धर्म का उल्लंघन नहीं, आध्यात्मिक लाभ उठाएं
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
premanand ji maharaj: दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है, लेकिन आजकल इसे कई लोग जुआ खेलने का अवसर मानते हैं। प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने इस परंपरा की आलोचना करते हुए कहा है कि दीपावली जैसे पवित्र पर्व पर जुआ खेलना अनुचित है और यह धर्म के मूल्यों के विरुद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस परंपरा में कलयुग का वास है और इससे आध्यात्मिक हानि होती है।
महाराज जी का कहना है कि दीपावली के अवसर पर जुआ आदि के माध्यम से लोग अनजाने में पाप के मार्ग पर चल पड़ते हैं। वे बताते हैं कि धर्मशास्त्रों में कहीं भी जुआ खेलने का समर्थन नहीं किया गया है, और इसे एक ऐसा अपराध माना गया है जो हमारे मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
महाराज जी ने कहा, “साल भर न सही, पर दीपावली पर तो आत्मानुभव करें। इस दिन को आध्यात्मिक साधना के रूप में बिताएं, अपने प्रिय प्रभु का स्मरण करें, और भगवान के नाम का जप करें।”
उनके अनुसार, दीपावली की रात भगवान का नाम लेकर प्रार्थना और मंत्र-जप करना, रात्रि 12 बजे तक करना विशेष लाभकारी है। इसके माध्यम से व्यक्ति को शुद्धि मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महाराज जी ने कहा कि जुआ खेलने की जगह दीपावली को साधना और ईश्वर भक्ति में बिताना चाहिए, जिससे कई गुना पुण्य और आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है।
दीपावली का यह संदेश हर व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि समाज इस पर्व को सच्चे अर्थों में मना सके और धर्म का पालन कर सके।