लता जी को मनाने के लिए राजकपूर ने धरने की दी धमकी
बालीवुड के सुनहरे दौर की कई कहानियां ऐसी है जो जिन्हें पढ़कर आपको हैरानी होगी। कुछ ऐसी ही कहानी है राज कपूर (Raj Kapoor) और लता मंगेशकर (lata mangeshkar) के बीच हुए शीत युद्ध की। लता मंगेशकर राज कपूर के पुत्र रणधीर कपूर (Randhir kapoor) के साथ फिल्म ‘कल आज और कल’ (Kal aaj aur kal film) के लिए रिकॉर्डिंग कर रही थी। राज कपूर रिकॉर्डिंग के लिए आ चुके थे। वहां उन्होंने लता मंगेशकर को बताया कि वे जल्दी ही अपनी अगली फिल्म ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ शुरू करनेवाले हैं। वे चाहते हैं कि मेरे भाई हृदयनाथ मंगेशकर इस फिल्म में संगीत दें। लता जी ने कहा कि वो जरूर इस बारे में हृदनाथ से बात करेंगी।
बकौल लता जी, मैंने अपने भाई को किसी तरह मना लिया। क्योंकि वे फिल्मों के लिए संगीत देने को जरा भी तैयार न थे। राजजी ने हृदयनाथ का संगीत सुना था और ये मुकेश थे, जिन्होंने इसके नाम का सुझाव दिया था। इस बीच लता मंगेशकर अमेरिका दौरे पर चली गई। जहां मुकेश कुमार ने बताया कि “हृदयनाथ की पिक्चर गई !” लता के लिए यह बहुत अटपटी बात थी। हृदयनाथ ने फोन पर कहा कि उन्होंने लता दीदी की वजह से फिल्म के लिए हामी भरी थी, परंतु समाचार-पत्र कुछ और ही लिख रहे थे। इस प्रकरण से लता मंगेशकर के अहम को चोट पहुंची। वे बहुत निराश हाे गई। राजजी पर बहुत क्रोध आया। वापस आकर उन्हें फोन पर कहा, “आपने ऐसा क्यों किया? मैंने उन्हें आपके कहने पर ही राजी किया था।
खैर, हृदयनाथ फिल्म जगत की राजनीति का शिकार हो गए। राज कपूर ने स्वयं उनसे संपर्क साधा था कि वे उनकी फिल्म ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ के लिए संगीत तैयार करें। सबकुछ लगभग अंतिम चरण में था, तब लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल राज कपूर के पास गए और आखिरी क्षणों में उनका मन बदल गया। जो कुछ राज कपूर ने हृदयनाथ के साथ किया, उसकी वजह से लता ने राज कपूर से एक लड़ाई शुरू कर दी। लता ने उनसे कह दिया, “मैं अब आपके लिए नहीं गाऊंगी।
लता मंगेशकर ने राज कपूर को परेशान करना शुरू कर दिया। उन्होंने राज कपूर से उन गानों के लिए रॉयल्टी की मांग की, जिन्हें वे गाएंगी, जैसा कि वे अन्य निर्माताओं से लेती थीं। उन्होंने अधिक पैसा मांगा और रिकॉर्डिंग में देरी करनी शुरू कर दी। जब नरेंद्र शर्मा, जो लता के बहुत प्रिय थे और जिनको लता ‘पापा’ कहती थी, ने उन्हें मनाते हुए कहा कि वे ही केवल एक हैं, जो उनके लिखे गीत के साथ न्याय कर सकती हैं। तब जाकर वे आर.के. फिल्म्स के लिए फिर गाने को राजी हुईं। “लता जी शर्तें रख दीं कि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में मैं किसी से भी बात न करूंगी। मैं गाऊंगी और चली जाऊंगी।
उन्होेंने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल से यह भी कह दिया कि वे राज कपूर को रिकॉर्डिंग कक्ष में अंदर आने की इजाजत नहीं देंगे। रिकार्डिंग के समय राज कपूर स्टूडियो के आसपास मंडराते रहते। लता दीदी ने फिल्म की अंतिम रिकॉर्डिंग के लिए उन्हें काफी समय तक लटकाए रखा और अपने विदेशी दौरे से आने के बाद ही उस गाने को गाया, परंतु राज कपूर उनके कला संबंधी गहन मूल्य को जानते थे; उन्होंने धैर्य रखा और उनके इस धैर्य ने उन्हें उसका फल दिया।
आज जब हम लता मंगेशकर के अभी तक भी लोकप्रिय और पेचीदा गौरवपूर्ण गाने, जैसे ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ के गीत ‘भोर भए पनघट पे’ और ‘यशोमति मैया से’ सुनते हैं तो हमें विश्वास नहीं होता कि ये गाने स्वर कोकिला ने अत्यधिक क्रोधित मुद्रा में होते हुए गाए थे और वे भी केवल एक टेक में। लता मंगेशकर याद करती हैं, “मैंने ये गाने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल से सीखे और उन पर अभ्यास किया। गाना एक ही टेक में रिकॉर्ड कर लिया गया। राज कपूर को यह बहुत पसंद आया और उन्होंने बार- बार कहा, “बहुत अच्छा, बहुत अच्छा !” मैंने गाना गाया और बिना किसी से बात किए सीधी अपने कार की ओर बढ़ गई। ‘बॉबी’ बन रही थी। लता जी ने राज कपूर को फोन पर कहा कि गायक संघ ने गायकों को कहा है कि वे अपनी रॉयल्टी सीधे निर्माताओं से वसूलें। उन्होंने तुरंत जवाब दिया, “मैं यहाँ बिजनेस करने आया हूँ, रॉयल्टी बाँटने नहीं। ” मैंने जवाब दिया, “आप बिजनेस करने आए हैं और मैं रानी बाग आई हूँ?”
राज कपूर के कहने पर लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल ने इस शीत युद्ध को समाप्त करने की कोशिश की। लता मंगेशकर ने उनके सभी प्रयत्नों को नकार दिया और उनसे कह दिया कि वे उन्हें और परेशान न करें।
राज कपूर ने धरना देने की धमकी दी
अंत में राज कपूर ने उन्हें बुलाया और कहा, “अगर आप मेरी फिल्म में गाने से मना करेंगी तो मैं यहाँ तंबू लगाकर बैठूंगा।” अंत में वे चुपचाप मान गईं और ‘बॉबी’ के लिए गाने को राजी हो गईं। एक 16 वर्षीय लड़की के लिए गाते हुए लता मंगेशकर ने बड़े आराम से ‘बॉबी’ के लोकप्रिय गानों को निभा दिया, जैसे ‘ऐ फँसा’, ‘झूठ बोले कौवा काटे’, ‘अकसर कोई लड़का’ और तो और, उन्होंने अपना जादू बिखेरा इस यादगार गाने पर ‘अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास’, जो एक पंजाबी लोकगीत पर आधारित था । लता और शैलेंद्र सिंह का स्वप्नदर्शी गाना ‘चाबी खो जाए’ शायद फिल्म का सर्वाधिक लोकप्रिय गाना था।