Story of Amrita Sher Gil: आज ही के दिन (30 जनवरी 1913 – 5 दिसंबर 1941) अमृता शेरगिल का जन्म हुआ था। अमृता शेरगिल एक हंगेरियन-भारतीय चित्रकार थीं। उन्हें 20वीं सदी की शुरुआत की सबसे महान महिला चित्रकार माना जाता है। छोटी उम्र से ही पेंटिंग की ओर आकर्षित शेरगिल ने महज आठ साल की उम्र में पेंटिंग की शिक्षा प्राप्त की। उन्हें पहली बार 19 साल की उम्र में अपनी 1932 की ऑयल पेंटिंग यंग गर्ल्स के लिए पहचान मिली। शेरगिल ने अपनी पेंटिंग्स में लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को दर्शाया।
शेर-गिल ने अपने पूरे जीवन में तुर्की, फ्रांस और भारत सहित विभिन्न देशों की यात्रा की, और पूर्व-औपनिवेशिक भारतीय कला शैलियों के साथ-साथ समकालीन संस्कृति का भी भरपूर लाभ उठाया। शेर-गिल को 20वीं सदी के भारत का एक महत्वपूर्ण चित्रकार माना जाता है, जिनकी विरासत बंगाल पुनर्जागरण के अग्रदूतों के स्तर पर है। वह एक शौकीन पाठक और पियानोवादक भी थीं। शेर-गिल की पेंटिंग आज भारतीय महिला चित्रकारों द्वारा सबसे महंगी हैं, हालांकि जब वह जीवित थीं तो बहुत कम लोगों ने उनके काम को स्वीकारा।
अमृता शेरगिल ने अपने पूरे करियर में करीब 143 पेंटिंग्स बनाईं। इनमें वो पेंटिंग शामिल नहीं है जो उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तोहफे में दे दी। उनकी बहुत से पेंटिंग्स उनकी बहन के बेटों विवान और नवीना सुंदरम के पास हैं। उनके पति विक्टर इगान ने अमृता की सभी पेंटिंग नैशनल गेलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट्स को सौंप दी थी।
कहा जाता है कि उन पेंटिंगों को ढंग से न रखे जाने के कारण उनकी बहुत सी पेंटिंग्स खराब हो गई। सन 1998 में उनकी नष्ट हो गई पेंटिंग्स को रिस्टोर करने की सुध ली गई।
प्रख्यात लेखिका यशोधरा डालमिया अपनी पुस्तक में लिखती हैं कि अमृता दिन में प्राकृतिक रोशनी में पेंटिंग बनाती थीं। पेंटिंग बनाते समय वो ढीला ओवरऑल पहनती थीं और अपने बालों को कस कर पीछे की तरफ बांध लेती थीं।
“चित्र बनाते समय उनके हाथ बहुत जल्दी जल्दी चलते थे। चित्र बनाने के बाद वो उल्टा करके देखती थी। यदि उन्हें पसंद नहीं आता था तो वो पैलेट नाइफ से फाड़़ कर फेंक देती थी। ऐसा वो एक दो बार नहीं बल्कि कई बार कर चुकीं थीं।
कहा जाता है कि एक बार जब महात्मा गांधी केप कमोरिन गए थे तो अमृता शेरगिल ने प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए उनकी एक पेंटिंग बनाई। हालांकि, उन्होंने महात्मा गांधी से मिलने का प्रयत्न नहीं किया। क्योंकि उनसे मिलने वालों की लंबी लाइन लगी हुई थी।
अमृता शेरगिल की प्रमुख पेंटिंग हैं ‘यंग गर्ल्स’, ‘जिप्सी गर्ल’, ‘यंग मैन विद फोर एपिल्स’, तीन लड़कियों का समूह, ‘ब्राइड्स टॉयलेट’, ‘ब्रह्मचारी’ और ‘कैमिल’ आदि।
एक बार पचास के दशक में मशहूर लेखक अशफाक अहमद लाहौर के पुराने बाजार में घूम रहे थे। जब एक कबाड़ी की दुकान पर उन्हें अमृता शेरगिल की एक पेंटिंग दिखाई दी। पेंटिंग एक बैठी हुई महिला की थी। अशफाक ने कबाड़ी से वो पेंटिंग ले ली। कुछ दिनों बाद उनकी मुलाकात रावलपिंडी में आर्ट गैलरी चलाने वाली जुबैदा आगा से हो गई। जुबैदा ने वो पेंटिंग अपनी गैलरी में लगाने की अनुमति मांगी। इस तरह पेंटिंग इस्लामाबाद की नेशनल आर्ट गैलरी पहुंच गई। आप यह सुनकर हैरान रह जाएंगे कि अमृता शेरगिल के पेंटिंग 61 करोड़ से अधिक में बिकी। यह बहुत बड़ी विडंबना है कि अपने जीवनकाल में अमृता को हमेशा रुपयों का मोहताज होना पड़ा लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पेंटिंग करोड़ों रुपयों में बिकी।