सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या और उनमें होती जनहानि चिंता का विषय है। भारतीय सड़कों पर आज विश्व में सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें जीडीपी के तीन फीसदी का नुकसान हो रहा है। यहां सालाना करीब ड़ेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, पंजाब, बिहार में सर्वाधिक सड़क हादसे होते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसपर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि यूपी में कोरोना से अब तक 23,600 मौतें हुई हैं वहीं सड़क हादसे में विगत वर्ष 21,200 लोगों ने जान गंवाई। कोरोना संक्रमण का दंश पूरी दुनिया झेल रही है। यूपी सरकार संक्रमण का फैलाव रोकने और टीकाकरण की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।
अब समय आ गया है कि सड़क हादसों पर नकेल कसने के लिए दृढइच्छाशक्ति के साथ प्रयास किए जाए। क्योंकि हादसों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। यूपी में 100 में से 56 हादसे गंभीर श्रेणी के होते हैं। खासकर हाईवे, हादसों की पनाहगाह बन गए हैं। हाईवे पर होने वाले हादसों के लिहाज से यूपी 2021 में पूरे देश में तमिलनाडू के बाद दूसरे नंबर पर था। कुल 8506 फैटल यानी जानमाल वाले हादसे हुए। अधिकतर हादसे सड़कों की डिजाइन में खामी, ओवर स्पीड, ओवरलोडिंग, हेलमेट आदि नहीं पहनने के कारण हुए। यूपी में कानपुर, आगरा, प्रयागराज, अलीगढ, बुलंदशहर और मथुरा सरीखे बड़े शहरों में अधिक हादसे हुए। दो पहिया वाहन चालक सबसे अधिक हादसों का शिकार बनते हैं।
सड़क हादसों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। जन जागरुकता से ही बडे पैमाने पर हादसों पर अंकुश लगाया जा सकता है। नियमों का पालन करना और कराना बहुत ही जरूरी है। ओवर स्पीड 38 प्रतिशत हादसे का सबब बनते हैं। यूपी में होने वाले कुल सड़क हादसों में 12 प्रतिशत गलत दिशा में वाहन चलाते समय हुई हैं। 9 प्रतिशत हादसे मोबाइल पर बाते करने की वजह से भी हुए।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिक हादसे होते हैं, इसलिए इन्हें लेकर विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है। अकेले यूपी में कुल हादसे का 40 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्ग जबकि 30 प्रतिशत राज्य राजमार्ग पर होता हैं। यूपी सरकार ने ओवरलोडिंग रोकने के लिए एक टास्कफोर्स के गठन की बात कही है। यह ध्यान देना होगा कि यह टॉस्कफोर्स केवल कार्यालय तक सीमित ना रह जाए। इसकी कार्ययोजना धरातल पर उतरनी चाहिए।