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सदगुरु ओशो के अनुज स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के सानिध्य में साल्टलेक के मेवाड़ बैंक्वेट हॉल में होगा भव्य आयोजन, तैयारियां हुईं शुरू

नई दिल्ली, 22 सितम्बर।

ओशो ध्यान-सत्संग कोलकाता में 2 नवम्बर को, सदगुरु ओशो के अनुज स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के सानिध्य में मानसिक शांति और स्वस्थ जीवन की कला सीखें।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ हर व्यक्ति तनाव, चिंता और मानसिक अशांति से जूझ रहा है, वहीं सदगुरु ओशो की शिक्षाएं एक नई सुबह की तरह सुकून और आनंद का मार्ग दिखाती हैं। ओशो ने दुनिया को ध्यान और उत्सव के माध्यम से एक शांत, प्रसन्न और स्वस्थ जीवन जीने की जो कला सिखाई, उस पर चलकर आज लाखों लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए, महानगर कोलकाता में 2 नवम्बर को एक विशेष सत्संग एवं ओशो ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य आम जनता को ओशो की ध्यान विधियों की गहराइयों से परिचित कराना है।

क्यों खास है यह आयोजन? स्वामी शैलेंद्र सरस्वती का मिलेगा सानिध्य

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका नेतृत्व स्वयं सदगुरु ओशो के अनुज, स्वामी शैलेंद्र सरस्वती करेंगे। स्वामी शैलेंद्र ने ओशो के साथ लंबा समय बिताया है और उनकी शिक्षाओं की गहरी और सरल व्याख्या के लिए जाने जाते हैं। उनकी उपस्थिति इस कार्यक्रम को एक अनूठा अवसर बनाती है, जहाँ साधक सीधे ओशो के परिवार के एक सदस्य से उनकी प्रज्ञा को समझ सकते हैं।

shailendra saraswati
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आयोजन की तैयारियों को लेकर गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वामी शैलेंद्र सरस्वती जी सोनीपत, हरियाणा से विशेष रूप से 1 नवंबर को कोलकाता पधारेंगे। यह जानकारी कार्यक्रम के आयोजक बोधि राजकुमार ने दी। उन्होंने बताया कि स्वामी जी 3 नवंबर तक कोलकाता में रुकेंगे और इस दौरान वे सत्संग और ध्यान कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप देंगे, ताकि भाग लेने वाले हर व्यक्ति को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हो सके।

क्या है ओशो ध्यान और आज क्यों है यह इतना प्रासंगिक?

अक्सर जब हम ‘ध्यान’ शब्द सुनते हैं, तो हमारे मन में किसी शांत कोने में आंखें बंद करके बैठने की छवि बनती है। लेकिन ओशो ने ध्यान को एक वैज्ञानिक और समकालीन रूप दिया। उन्होंने ऐसी कई सक्रिय ध्यान विधियां (Active Meditations) विकसित कीं जो आज के आधुनिक इंसान के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई हैं। ये विधियां पहले शरीर और मन में दबे हुए तनाव और भावनाओं को बाहर निकालने में मदद करती हैं, जिससे व्यक्ति के लिए मौन और शांति में उतरना आसान हो जाता है।

कोलकाता जैसे महानगर में, जहाँ जीवन की गति तेज है और प्रतिस्पर्धा का दबाव अधिक है, ओशो की ध्यान विधियां किसी वरदान से कम नहीं हैं। यह केवल एक आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि तनाव प्रबंधन (Stress Management) और भावनात्मक संतुलन (Emotional Balance) का एक शक्तिशाली उपकरण है।

साधकों को क्या मिलेगा?

2 नवम्बर को साल्टलेक स्थित मेवाड़ बैंक्वेट हॉल में होने वाला यह कार्यक्रम केवल एक प्रवचन नहीं होगा, बल्कि एक जीवंत अनुभव होगा। इसमें शामिल होने वाले साधकों को:

  • सरल ध्यान तकनीकों को सीखने का मौका मिलेगा, जिन्हें वे अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
  • स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के सत्संग के माध्यम से जीवन के गूढ़ प्रश्नों, जैसे- खुशी क्या है, भय से मुक्ति कैसे पाएं, और संबंधों को कैसे बेहतर बनाएं, पर नई दृष्टि मिलेगी।
  • प्रश्न-उत्तर सत्र में अपने मन की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान पाने का अवसर मिलेगा।
  • समान विचारधारा वाले लोगों के एक समूह के साथ ऊर्जा और उत्सव से भरे माहौल का अनुभव होगा।

यह कार्यक्रम उन सभी के लिए खुला है जो अपने जीवन में अधिक जागरूकता, शांति और आनंद लाना चाहते हैं, चाहे उन्होंने पहले कभी ध्यान किया हो या नहीं।

सदगुरु ओशो का मार्ग जीवन से पलायन का नहीं, बल्कि जीवन को पूरी समग्रता में जीने का है। कोलकाता में आयोजित यह ध्यान-सत्संग कार्यक्रम इसी कला को सीखने का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है। यह एक मौका है अपनी आंतरिक शांति से जुड़ने और जीवन को एक नए नजरिए से देखने का।

Q&A:

प्रश्न 1: यह कार्यक्रम कब और कहाँ हो रहा है?

उत्तर: यह कार्यक्रम 2 नवम्बर को कोलकाता के साल्टलेक स्थित मेवाड़ बैंक्वेट हॉल में आयोजित होगा।

प्रश्न 2: इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण क्या है?

उत्तर: कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सदगुरु ओशो के छोटे भाई, स्वामी शैलेंद्र सरस्वती जी की उपस्थिति और उनका सत्संग है, जो participants को ओशो की शिक्षाओं की गहरी समझ प्रदान करेंगे।

प्रश्न 3: इस कार्यक्रम में कौन भाग ले सकता है?

उत्तर: यह कार्यक्रम सभी के लिए खुला है। कोई भी व्यक्ति जो मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति और आत्म-खोज में रुचि रखता है, इसमें भाग ले सकता है।

प्रश्न 4: क्या इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहले से ध्यान का अनुभव होना जरूरी है?

उत्तर: नहीं, बिल्कुल भी नहीं। यह कार्यक्रम नए और अनुभवी, दोनों तरह के साधकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें ध्यान की सरल तकनीकें सिखाई जाएंगी।

प्रश्न 5: इस कार्यक्रम से क्या लाभ हो सकते हैं?

उत्तर: इस कार्यक्रम में भाग लेने से तनाव और चिंता में कमी, मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक संतुलन और जीवन के प्रति एक अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण जैसे कई लाभ हो सकते हैं।

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