-250 अंडर ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स पर की गई रिसर्च

मुख्य बातें

78 प्रतिशत से अधिक छात्र खाते समय भी मोबाइल देखते हैं

57 परसेंट छात्रों को क्लास में मोबाइल यूज करते हुए टीचरों ने पकड़ा

डाटा पैक खरीदने के लिए हर महीने 900 रुपये से अधिक खर्च कर रहे छात्र

रिलेशनशिप में थे रिसर्च में शामिल 67 परसेंट स्टूडेंट्स

हेल्थ रिपोर्टर, दी यंगिस्तान

मेट्रो, बस, शॉपिंग मॉल्स हो या फिर पब्लिक प्लेस। आपने अक्सर देखा होगा कि लोग मोबाइल फोन में गुम रहते हैं। उनके आसपास क्या घटित हो रहा है, इसकी कई बार उन्हें जानकारी भी नहीं होती। उन्हें पता भी नहीं होता कि कौन उनके पास से गुजरा। ऐसा नहीं है कि यह व्यवहार सिर्फ पब्लिक प्लेस पर दिखता है। अब तो घरों में भी यह प्रवृत्ति दिखने लगी है। घर के बड़ों से लेकर बच्चे तक मोबाइल में गुम दिखते हैं। अलग अलग कमरों में मोबाइल यूज करते रहते हैं। मानों मोबाइल ही उनकी दुनिया हो। दिल्ली के मेडिकल छात्रों की स्थिति तो और भी खराब है। 52 परसेंट स्टूडेंट्स इंटरनेट एडिक्शन (Internet addiction) के शिकार हैं। छात्र खाते हुए भी मोबाइल देखते हैं। यहां तक की कक्षाओं में मोबाइल चलाते पकड़े जा रहे हैं। हिंदू राव अस्पताल, हैदराबाद एम्स, फरीदाबाद के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कालेज, वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज और सफदरजंग अस्पताल के रिसर्चरों की रिसर्च में यह बात सामने आयी है।

250 छात्रों पर किया गया रिसर्च

वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज (Vardhman Mahavir Medical College), सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital), हिंदू राव अस्पताल (Hindurao Hospital), हैदराबाद एम्स (All India Institute of Medical Sciences, Bibinagar), केडी मेडिकल कालेज मथुरा (K.D Medical College Hospital and Research Centre Mathura), फरीदाबाद के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कालेज (Shri Atal Bihari Vajpayee Government Medical college, Chhainsa, Faridabad) के रिसर्चरों ने मेडिकल स्टूडेंट्स पर रिसर्च किया। यह जानने की कोशिश की कि आखिर मेडिकल स्टूडेंट्स कितने समय तक इंटरनेट यूज करते हैं। वर्धमान महावीर कालेज और सफदरजंग अस्पताल के 250 अंडर ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स को रिसर्च में शामिल किया गया। ये छात्र पहले, दूसरे,पांचवें, सातवें और नौवें सेमेस्टर के छात्र थे।

शिक्षकों ने कक्षा में पकड़ा

जिन छात्रों पर सर्वे किया गया, उनमें 60 परसेंट की उम्र 17 से 27 साल के बीच थी। मेल छात्रों का प्रतिशत 62 जबकि फीमेल स्टूडेंट्स 37 प्रतिशत से अधिक थी। अपर क्लास के स्टूडेंटस 96.4 वहीं अपर मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स 3.6 थे। सर्वे में शामिल 67 परसेंट स्टूडेंट्स रिलेशनशिप में थे। 55 परसेंट वाई-फाई यूज करते थे।

रिसर्च में ये बातें आयी सामनें

पता चला कि 52 परसेंट स्टूडेंट इंटरनेट एडिक्शन के शिकार है। 70 परसेंट स्टूडेंट्स 4 घंटे तक मोबाइल इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। 24 प्रतिशत छात्र 20 जीबी डेट हर महीने खर्च करते हैं। इसका असर परीक्षा पर भी देखा जा सकता है। 54 प्रतिशत छात्र परीक्षा में 60 प्रतिशत या 70 प्रतिशत के बीच में अंक प्राप्त करते हैं। अब तो 39 प्रतिशत छात्रों को आंखों में दर्द भी होने लगा है। एक सवाल सभी छात्रों से पूछा गया था। सवाल यह था कि क्या खाते समय फोन देखते हैं। लगभग 78 प्रतिशत छात्रों ने इसका जवाब हां दिया। क्लास में मोबाइल चलाते हुए पकड़े जाने वाले छात्रों का प्रतिशत 57 था। अधिकतर छात्रों ने स्लीप क्वालिटी पुअर होने की बात कही है। रिसर्चरों ने सुझाव दिया है कि मोबाइल इंटरनेट को लेकर अवेयरनेस बढ़ाने की जरूरत है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here