आर्टिकल में विस्तार से पढ़िए गोवधर्न पूजा की विधि
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Why Govardhan Puja is Celebrated After Diwali
गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने इंद्र देवता के कोप से गोकुलवासियों की रक्षा की थी। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और समुदाय की एकता का प्रतीक है।
Govardhan Puja Celebrated in Which State
गोवर्धन पूजा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, विशेषकर वृंदावन, गोकुल और मथुरा में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इसके अलावा, अन्य राज्यों में भी जहां कृष्ण भक्त हैं, जैसे राजस्थान और बिहार, इस पर्व को मनाया जाता है।
Govardhan Puja in Hindi
गोवर्धन पूजा को हिंदी में “गोवर्धन पूजा” कहा जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी लीला का प्रतीक है। इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और घरों में विशेष रोटियाँ बनाते हैं।
How is Govardhan Puja Celebrated
गोवर्धन पूजा के दौरान, भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। इस दिन लोग रोटियों का ढेर बनाते हैं, गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं, और भक्ति गीत गाते हैं। भक्त इस अवसर पर संगठित होकर सामूहिक पूजा करते हैं।
Govardhan Puja 2024 Shubh Muhurat
गोवर्धन पूजा 2024 के लिए शुभ मुहूर्त का समय विशेष होता है। इसे मुख्य रूप से दीपावली के दिन के बाद मनाया जाता है। विस्तृत समय की जानकारी ज्योतिषियों या पंचांग से प्राप्त की जा सकती है।
गोवर्धन पूजा 2024 शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2024 Shubh Muhurat)
गोवर्धन पूजा 2024 – 2 नवंबर 2024, शनिवार को है।
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:34 AM से 08:46 AM
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – 03:23 PM से 05:35 PM
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 01 नवम्बर 2024 को 06:16 PM
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 02 नवम्बर 2024 को 08:21 PM
गोवर्धन पूजा की विधि और कथा
गोवर्धन पूजा, जो दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है, भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी लीलाओं का प्रतीक है। इस पर्व को मनाने की विधि और इसकी कथा बहुत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं इसकी विस्तार से।
विधि
- स्नान और तैयारी:
- पूजा से पहले भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं। यह आवश्यक माना जाता है कि स्नान के बाद शुद्धता में रहकर पूजा की जाए।
- घर की सफाई की जाती है और पूजा स्थल को सजाया जाता है।
- गोवर्धन का निर्माण:
- भक्त गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का निर्माण करते हैं। यह पर्वत भगवान कृष्ण द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत का प्रतीक है।
- गोवर्धन की आकृति को सजाया जाता है, और उस पर फूल, रंग-बिरंगे चावल, और अन्य सजावट की जाती है।
- भोग अर्पित करना:
- इस दिन विशेष रूप से तैयार किए गए भोग, जैसे कि मटर-चावल, हलवा, और विशेष रोटियों का ढेर, भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।
- रोटियों का ढेर गोवर्धन के ऊपर रखा जाता है, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
- पूजा और आरती:
- गोवर्धन की पूजा करते समय भक्त मंत्रों का जाप करते हैं।
- पूजा के बाद भगवान कृष्ण की आरती की जाती है और भक्त एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं।
- भक्ति गीत और कीर्तन:
- भक्त इस अवसर पर भक्ति गीत गाते हैं और कीर्तन करते हैं। यह वातावरण को भक्तिमय और आनंदित करता है।
- प्रसाद वितरण:
- पूजा के बाद सभी भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है, जो भक्तों के बीच प्रेम और एकता का प्रतीक होता है।
गोवर्धन पूजा की कथा
गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण की एक विशेष लीला से जुड़ी है।
कथा का सारांश: एक बार, जब भगवान कृष्ण गोकुल में निवास कर रहे थे, तो इंद्र देवता ने क्रोधित होकर गोकुलवासियों पर मूसलधार बारिश भेजी। गोकुलवासियों को डर था कि यह बारिश उन्हें नष्ट कर देगी।
भगवान कृष्ण ने इस संकट से अपने भक्तों की रक्षा करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और गोकुलवासियों को उसके नीचे सुरक्षित रहने का निर्देश दिया।
इस प्रकार, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा की और इंद्र देवता का अहंकार तोड़ा। अंत में, इंद्र देव ने भगवान कृष्ण की महिमा को समझा और उनसे क्षमा मांगी।
इस घटना के बाद, भगवान कृष्ण की इस लीला की याद में गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। यह कथा भक्ति, विश्वास, और भगवान की कृपा को दर्शाती है।
Govardhan Puja 2024 Image
गोवर्धन पूजा 2024 की तस्वीरों में भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाते हुए और भक्तों द्वारा की जा रही पूजा की छवियाँ शामिल होती हैं। यह तस्वीरें इस पर्व की भक्ति और आनंद को दर्शाती हैं।
Govardhan Puja 2024 ISKCON
ISKCON (International Society for Krishna Consciousness) के अंतर्गत गोवर्धन पूजा 2024 विशेष उत्सव के साथ मनाई जाती है। यहां भक्त सामूहिक रूप से पूजा करते हैं, भजन गाते हैं और कृष्ण भक्ति का आनंद लेते हैं।
Bhai Dooj भाई दूज, जिसे भाई दूज या भाई तीज भी कहा जाता है, भाई-बहन के रिश्ते का पर्व है। यह गोवर्धन पूजा के बाद मनाया जाता है, जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।