कश्मीरी दरवाजे के पास बाजार में यह मस्जिद सड़क के किनारे पर है। यह मस्जिद कुनेज फातमाह उर्फ फखरुलनिसा बेगम ने अपने पति शुजाअत खां की यादगार में 1728-29 ई. में बनवाई थी। शुजाअत खां औरंगजेब के अहद में बड़े उमराओं में से था। इसका असल नाम रौद अंदाज बेग था। शुजाअत खां का इसे खिताब मिला था। यह अफगानों की लड़ाई में मारा गया था।

मस्जिद का चबूतरा 40 फुट * 41 फुट का है और आठ फुट ऊंचा है। मस्जिद के पूर्व की ओर पांच दुकानें सड़क की तरफ बनी हुई हैं। सहन में संगमरमर का फर्श है, जिसके गिर्द एक छोटी-सी मुंडेर है। सहन तीन ओर से घिरा हुआ है और चौथी और पश्चिम में मस्जिद बनी हुई है। उत्तर और दक्षिण में संदरियां 23 फुट 18 फुट की हैं, और आठ फुट ऊंची हैं। इन सैदरियों में एक हुजरा भी हैं। स

हन से मस्जिद ढाई फुट ऊंची है। इसके तीन दर बंगड़ीदार महराबों के हैं। मस्जिद के आगे के भाग में तमाम संगमरमर लगा हुआ है, जिसमें लाल पत्थर की पट्टियां पड़ी हैं। छत के आगे भी संगमरमर का कंगूरा है। मस्जिद की दो मीनार हैं। इन पर अठपहलू बुर्जियां और सुनहरी कलस हैं। मस्जिद के अंदर का फर्श संगमरमर का है और मुसल्लों पर लाल पत्थर की तहरीर है। फर्श जमीन से साढ़े चार फुट तक दीवारों में संगमरमर लगा हुआ है। इससे ऊपर भूरा पत्थर है। 1857 ई. के गदर में चूंकि कश्मीरी दरवाजे पर बड़ा मारका था और यह मस्जिद वहीं करीब में है, इसलिए गोलों की मार से यह बच न सकी। मस्जिद का सदर फाटक उत्तर-पूर्व के कोने में है। मस्जिद की आठ सीढ़ियां हैं। कुछ सीढ़ियां दरवाजे की छत में आ गई हैं। दरवाजे की बीच की महराब पर मस्जिद का नाम और एक कुतबा लिखा हुआ है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here