केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ऐतिहासिक आरएसएसडीआई अध्ययन योग और मधुमेह की रोकथाम पर भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन (आईपीडीएस)किया जारी

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली, 14 दिसंबर 2024
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक अध्ययन के निष्कर्ष जारी किए, जो भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए संभावित रूप से “गेम चेंजर” साबित हो सकता है। रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (RSSDI) के इस अध्ययन ने योग और प्राणायाम को मधुमेह की रोकथाम में अत्यंत प्रभावी पाया है।

इस अध्ययन में कहा गया है कि 40 मिनट की दैनिक योग दिनचर्या और जीवनशैली में बदलाव से प्री-डायबिटीज वाले व्यक्तियों में टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को लगभग 40% तक कम किया जा सकता है।

अध्ययन की प्रमुख विशेषताएं और निष्कर्ष

  1. अध्ययन की अवधि और विषय:
    यह अध्ययन तीन वर्षों तक भारत के पांच प्रमुख चिकित्सा केंद्रों में किया गया, जिसमें लगभग 1,000 प्री-डायबिटिक व्यक्तियों को शामिल किया गया।
  2. योग के प्रभाव:
    अध्ययन ने यह दर्शाया कि योग, विशेष रूप से चुनिंदा आसनों और प्राणायाम के साथ, मधुमेह की रोकथाम के लिए मौजूदा रणनीतियों से अधिक प्रभावी है।
  3. योग बनाम अन्य रणनीतियां:
    • भारतीय मधुमेह रोकथाम कार्यक्रम (DPP) ने जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से मधुमेह के जोखिम को 28% तक कम किया।
    • जीवनशैली और मेटफॉर्मिन जैसी औषधि के संयोजन ने 32% जोखिम में कमी दर्ज की।
    • योग के उपयोग से 40% तक कमी देखी गई, जो अन्य तरीकों से बेहतर है।

योग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में शामिल करने की अपील

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अध्ययन योग की वैज्ञानिक प्रभावशीलता को प्रमाणित करता है। उन्होंने इसे मधुमेह जैसी तेजी से बढ़ती महामारी से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बताया। वर्तमान में, भारत में 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 136 मिलियन प्री-डायबिटिक हैं।

मंत्री ने सुझाव दिया कि मधुमेह की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय नीतियों में योग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने इसे एक “गेम चेंजर” बताते हुए कहा कि यह अध्ययन आधुनिक चिकित्सा के साथ प्राचीन भारतीय परंपराओं को जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अध्ययन के पीछे प्रमुख वैज्ञानिक और संस्थान

यह अध्ययन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली के प्रोफेसर एसवी मधु और मणिलेक रिसर्च सेंटर, जयपुर के डॉ. अरविंद गुप्ता जैसे प्रमुख वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया।

प्रकाशन और मान्यता:
यह अध्ययन प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल “डायबिटीज एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम: क्लिनिकल रिसर्च एंड रिव्यूज़” में प्रकाशित हुआ है।

मधुमेह रोकथाम में योग का महत्व

योग और प्राणायाम न केवल शरीर को शारीरिक रूप से फिट रखते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और चयापचय प्रक्रिया को भी बेहतर बनाते हैं। अध्ययन में सुझाए गए योगासन, जैसे ताड़ासन, वज्रासन, और कपालभाति, न केवल रक्त शर्करा को नियंत्रित करते हैं, बल्कि चयापचय दर को भी स्थिर रखते हैं।

भारत के लिए नई दिशा

भारत में मधुमेह के बढ़ते मामलों के बीच यह अध्ययन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यदि योग को सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में प्राथमिकता दी जाती है, तो यह लाखों लोगों को इस बीमारी से बचा सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “यह अध्ययन प्राचीन भारतीय योग परंपरा की प्रासंगिकता और वैज्ञानिक आधार को सुदृढ़ करता है।”

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