यह मस्जिद मुबारक शाह के मकबरे के पास मुबारकपुर से एक मील दक्षिण में स्थित है, जिसे सिकंदर लोदी ने 1488 ई. में बनवाया था।

मस्जिद के पास एक बहुत बड़ी बावली भी बनाई गई थी। इसी मस्जिद के नमूने पर शेरशाह के पुराने किले में और कुतुब में जमाली मस्जिद बनी। मस्जिद का सदर दरवाजा और उसकी हिंदू तर्ज की महराब बड़ी आलीशान है। यह मस्जिद लोदियों के जमाने की इमारतों का एक अच्छा नमूना है। इसका चबूतरा छह फुट ऊंचा है और इसकी लंबाई व चौड़ाई 130 फुट तथा 30 फुट है। चबूतरे के गुंबद की चोटी तक 60 फुट ऊंची है। इसमें पांच दर हैं और इधर-उधर दो दर छोटे-छोटे और हैं, जिनमें सीढ़ियां बनी हुई हैं। छत पर तीन गुंबद है। इसका नाम मोठ की मस्जिद पड़ने की एक कहानी है। कहते हैं, किसी को रास्ता चलते मोठ का एक दाना पड़ा मिल गया। उसे उठाकर उसने बो दिया। जो दाने निकले, वे फिर बो दिए गए। चंद वर्षों में पैदावार से बहुत रुपये जमा हो गए, जिनसे यह मस्जिद बनी।

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