रोशनआरा बाग (1650 ई.) का इतिहास

यह बाग शहर के बाहर सब्जीमंडी की तरफ है। इस बाग को शाहजहां की बीबी सरहदी बेगम और छोटी लड़की रोशनआरा ने बनवाया था। रोशनआरा औरंगजेब की चहेती बहन थी और अपने भाई दाराशिकोह की जानी दुश्मन थी। बर्नियर ने लिखा है कि यह अपनी बहन जहांआरा से कम सुंदर और कम बुद्धिमान थी। रोशनआरा ने बाग को 1650 ई. में उसी समय बनवाया था, जब शाहजहां ने दिल्ली बसाई और उमरा तथा रिश्तेदारों को इसके हिस्से तकसीम किए। औरंगजेब की सल्तनत के तेरहवें वर्ष में 1663 ई. में रोशनआरा की मृत्यु दिल्ली में हुई और उसे उसके बाग में दफन किया गया।

बाग में इस अर्से में भारी परिवर्तन हुआ है। इसका बड़ा हिस्सा रेल की नजर हो गया है, जो पुश्त की तरफ जाती है। इस वक्त इसका रकबा 130 एकड़ है। पुरानी खंडहर इमारतें हटा दी गई हैं, लेकिन नहर और बाग का पूर्वी द्वार अभी देखने में आता है। बाग में शाही जमाने की कोई चीज देखने में नहीं आती, सिवा रोशनआरा के मजार के, जो अभी तक मौजूद है।

इस मकबरे की छत हमवार है। मकबरे का चबूतरा 159 फुट मुरब्बा और तीन फुट ऊंचा है। मकबरे के चारों तरफ चार-चार सीढ़ियां चढ़कर चबूतरे पर आते हैं। चबूतरे के गिर्द दो फुट ऊंची मुंडेर है। इस मुंडेर से मकबरा 45 फुट के फासले पर है और 69 फुट मुरब्बा तथा 21 फुट ऊंचा है। इसमें छत पर की चार फुट ऊंची मुंडेर भी शामिल है। मकबरे के चारों कोनों पर चार मंजिला कमरे हैं और बीच का हाल है। इस बीच के हाल तथा कोनों के कमरों के बीच बरामदा है।

कोनों के कमरों में चारों ओर से रास्ता है और दोमंजिले पर, जिसका जीना दीवार में है, इसी किस्म के और भी कमरे हैं। कोनों के कमरों के बीच में चार भारी-भारी सुतून हैं, जिन पर बंगड़ीदार महराबें हैं और निहायत उम्दा अस्तरकारी की हुई है। सुतूनों की अगली कतार से छह फुट के फासले पर इसी प्रकार के सुतूनों की और चार कतारें हैं। छत के चारों कोनों पर चीरुखी बुर्जियां पांच या छह फुट मुरब्बा हैं, जिनके कलस पत्थर के हैं और गिर्द एक चौड़ा छज्जा है।

इमारत के बीच में एक चौकोर कमरे में रोशनआरा बेगम की कब्र है, जिसका दरवाजा दक्षिण की ओर है और बालीन कब्र उत्तर की ओर है। बाकी तरफ पत्थर की जालियां लगी हुई हैं, जिन पर अब प्लास्टर किया हुआ है। कब्र वाला कमरा दस फुट मुरब्बा है और उसका फर्श संगमरमर का है। कब्र के ताबीज के बीच कच्ची मिट्टी है और कब्र उसी ढंग की है, जैसी इसकी बहन जहाँआरा की है। कब्र 6 फुट 5 इंच लंबी और 2 फुट 6 इंच ऊंची है, जिसके सिरहाने संगमरमर का ताक बना हुआ है। बाग के फव्वारों और नालियों में, जो किसी जमाने में इसकी सुंदरता को बढ़ाते होंगे, अब सिवा एक बड़े हौज के, जो बाग और मकबरे के पूर्व में है, कुछ बाकी नहीं रहा। हौज 277 फुट लंबा और 124 फुट चौड़ा है। बाग के तीन तरफ अब घनी बस्ती हो गई है। बाग में एक बड़ी झील भी बन गई है और एक क्लब बना हुआ है। बाग में आसपास की बस्तियों के काफी सैलानी आते रहते हैं।

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