swami shailendra saraswati
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75% छात्रों को क्यों नहीं लगती पढ़ने में रुचि? जबरदस्ती की एकाग्रता क्यों है व्यर्थ और कैसे महान विभूतियों ने तोड़ी शिक्षा के पारंपरिक पैमाने?

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

How to Concentrate in Studies?: क्या आप भी उस विशाल समूह में शामिल हैं जहाँ पढ़ाई में एकाग्रता (Concentration in Studies) बनाना एक पहाड़ चढ़ने जैसा लगता है? स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती के अनुसार, यह समस्या आपकी नहीं, बल्कि हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली की है। उनका कहना है कि लगभग 75% छात्रों को पढ़ाई-लिखाई में कोई सहज रुचि (Interest) नहीं होती और एकाग्रता केवल उस विषय में हो सकती है जो व्यक्ति अपनी जन्मजात प्रतिभा (Innate Talent) के रूप में लेकर आया है। यह लेख उस गहन दर्शन को उजागर करता है कि कैसे अपनी प्रतिभा को पहचानना और उस पर कार्य करना ही वास्तविक एकाग्रता और जीवन में तृप्ति का एकमात्र मार्ग है।

1. एकाग्रता का भ्रम: रुचि ही एकाग्रता की जननी है

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती स्पष्ट करते हैं कि एकाग्रता कोई जबरन लगाई जाने वाली क्रिया नहीं है, बल्कि यह रुचि का एक स्वाभाविक परिणाम है। जहाँ रुचि नहीं है, वहाँ ज़बरदस्ती एकाग्रता साधने की कोशिश करना व्यर्थ है।

  • 75% का सच: यह एक कड़वा सच है कि बहुसंख्यक छात्र-छात्राओं को गणित, विज्ञान या भाषा जैसे पारंपरिक विषयों में कोई रुझान नहीं होता। वे केवल सामाजिक दबाव में एकाग्रता साधने का ढोंग करते हैं।
  • जन्मजात रुझान: व्यक्ति अपने साथ जन्मजात प्रतिभाओं के बीज लेकर आता है—किसी की रुचि खेल में है, किसी की संगीत में, किसी की कला में। इन्हें उत्पन्न नहीं किया जा सकता, केवल सींचा जा सकता है।
  • प्रकृति के नियम: हम सारे बच्चों को एक ही विषय पढ़ने के लिए विवश करते हैं, यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध है। यह ऐसा ही है जैसे सभी बीजों से एक ही प्रकार का फूल उगाने की अपेक्षा करना।

2. महान विभूतियों का उदाहरण: शिक्षा प्रणाली की कसौटी पर फेल

इतिहास साक्षी है कि दुनिया के कई महानतम प्रतिभाशाली लोग हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली की कसौटी पर असफल साबित हुए थे, क्योंकि उनका रुझान दूसरी दिशा में था।

व्यक्तित्वशिक्षा में स्थितिप्रतिभा का क्षेत्र
रवींद्रनाथ टैगोरहाई स्कूल पास नहीं हुए (मैट्रिक फेल)।काव्य, संगीत (रवींद्र संगीत), नाटक, साहित्य (नोबेल पुरस्कार विजेता)।
थॉमस अल्वा एडिसनस्कूल ने नालायक घोषित कर दिया; माँ ने घर पर पढ़ाया।एक हज़ार से अधिक आविष्कारों का पेटेंट (बिजली, फोनोग्राफ)।
अल्बर्ट आइंस्टीनस्कूल में मंदबुद्धि समझा जाता था, गणित शिक्षक नाराज़ रहते थे।महानतम भौतिकशास्त्री और गणितज्ञ (सापेक्षता का सिद्धांत)।
सचिन तेंदुलकरमैट्रिक पास नहीं।विश्वस्तरीय क्रिकेट।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि उनकी टैलेंट को स्कूल के औपचारिक ढांचे ने नहीं पहचाना, बल्कि उन्होंने अपनी सहज रुचि की दिशा में काम किया। एडिसन की माँ की समझदारी ने उन्हें बचा लिया, और आइंस्टीन ने पुराने भौतिक सिद्धांतों को उलट कर रख दिया।

3. शिक्षा प्रणाली का विचित्र मजाक: मछली से पेड़ पर चढ़ने को कहना

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती ओशो के उस प्रसिद्ध मजाक का जिक्र करते हैं, जहाँ शिक्षा प्रणाली को एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया गया है जहाँ “मछलियों से कहा जाता है कि पेड़ पर चढ़ना सीखो, और बंदरों से कहा जाता है कि गहरे पानी में तैरना सीखो।”

  • टैलेंट का दमन: हमारी शिक्षा, प्रतिभाओं को विकसित करने के बजाय, उन्हें समाप्त करने का काम कर सकती है। न्यूटन का उदाहरण यही बताता है: यदि वह तनावपूर्ण क्लासरूम में होता, तो वह सेब को गिरते देखकर गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) के नियम की खोज शायद नहीं कर पाता।
  • बाहर की खोजें: दुनिया के अधिकांश बड़े वैज्ञानिक आविष्कार और साहित्यिक रचनाएँ (जैसे गीतकार, जिनके पास कोई डिग्री नहीं थी) यूनिवर्सिटी के बाहर, अपनी सहज जिज्ञासा और रुचि के कारण हुए हैं।

4. समाधान: स्वयं को दोष न दें, अपनी प्रतिभा पर कार्य करें

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती साधकों को यही मार्गदर्शन देते हैं: यदि पढ़ाई में एकाग्रता नहीं सध रही है, तो स्वयं को दोष देना बंद करें।

  • आत्म-खोज: यह जानें कि आपकी रुचि किस दिशा में है। किस काम को करते हुए आपको आनंद और तृप्ति मिलती है, और समय का पता नहीं चलता?
  • प्रतिभा का पोषण: अपनी रुचि के क्षेत्र में खाद-पानी डालें। अपने जन्मजात बीज को पोषित करें। जब आप अपनी प्रतिभा पर कार्य करेंगे, तो एकाग्रता (Concentration) स्वाभाविक रूप से सध जाएगी।
  • परिवार को समझाएं: माता-पिता और समाज को यह समझना होगा कि बच्चों को उनकी दिशा में सहयोग (Support) करना ही हमारा कर्तव्य और प्रेम है, न कि उन्हें एक ही ढर्रे पर चलाने की कोशिश करना।

एकाग्रता का रहस्य किसी अभ्यास में नहीं, बल्कि आपके भीतर की रुचि और जन्मजात प्रतिभा को पहचानने में है। इसी मार्ग पर चलकर जीवन में आनंद और तृप्ति प्राप्त हो सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती एकाग्रता न आने पर किसको दोष देने से मना करते हैं?

A1. वह छात्रों को स्वयं को दोष देने से मना करते हैं, और इसके बजाय उस शिक्षा प्रणाली को दोष देने की बात करते हैं जो बच्चों की रुचि और जन्मजात प्रतिभा को अनदेखा कर सबको एक ही ढांचे में ढालने की कोशिश करती है।

Q2. एकाग्रता (Concentration) लाने का सबसे प्रभावी तरीका क्या है?

A2. स्वामी जी के अनुसार, किसी तकनीक से एकाग्रता लाने के बजाय, अपने रुचि और रुझान वाले विषय या कार्य में संलग्न हो जाएं। रुचि वाले कार्य में एकाग्रता स्वतः और गहरी होती है।

Q3. रवींद्रनाथ टैगोर और सचिन तेंदुलकर का उदाहरण क्यों दिया गया है?

A3. ये दोनों ही महान विभूतियाँ औपचारिक शिक्षा प्रणाली (मैट्रिक फेल) की कसौटी पर खरी नहीं उतरीं, लेकिन अपनी जन्मजात प्रतिभा (साहित्य/खेल) पर कार्य करके विश्व प्रसिद्ध हुईं। यह दर्शाता है कि वास्तविक सफलता डिग्री की मोहताज नहीं है।

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