शैलेन्द्र का व्यक्तित्व बहुत ही सरल और विनम्र था
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारतीय सिनेमा में जो गीत संगीत से ज्यादा दिलों को छूने की क्षमता रखते हैं, उनमें एक नाम शैलेन्द्र का भी है। गीतकार शैलेन्द्र का योगदान भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अनमोल और अमिट है। अपनी कलात्मकता और भावनाओं को शब्दों में ढालने की अद्वितीय क्षमता के कारण शैलेन्द्र ने सिनेमा के संगीत को एक नई दिशा दी। उनके गीत आज भी दिलों में गूंजते हैं। आइए जानते हैं शैलेन्द्र के जीवन के बारे में, उनके परिवार, करियर, और उनके द्वारा लिखे गए बेहतरीन गानों के बारे में।
प्रारंभिक जीवन और परिवार:
गीतकार शैलेन्द्र का जन्म 30 अगस्त 1923 को पंजाब के ग्राम “रोड़ी” में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। उनका असली नाम शंकर दयाल था, लेकिन वे शैलेन्द्र के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। उनका परिवार एक साधारण मध्यमवर्गीय था और उनका बचपन बहुत ही संघर्षपूर्ण था। शैलेन्द्र का जीवन कभी भी आसान नहीं रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने परिवार और संघर्षों से प्रेरणा ली और कला में खुद को स्थापित किया।
शैलेन्द्र का करियर:
शैलेन्द्र का फिल्म इंडस्ट्री में कदम 1940 के दशक के अंत में हुआ। वे शुरू में फिल्मों में अभिनय करना चाहते थे, लेकिन एक दिन उन्होंने हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार शं.वि. त्रिपाठी से मुलाकात की, जो उस समय गीतकार के रूप में काफी मशहूर थे। शैलेन्द्र ने अपनी लेखनी से गीत लिखने की शुरुआत की और बहुत जल्दी उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिल गई।
शैलेन्द्र ने अपने करियर की शुरुआत “नीलकमल” (1947) फिल्म से की, जिसमें उनके लिखे गए गीतों ने संगीत प्रेमियों का दिल जीता। लेकिन उनकी असली पहचान “बड़ी बहन” (1950) और “आवारा” (1951) जैसी फिल्मों के गीतों से बनी। शैलेन्द्र के गीतों में भावनाओं, जिंदगी की सच्चाइयों और आम आदमी की उम्मीदों को खूबसूरती से व्यक्त किया गया था।
50 बेहतरीन गाने:
गीतकार शैलेन्द्र के 50 बेहतरीन गाने:
- आवारा हूँ – आवारा (1951)
- कहीं दूर जब दिन ढल जाए – आवारा (1951)
- गोरी तू आवाज़ दे – बड़ी बहन (1950)
- इन्हीं लोगों ने ले लिया – प्यासा (1957)
- तेरा प्यार है समझा – नया दौर (1957)
- सपने में मत खो जा – प्यासा (1957)
- मुझे तो सच चाहिए – प्यासा (1957)
- दिल में समाए – शराबी (1973)
- वो सुबह कभी तो आएगी – प्यासा (1957)
- उड़ी उड़ी जाए – नया दौर (1957)
- चली चली रे पतंग – नया दौर (1957)
- चाहे तो मुझे – बड़े घर की बहु (1950)
- तुम जो आओ तो आओगी चुपके चुपके – आवारा (1951)
- मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू – अराधना (1961)
- तुम आए तो आया मुझे याद – चोरी-चोरी (1956)
- बाबुल की दुआएं – वक्त (1965)
- जिंदगी ऐसी है – राहगीर (1969)
- तुमसे ही मेरी दुनिया – शराबी (1973)
- प्यार का है काम – नया दौर (1957)
- हमने तुमसे बहुत कुछ सीखा है – नया दौर (1957)
- आजा तू आजा – काला पानी (1958)
- मुझे मेरी मां से मिलाओ – बड़ी बहन (1950)
- तेरा क्या होगा – कहानी (1960)
- मुझे तो सच चाहिए – प्यासा (1957)
- जिंदगी की राहों में – मिस्टर एंड मिसेज 55 (1955)
- इन्हीं लोगों ने – प्यासा (1957)
- याद न जाए – वक्त (1965)
- गंगा की लहरों पर – सात हिंदुस्तानी (1974)
- तेरे बिना जिया जाए – अजनबी (1974)
- बड़ी देर से मुस्काया – नया दौर (1957)
- तुमसे ही मेरी दुनिया – शराबी (1973)
- तेरे बिना जिया जाए – अजनबी (1974)
- लागा चुनरी में दाग – बड़े घर की बहु (1950)
- आगे भी जाने ना – आवारा (1951)
- फूलों के रंग से – प्रेम पुजारी (1970)
- ए मेरे दिल के चैन – दिल की राहें (1970)
- चली चली रे पतंग – नया दौर (1957)
- क्या हुआ तेरा वादा – तुमसे अच्छा कौन है (1966)
- जिन्हें देख कर – किस्सा (1957)
- इन्हीं लोगों ने ले लिया – प्यासा (1957)
- तुमसे ही मेरी दुनिया – शराबी (1973)
- तेरे बिना जिया जाए – अजनबी (1974)
- गोरी तू आवाज़ दे – बड़ी बहन (1950)
- हमरी अंखों में तुम – वक्त (1965)
- आजा तुझको भूलूं – राहगीर (1969)
- तेरे बिना जिया जाए – अजनबी (1974)
- कहीं दूर जब दिन ढल जाए – आवारा (1951)
- आवारा हूँ – आवारा (1951)
- लागा चुनरी में दाग – बड़े घर की बहु (1950)
- तेरे बिना जिया जाए – अजनबी (1974)
इन गीतों के अलावा, शैलेन्द्र ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक गाने दिए, जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हैं। उनका लेखन भारतीय सिनेमा के गीत लेखन में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
दस ब्लॉकबस्टर गाने:
- आवारा हूँ (आवारा, 1951)
- इन्हीं लोगों ने ले लिया (प्यासा, 1957)
- लागा चुनरी में दाग (बड़े घर की बहु, 1950)
- कहीं दूर जब दिन ढल जाए (आवारा, 1951)
- तुम आए तो आया मुझे याद (चोरी-चोरी, 1956)
- बाबुल की दुआएं (वक्त, 1965)
- चली चली रे पतंग (नया दौर, 1957)
- प्यार का है काम (नया दौर, 1957)
- दिल में समाए (शराबी, 1973)
- हर दिल जो प्यार करेगा
शैलेन्द्र का योगदान और उनके गाने:
शैलेन्द्र ने अपनी लेखनी से सिनेमा को गाने दिए जो आज भी भारतीय सिनेमा का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी खासियत यह थी कि वे न केवल संगीत में राग-रंग का ध्यान रखते थे, बल्कि उनके गाने एक गहरी सोच और संवेदनशीलता से भी भरपूर होते थे। शैलेन्द्र का लेखन हमेशा आम आदमी की भावनाओं और संघर्षों को उजागर करता था। उनकी लेखनी में एक खास तरह का जादू था, जो हर गाने को अनमोल बना देता था।
उनकी प्रसिद्ध फिल्में:
शैलेन्द्र के द्वारा लिखे गए गीत कई फिल्मों का हिस्सा बने, जिनमें से कुछ ने तो ब्लॉकबस्टर का दर्जा भी प्राप्त किया। इन फिल्मों में “आवारा”, “प्यासा”, “नया दौर”, “अधर”, “बीआर चोपड़ा की ‘नया दौर'” और “अराधना” जैसी महत्वपूर्ण फिल्में शामिल हैं। शैलेन्द्र का कार्यक्षेत्र संगीत, फिल्मों और सांस्कृतिक पहलुओं तक सीमित था, लेकिन उनका प्रभाव भारतीय सिनेमा की संस्कृति पर काफी गहरा पड़ा।
शैलेन्द्र का व्यक्तित्व:
शैलेन्द्र का व्यक्तित्व बहुत ही सरल और विनम्र था। उन्होंने जीवन को हमेशा सहजता से लिया और उनकी रचनाओं में यह सहजता हमेशा नजर आई। वह अपने गीतों के माध्यम से समाज में सुधार लाने की कोशिश करते थे और उनके विचारों में एक गहरी संवेदनशीलता थी। वे अपने गानों में न केवल प्रेम, बल्कि दर्द, उम्मीद और प्रेरणा के संदेश भी देते थे।
शैलेन्द्र का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन वह अपने गीतों के माध्यम से समाज में एक अनमोल योगदान देने में सफल रहे। उनके गीत भारतीय सिनेमा की धरोहर बन चुके हैं। शैलेन्द्र की मौत 14 दिसंबर 1966 को एक दुखद घटना थी, लेकिन उनके गीतों का योगदान हमेशा जीवित रहेगा। उनकी काव्यात्मक लेखनी आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंज रही है। शैलेन्द्र की गिनती उन महान गीतकारों में की जाती है जिन्होंने भारतीय सिनेमा के संगीत को एक नई पहचान दी।