भूपेन हजारिका (bhupen hazarika) बचपन से ही हेमंत कुमार (hemant kumar) के मुरीद थे। उन्हें अपना गुरू मानकर पूजा करते थे। उनसे प्रेरणा लेकर गाने गाते थे। भूपेन बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट भी गाना गाते थे, जिसके लिए उन्हेें रॉयल्टी मिलती थी। इससे उनके खर्चे निकल जा रहे थे।
एक दिन की बात है, भूपेन रॉयल्टी लेने के लिए कोलकाता गए थे। प्राइवेट म्यूजिक कंपनी केे ऑफिस में भूपेन बैठे हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। भीड़ बहुत ज्यादा थी, नंबर आने में देरी थी। समय काटने के लिए भूपेन असमिया गीत गुनगुनाने लगे। वो भीड़ से बेखबर अपनी धुन में गाना गुनगुना रहे थे। उन्हें यह पता भी नहीं चल रहा था कि कौन आ-जा रहा है।
नमस्कार, मैं हेमंत कुमार
अचानक एक शख्स ने भूपेन के कंधे पर हाथ रखा। भूपेन ने पलटकर देखा जरूर लेकिन पहचान नहीं पाए। दरअसल, वो कभी अपने गुरू से मिले ही नहीं थे। शख्स ने अपना परिचय देते हुए कहा कि नमस्कार, मैं हेमंत कुमार हूं। आप बहुत अच्छा गा रहे हैं, क्या नाम है आपका। भूूपेन को तो समझ ही नहीं आया कि ये हो क्या रहा है। जिस शख्स की वो पूजा करते हैं, वो अचानक इस तरह उनकेे सामने आकर खड़े हो जाएंगे। वो सकुचाते हुए अपने बारे में बताए। यह भी बताया कि वो हेमंत जी को पूजते हैं।
एक एलबम दिलवाया
परिचय के बाद हेमंत कुमार ने भूपेन हजारिका को कहा कि चलो मेरे साथ, टैक्सी में बैठकर बात करते हैं। हेमंत, भूपेन को लेकर HMV कंपनी के मालिक के ऑफिस पहुंचेे। वहां उन्होने भूपेन हजारिका की सिफारिश की। जिसके बाद उन्हे एक एलबम के लिए साइन कर लिया गया। भूपेन दा ने इस एलबम से अपनी छाप छोड़ी।