस्फोटक की बरामदगी, और दिल्ली में आकर विस्फोट करना, यह बताता है कि दिल्ली और उसके आसपास के बड़े रणनीतिक प्रतिष्ठान उनके निशाने पर हो सकते थे।

खुफिया बातचीत और पूछताछ में भी यह साफ नहीं हो पाया है कि अंतिम टारगेट क्या था, लेकिन एजेंसियों का मानना है कि यह भारत की राजधानी या किसी अन्य बड़े आर्थिक केंद्र को दहलाने की एक घातक और व्यापक साजिश थी।

अन्य हथियारों की बरामदगी

सिर्फ विस्फोटक ही नहीं, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों से अन्य हथियार इकट्ठा करने की भी ठोस जानकारी मिली थी और उन्हें बरामद भी किया गया।

  • तैयारी: इन आतंकियों के पास हथियार और बारूद इकट्ठा करने के स्पष्ट निर्देश थे, जो यह दर्शाता है कि उनकी तैयारी केवल एक विस्फोट तक सीमित नहीं थी, बल्कि अधिक बड़ी और समन्वित कार्रवाई की थी।

चौकसी और सुरक्षा का महत्व

यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए हमारी खुफिया एजेंसियां और पुलिस बल कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने 15 दिनों की कड़ी निगरानी के बाद जिस खतरनाक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया, उसने देश को एक बड़ी तबाही से बचा लिया। लाल किला का विस्फोट एक सबक है कि आतंकी हताशा में भी बड़े ‘डिसट्रैक्शन’ पैदा कर सकते हैं, लेकिन 3000 किलो बारूद का जखीरा और ‘डॉक्टर’ आतंकियों की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां हमेशा चौकस हैं।

Q&A:

Q1: लाल किला के पास हुआ धमाका आतंकियों का असली टारगेट क्यों नहीं था?

A1: वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह विस्फोट आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद ‘डॉक्टर उमर’ द्वारा हताशा में किया गया था। इसमें प्रयोग किए गए विस्फोटक में कीलें या टाइमर जैसी घातक चीजें नहीं मिलाई गई थीं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह भीड़भाड़ वाले इलाके में ज्यादा नुकसान के लिए नहीं बनाया गया था।

Q2: आतंकियों ने कितना विस्फोटक जमा किया था और इसे कहाँ से बरामद किया गया?

A2: आतंकियों ने भारी मात्रा में 3,000 किलोग्राम विस्फोटक और अन्य हथियार जमा किए थे, जिसे जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने फरीदाबाद से बरामद किया।

Q3: ‘डॉक्टर उमरने लाल किला धमाका क्यों किया?

A3: ‘डॉक्टर उमर’ ने अपने साथियों की गिरफ्तारी और 3000 किलो विस्फोटक की बरामदगी के बाद पकड़े जाने के डर से हताशा में यह विस्फोट किया, ताकि वह भाग सके या सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान भटका सके।

Q4: 3000 किलो विस्फोटक का असली टारगेट क्या हो सकता था?

A4: 3000 किलोग्राम विस्फोटक की मात्रा बताती है कि योजना एक ‘मेगा अटैक’ की थी। इसका उपयोग एक बड़ी गाड़ी में करके दिल्ली या उसके आसपास के किसी अति-संवेदनशील सरकारी या रणनीतिक प्रतिष्ठान को निशाना बनाने की योजना हो सकती थी।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here