“‘हसीन दिलरुबा’ और इसके सीक्वल में दिखाया गया काल्पनिक लेखक दिनेश पंडित कौन है? जानिए इस दिलचस्प फिल्म के पीछे की कहानी और बॉलीवुड की नई क्रिएटिविटी!
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Phir aayi haseen dillruba 2: अगर आपने हाल ही में बॉलीवुड की दो बड़ी हिट्स, ‘हसीन दिलरुबा’ और इसके सीक्वल ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ देखी हैं, तो आपने ज़रूर ‘दिनेश पंडित’ का नाम सुना होगा। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि यह दार्शनिक लेखक कौन है? आइए आज हम आपको दिनेश पंडित और बालीबुड के नए ट्विस्ट के बारे में बताते हैं।
हसीन दिलरुबा और फिर आई हसीन दिलरुबा: एक नजर
‘हसीन दिलरुबा’ (2021) और ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ (2024) दोनों ही फिल्मों में ‘दिनेश पंडित’ का संदर्भ मिलता है। यह नाम एक काल्पनिक अपराध लेखक का है, जिसे फिल्मों में कई फिक्शनल अपराधों और कहानियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। फिल्मों के अनुसार, दिनेश पंडित कई वर्षों पहले निधन हो चुका है, लेकिन उसकी किताबें आज भी छप रही हैं।
दिनेश पंडित: एक काल्पनिक साहित्यिक श्रद्धांजलि
स्क्रीनराइटर कनिका ढिल्लों ने इस काल्पनिक लेखक को हिंदी पल्प-फिक्शन के दिग्गजों जैसे सुरेंद्र मोहन पाठक और वेद प्रकाश के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में पेश किया है। वह बताती हैं कि “दिनेश पंडित मेरे अंदर का वो हिस्सा है जो जुनूनी, जंगली, और मजेदार है, जबकि मेरी लेखनी की वास्तविकता और व्यवस्थितता कुछ अलग होती है।”
फिल्मों का ट्विस्ट और क्रिएटिव आइडियाज
‘हसीन दिलरुबा’ और ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ की कहानी में अपराधों को लेकर पंडित के कथानकों को शामिल किया गया है। फिल्मों में पंडित की किताबों के नाम जैसे ‘कसौली का कहर’, ‘कोबरा का इंतकाम’, और ‘मगरमच्छ का शिकंजा’ दर्शकों को एक काल्पनिक अपराध की दुनिया में ले जाते हैं।
फिल्म ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में जिमी शेरगिल का किरदार लगातार जांच-पड़ताल करता है और यह पता लगाने की कोशिश करता है कि क्या फिल्म के पहले भाग में मारे गए नायक (विक्रांत) वास्तव में जीवित हैं। इस सबके बीच, एक नया रोमांस भी दिखाया गया है जिसमें अभिमन्यु नामक पात्र एक सिंगल-स्क्रीन सिनेमा में आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘अन एक्शन हीरो’ देखता है।
फिल्मों का सांस्कृतिक संदर्भ और आदर्श
फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ और इसके सीक्वल का सांस्कृतिक संदर्भ भी खास है। ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में एक पागलपन भरी प्रेम कथा को दर्शाया गया है जिसमें नायिका रानी का कहना है, “जो पागलपन की हद से न गुजरे वो प्यार ही क्या?” यह फिल्म रोमांस और थ्रिलर के मिश्रण से बनी है।
फिल्मों में कल्पना और वास्तविकता का अद्भुत मिश्रण दर्शकों को एक नई कहानी के अनुभव से रूबरू कराता है। जहां एक तरफ दिनेश पंडित एक काल्पनिक पात्र है, वहीं दूसरी ओर उसकी किताबों का संदर्भ एक नई पटकथा का हिस्सा बनकर दर्शकों को आकर्षित करता है।
‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ को देखने से पहले ‘हसीन दिलरुबा’ देखना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करें कि आप नये पात्रों और सिनेमाई संदर्भों को ध्यान से देखें।