पहला लोकसभा चुनाव (1951–52 Indian general election) कराना किसी चुनौती से कम नहीं था। चुनाव को सफल बनाने में चुनाव आयोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता था। मतदाताओं को मत की प्रैक्टिस, लॉ एंड आर्डर स्थिति मेंटेन करने के मकसद से मॉक इलेक्शन की सोची एवं सबसे पहले राजस्थान को इसके लिए चुना गया। उदयपुर में पहला मॉक इलेक्शन किया गया (india first mock election udaipur)। 5 अगस्त 1951 को हुए इस मॉक इलेक्शन में खुद कमिश्नर भी निरीक्षण करने पहुंचे थे। इसमें सभी जिले के डिस्ट्रिक इलेक्ट्राल आफिसर शामिल हुए। यह रिहर्सल लोगों में चुनाव के प्रति दायित्व का भाव जगाने, लॉ एंड आर्डर की स्थिति बनोन में सफल रहा था। इसके बाद प्रत्येक राज्य में इस तरह के मॉक इलेक्शन किए गए।

स्ट्रांग रूम की चाक चौबंद सुरक्षा

पहले लोकसभा चुनावों में मतदान बैलेट बाक्स से होता था। लिहाजा, इन बॉक्स की सुरक्षा बड़ा मसला था। पुलिस, चौकीदार, केंद्रीय सुरक्षा बल, प्रत्याशियों के समर्थक चौबीसों घंटे बॉक्स पर निगरानी रखते थे। ये बाक्स एक बड़े से कमरे में रखे होते थे। अब चूंकि चुनाव ईवीएम से हाेते हैं तो सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। मतगणना के बाद ईवीएम कड़े पहरेदारी में होती है। लोकसभा सीटों के अनुरूप ही स्ट्रांग रूम बनाया जाता है। इन स्ट्रांग रूम में ईवीएम रखी जाती है जो तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में होती है। रूम को इतना स्ट्रांग कर दिया जाता है कि इसके 200 मीटर तक परिंदा भी पर नहीं मार सकता। कारण साफ है कि यहां तक पहुंचने के लिए तीन लेयर बनाई गई है। हर लेयर पर सीआरपीएफ के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। वहीं यहां रखी गई ईवीएम पर सीसीटीवी से नजर रखी जाती है। इसके साथ स्ट्रांग रूम के बाहर और अंदर पूरे सीन को दिन-रात लाइव दिखाने के लिए प्रोजक्टर लगाए जाते हैं। राजनीतिक दलों के लिए स्ट्रांग रूम से दूर एक पंडाल की व्यवस्था की जाती है जहां वे स्ट्रांग रूम का सीन देख सकते हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि आरपीएफ के जवान सबसे पहले निगरानी चरण में आते हैं। दूसरे लेयर में पुलिस के जवान होते हैं। बाहर तीसरे लेयर में दोनों ही जवानों की टोलियां होती है। यही नहीं बिल्डिंग के चारो तरफ सिक्योरिटी होती है। जिला निर्वाचन अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी अंदर नहीं जा सकता है। विगत चुनावों का अनुभव तो यही कहता है कि समर्थक यहां डेरा डाले रहते हैं एवं निगरानी प्रक्रिया का हिससा होते हैं। स्ट्रांग रूम जहां भी होता है, वहां हर चीज सीसीटीवी कैमरे की जद में होती है। हर आने-जाने वाले नजर रखी जाती है। यहां इनर और मिडिल लेयर में किसी भी व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति नहीं है। सिर्फ आउट लेयर में अधिकृत अधिकारी और प्रत्याशी और उनके एजेंट ही प्रवेश पा सकेंगे।

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