भगवान नरसिंह की पूजा से मिलता है जीवन में सारी खुशी
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भगवान नरसिंह अवतार: फिल्म निर्देशक अश्विन कुमार ने जेन जी दर्शकों के लिए एनिमेटेड मूवी के माध्यम से महावतार नरसिम्हा फिल्म बनाई है। इस फिल्म के जरिए भारतीय संस्कृति और भगवान विष्णु के अवतारों को जिस मनोरंजक ढंग से पेश किया है, वह अपने आप में एक सराहनीय पहल है। सनातन धर्म में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, जिनमें से प्रत्येक का उद्देश्य धर्म की स्थापना और भक्तों का उद्धार रहा है। इन्हीं में से एक हैं भगवान नरसिं (नृसिंह) जिनका प्राकट्य एक ऐसे समय में हुआ जब धरती पर अधर्म और अत्याचार चरम पर था। यह अवतार न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह हमें सिखाता है कि सत्य और भक्ति की शक्ति कितनी महान होती है, और कैसे भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं।
आइए, इस लेख में हम भगवान नृसिंह के अद्भुत अवतार की संपूर्ण कथा, उनकी विस्तृत पूजा विधि, और उनके सभी 108 पवित्र नामों के जाप से मिलने वाले चमत्कारी लाभों के बारे में गहराई से जानेंगे।
हिरण्यकशिपु का अंत और प्रह्लाद की रक्षा की गाथा
भगवान नृसिंह (भगवान नरसिंह का अवतार) भगवान विष्णु के उन उग्र और शक्तिशाली अवतारों में से एक हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना और अपने परम भक्त की रक्षा के लिए विकराल रूप धारण किया। यह कथा हमें बताती है कि कैसे भगवान ने अपने ही बनाए नियमों का पालन करते हुए एक दुष्ट का अंत किया।
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज हिरण्यकशिपु ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से एक अभूतपूर्व वरदान प्राप्त किया था। इस वरदान के अनुसार, उसे न कोई मनुष्य मार सकता था, न कोई पशु; न दिन में उसकी मृत्यु हो सकती थी, न रात में; न घर के भीतर उसे मारा जा सकता था, न बाहर; और न ही किसी शस्त्र से उसे मारा जा सकता था, न किसी अस्त्र से। इस अद्वितीय वरदान के अहंकार में, हिरण्यकशिपु ने स्वयं को तीनों लोकों का स्वामी और ईश्वर घोषित कर दिया। उसने देवताओं, ऋषियों और साधारण मनुष्यों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और अपनी प्रजा को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना कर दिया।
लेकिन, हिरण्यकशिपु का अपना ही पुत्र, प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। अपने पिता के लाख मना करने, धमकी देने और अनगिनत अत्याचार सहने के बावजूद, प्रह्लाद ने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को कई बार मारने का प्रयास किया – उसे ऊंचे पहाड़ों से नीचे धकेला, उसे विष दिया, हाथियों से कुचलवाया, और अग्नि में जलाने का आदेश दिया, लेकिन भगवान विष्णु की असीम कृपा से प्रह्लाद हर बार सुरक्षित और अक्षुण्ण रहा।
जब हिरण्यकशिपु का क्रोध चरम पर पहुँच गया, तो उसने अपने पुत्र से पूछा, “तेरा भगवान कहाँ है? क्या वह इस स्तंभ (खंभे) में भी है?” प्रह्लाद ने शांत और दृढ़ भाव से उत्तर दिया, “हाँ पिताजी, मेरा भगवान तो सर्वव्यापी है, वह इस खंभे में भी है।” यह सुनकर हिरण्यकशिपु ने क्रोध से खंभे पर अपनी गदा से प्रहार किया। तभी, उस खंभे को चीरकर एक भयानक गर्जना के साथ भगवान विष्णु ने एक अद्भुत और भयावह रूप धारण किया – वह थे नृसिंह (आधा मनुष्य और आधा सिंह)।
यह अवतार ऐसा था कि हिरण्यकशिपु के वरदान का कोई भी नियम भंग नहीं हुआ:
- भगवान नृसिंह न पूरी तरह मनुष्य थे, न पूरी तरह पशु।
- यह घटना गोधूलि बेला (न दिन, न रात) में घटित हुई।
- भगवान ने हिरण्यकशिपु को अपने महल की चौखट पर (न घर के भीतर, न बाहर) अपनी जांघों पर रखकर।
- अपने तीक्ष्ण नाखूनों (जो न शस्त्र थे, न अस्त्र) से उसका वध कर दिया।
इस प्रकार, भगवान नृसिंह ने हिरण्यकशिपु के वरदान को भंग किए बिना उसका अंत किया, धर्म की पुनर्स्थापना की और अपने परम भक्त प्रह्लाद को उसके पिता के अत्याचारों से मुक्त किया। यह कथा हमें भगवान की सर्वव्यापकता, भक्तों के प्रति उनके प्रेम और धर्म की सदा विजय का संदेश देती है।

भगवान नृसिंह की पूजा विधि-विधान
भगवान नृसिंह की पूजा (भगवान नृसिंह की पूजा कैसे करें?) करने से सभी प्रकार के भय, शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा, और कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है। उनकी पूजा विशेष रूप से संकटों से मुक्ति पाने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए की जाती है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र, शुद्ध घी का दीपक, धूप, अगरबत्ती, लाल या पीले फूल (गुलाब, गुड़हल, गेंदा), चंदन, रोली, अक्षत (चावल), तुलसी के पत्ते, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण), मौसमी फल, मिठाई (विशेषकर पीले रंग की), नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची, एक लाल रेशमी वस्त्र, और गंगाजल।
विस्तृत पूजा विधि
- शुद्धिकरण और संकल्प:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपनी मनोकामना और पूजा का संकल्प लें।
- भगवान की स्थापना:
- पूजा स्थल पर भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि संभव हो तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी साथ में रखें।
- सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनका पूजन करें।
- पूजा का आरंभ:
- शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप, अगरबत्ती जलाएं।
- भगवान को चंदन और रोली से तिलक लगाएं।
- भगवान को लाल या पीले रंग के पुष्पों की माला पहनाएं और लाल वस्त्र अर्पित करें।
- पंचामृत स्नान और अभिषेक:
- भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से धीरे-धीरे स्नान कराएं। स्नान के बाद शुद्ध जल से धोकर साफ वस्त्र से पोंछें।
- अब उन्हें पुनः वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें।
- नैवेद्य और अर्पण:
- मौसमी फल, मिठाई, और अन्य प्रसाद भगवान को अर्पित करें। विशेष रूप से बेसन के लड्डू या पीले रंग की मिठाई अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- तुलसी के पत्ते (भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण) अर्पित करें।
- नारियल, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- मंत्र जाप और स्तुति:
- भगवान नृसिंह का प्राकट्य संध्याकाल (गोधूलि बेला) में हुआ था, इसलिए इसी समय पूजा और मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। हालांकि, मंत्र जाप दिन या रात किसी भी समय किया जा सकता है।
- अपनी मनोकामना कहते हुए भगवान नृसिंह के विभिन्न मंत्रों का जाप करें।
- मूल मंत्र: “ॐ नमो भगवते नरसिंहाय” (यह मंत्र सभी बाधाओं को दूर कर शांति प्रदान करता है।)
- शत्रु और बाधा निवारण मंत्र: “ॐ नमो नरसिंहाय शत्रुभुज बल विद्रणाय स्वाहा” (यह मंत्र शत्रुओं पर विजय और कानूनी मामलों में सफलता के लिए विशेष फलदायी है।)
- महामंत्र (भय और मृत्युंजय के लिए): “उग्रं वीरं महा विष्णुं ज्वलन्तं सर्वतो मुखं नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्” (यह मंत्र भय, बीमारी, नकारात्मक ऊर्जा और मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।)
- आरती:
- पूजा के अंत में भगवान नृसिंह की कपूर या घी के दीपक से आरती करें। आरती करते समय भगवान नृसिंह के गुणों और पराक्रम का स्मरण करें।
- प्रणाम और प्रसाद वितरण:
- भगवान को प्रणाम करें और अपनी इच्छाएं उनके सामने रखें।
- पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में वितरित करें।
विशेष उपाय और लाभ
शत्रु बाधा और कानूनी मामलों के लिए
सूर्यास्त के समय, लाल फूल और एक लाल रेशमी धागा भगवान नृसिंह को अर्पित करें। चार मुख वाला घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो नरसिंहाय शत्रुभुज बल विद्रणाय स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करें। पुरुष इस धागे को अपनी दाहिनी कलाई पर और महिलाएं बाईं कलाई पर बांधें।
सुरक्षा, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए
नियमित रूप से भगवान नृसिंह की पूजा करें और उन्हें पीले रंग की वस्तुएं (जैसे बेसन के लड्डू) अर्पित करें। प्रतिदिन “उग्रं वीरं महा विष्णुं…” महामंत्र का 108 बार जाप करें।
भगवान नरसिंह (नृसिंह) के 108 नाम
भगवान नृसिंह के 108 नाम (भगवान नृसिंह के 108 नाम) उनके विभिन्न गुणों, शक्तियों और रूपों का वर्णन करते हैं। इन पवित्र नामों का जाप करने से मन को शांति मिलती है, सभी प्रकार के भय दूर होते हैं, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह नामावली भगवान के प्रति आपकी भक्ति को गहरा करती है और आपके जीवन में सकारात्मकता लाती है। इन नामों का प्रतिदिन जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शक्ति, साहस और सुरक्षा प्राप्त होती है।
भगवान नृसिंह के सभी 108 नाम दिए गए हैं
- ॐ नारसिंहाय नमः
- ॐ महासिंहाय नमः
- ॐ दिव्यसिंहाय नमः
- ॐ महाबलाय नमः
- ॐ उग्रसिंहाय नमः
- ॐ महादेवाय नमः
- ॐ स्तम्भजाय नमः
- ॐ उग्रलोचनाय नमः
- ॐ रौद्राय नमः
- ॐ सर्वाद्भुताय नमः
- ॐ श्रीमान् नमः
- ॐ योगानन्दाय नमः
- ॐ त्रैलोक्यव्यापकाय नमः
- ॐ स्वयंभूय नमः
- ॐ सर्वदेवाय नमः
- ॐ अमोघाय नमः
- ॐ गुहावासाय नमः
- ॐ सर्वज्ञाय नमः
- ॐ सर्वतोमुखाय नमः
- ॐ भीष्मनाय नमः
- ॐ भीषणाय नमः
- ॐ भीषणभयापहाय नमः
- ॐ सर्वदुःखहरिणे नमः
- ॐ सर्वपापहराय नमः
- ॐ सुदर्शनाय नमः
- ॐ चिन्नाय नमः
- ॐ वज्रदंष्ट्राय नमः
- ॐ वज्रनखाय नमः
- ॐ महादंष्ट्राय नमः
- ॐ महाकालोय नमः
- ॐ दीप्तकेशाय नमः
- ॐ दीप्तलोचनाय नमः
- ॐ महाघोराय नमः
- ॐ अट्टहासाय नमः
- ॐ महानादाय नमः
- ॐ सर्वविद्रिणे नमः
- ॐ सर्वतोदंष्ट्राय नमः
- ॐ सर्वज्ञाय नमः
- ॐ भस्मनाय नमः
- ॐ सर्वदोषहराय नमः
- ॐ सर्वदौर्मनस्यहराय नमः
- ॐ सर्वसम्पत्प्रदाय नमः
- ॐ शुभाय नमः
- ॐ भीमाय नमः
- ॐ भीमनाय नमः
- ॐ भीमविक्रमय नमः
- ॐ सर्वदेवनुताय नमः
- ॐ सर्वलोकनमस्कृताय नमः
- ॐ सर्वयंत्रप्रदाय नमः
- ॐ सर्वतंत्राय नमः
- ॐ सर्वमन्त्रप्रदाय नमः
- ॐ सर्वविद्याप्रदाय नमः
- ॐ सुदंष्ट्राय नमः
- ॐ सुभद्राय नमः
- ॐ सुदंताय नमः
- ॐ सुबाहवे नमः
- ॐ नृसिंहाय नमः
- ॐ नयनाय नमः
- ॐ नायकाय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ सर्वव्यापिने नमः
- ॐ सर्वलोकसुखप्रदाय नमः
- ॐ सर्वानन्दप्रदाय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ श्रीवासाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीधराय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीविभवे नमः
- ॐ श्रीवासाय नमः
- ॐ श्रीधृते नमः
- ॐ श्रीनिवासाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीधराय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीविभवे नमः
- ॐ श्रीवासाय नमः
- ॐ श्रीधृते नमः
- ॐ श्रीनिवासाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीधराय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीविभवे नमः
- ॐ श्रीवासाय नमः
- ॐ श्रीधृते नमः
- ॐ श्रीनिवासाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीधराय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीविभवे नमः
- ॐ श्रीवासाय नमः
- ॐ श्रीधृते नमः
- ॐ श्रीनिवासाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
- ॐ श्रीपाय नमः
- ॐ श्रीपदाय नमः
- ॐ श्रीधराय नमः
- ॐ श्रीकराय नमः
इन सभी 108 नामों का नियमित रूप से जाप या श्रवण करने से भगवान नृसिंह की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आत्मविश्वास आता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Q&A)
Q-भगवान नृसिंह का अवतार क्यों हुआ था?
A-भगवान नृसिंह ने अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और दैत्यराज हिरण्यकशिपु के अत्याचारों का अंत करने के लिए अवतार लिया था, जिसे ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मिला था।
Q-भगवान नृसिंह की पूजा का सबसे अच्छा समय क्या है?
A-भगवान नृसिंह की पूजा के लिए संध्याकाल (गोधूलि बेला) सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि उनका प्राकट्य इसी समय हुआ था।
Q-भगवान नृसिंह के 108 नामों का जाप करने के क्या लाभ हैं?
A-इन नामों का जाप करने से भय, शत्रु बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। यह मानसिक शांति, शक्ति और भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक है।
Q-क्या नरसिंह जयंती पर व्रत रखना जरूरी है?
A-नहीं, नरसिंह जयंती पर व्रत रखना अनिवार्य नहीं है। यह भक्त की श्रद्धा और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। आप पूजा-अर्चना करके भी भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
Q-नरसिंह जयंती 2025 में कब मनाई गई?
A-नरसिंह जयंती 2025 में 11 मई, रविवार को मनाई गई।
Q-भगवान नृसिंह की पूजा करने से क्या लाभ होता है?
A-भगवान नृसिंह की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय, कानूनी मामलों में सफलता, भय से मुक्ति, नकारात्मक ऊर्जा का नाश, बुरी शक्तियों से सुरक्षा और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। यह स्वास्थ्य और दीर्घायु भी प्रदान करती है।
Q-क्या नरसिंह जयंती पर व्रत रखना अनिवार्य है?A-नहीं, नरसिंह जयंती पर व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, यह वैकल्पिक है। आप अपनी श्रद्धा और शारीरिक क्षमता अनुसार व्रत रख सकते हैं या केवल पूजा कर सकते हैं।
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