बेगमपुर की मस्जिद के मुकाबिल से आधा मील पूर्व में शेख फरीद बुखारी का मकबरा है, जिसे जहांगीर के काल में मुरतजा खां के नाम से पुकारते थे। अकबर के काल में इसे पहले मीर बख्शी के स्थान पर लगाया गया। अकबर की मृत्यु के बाद यह जहांगीर के मददगारों में रहा। इसने ही शाहजहां खुसरो को व्यास नदी के किनारे पराजित किया था।
इसी के ऐवज में इसे मुरतजा खां की उपाधि मिली और इसे गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया। इसके बाद यह पंजाब का सूबेदार बनाया गया। पाकपट्टन में 1615 ई. में इसकी मृत्यु हुई और बेगमपुर में दफन किया गया। कब्र के ऊपर कोई मकबरा रहा होगा। अब तो संगमरमर की कब्र है। यह सात फुट लंबी और 3 फुट 8 इंच चौड़ी है। और 20 इंच ऊंची। सिरहाने की तरफ एक पत्थर सात फुट ऊंचा 20 इंच चौड़ा लगा हुआ है, जिस पर कोई लेख खुदा हुआ है।