हुमायूं के मकबरे के निर्माण से पहले इसी मकबरे के दक्षिणी-पश्चिमी कोने से सटा हुआ एक बड़ा अहाता अरब सराय (arab ki sarai) कहलाता है। कहा जाता है कि इस अहाते में कभी अरब से आए कारीगर रहा करते थे। इस सराय के बीच में एक प्रवेश द्वार है। यह द्वार इसे दो प्रांगणों में विभाजित करता है। पश्चिमी अहाते में अब औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है। पूर्व की ओर से एक प्रवेश द्वार है जिसके निचले किनारे पर चित्रों के निशान देखे जा सकते हैं। इसी सराय में एक और प्रांगण है जो शुरुआत में महराबी कक्षों से घिरा हुआ था जो अब मंडी बाजार कहलाता है। इसे जहांगीर के मुख्य हिजड़े मिहिर बानू आगा ने बनवाया था। अरब सराय का उत्तर की ओर खुलने वाला फाटक बू हलीमा के बगीचे की तरफ खुलता है।
वास्तुकार बताते हैं कि इस सराय की बनावट को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि हुमायू का शानदार मकबरे के निर्माण के लिए पहले सराय का निर्माण करवाया गया और इसमें खूबसूरत आर्क भी बनवाए गए। वे बताते हैं कि इतिहास की किताबों में इसका जिक्र हैं कि हुमायूं की रानी बेगा बेगम ने अरब सराय का निर्माण तीन सौ अरब मुस्लिम लोगों के करवाया गया था। जिन्हें वह मक्का से लाई थी। लेकिन कुछ लोगों की राय इससे इतर है। कुछ इतिहासकार के मुताबिक इस सराय में फारसी कामगार और शिल्पियों को रखा जाता था, जो हुमायूं का मकबरा बनाने के काम में लगाए गए थे।