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National Maritime Day of India 2024

लेखक-अरविंद जयतिलक (वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार)

आज राष्ट्रीय समुद्री दिवस (national maritime day of India 2024) है। राष्ट्रीय समुद्री दिवस पहली बार 5 अप्रैल, 1964 को मनाया गया। इस दिवस का महत्व इसलिए है कि समुद्र दुनिया के देशों को जोड़ने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए एक वैश्विक मंच का काम करता है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इस जागरुकता के बावजूद भी  समुद्री जीवन पर संकट बढ़ता जा रहा है। पर अच्छी बात यह है कि गत वर्ष दो दशकों की लंबी बातचीत के उपरांत एक सैकड़ा से अधिक देश समुद्री जीवन को बचाने की अहम संधि पर मुहर लगाने को तैयार हुए।

national maritime day of India 2024: न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संपन्न हाई सीज ट्रीट्री के तहत 2030 तक दुनिया के 30 फीसदी महासागरों को संरक्षित किए जाने पर सहमति बनी। संधि में प्रावधान है कि समुद्री जलीय जीवन को संरक्षित करने के लिए निकाय बनेगा और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान के आंकलन के लिए नियम बनेंगे। यह संधि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अभी तक फंडिंग और मछली पकड़ने जैसे अधिकारों पर बात नहीं बन पा रही थी। इसलिए कि समुद्र तट से 200 नॉटिकल मील तक के समुद्र पर ही देशों का अधिकार होता है। उसके आगे का हिस्सा खुला समुद्र कहलाता है। अभी तक इसका 1.2 फीसद हिस्सा ही संरक्षित है।

national maritime day of India 2024: इस संधि के तहत तय किया जाएगा कि खुले समुद्र के कौन से इलाके संरक्षित माने जाएंगे। अगर इस संधि को मूर्त रुप दिया जाता है तो निःसंदेह महासागरों में वास कर रहे समुद्री जल जीव-जंतुओं और खनिजों की रक्षा होगी।

national maritime day of India 2024: उल्लेखनीय है कि 1950 के दशक के शुरुआत में समुद्र के कानून को लेकर हुए संयुक्त राष्ट्र के कई सम्मेलनों में समुद्री प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की गयी। 1972 के स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर हुए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भी समुद्री प्रदूषण पर चर्चा हुई। तब समुद्री प्रदूषण रोकने के लिए कचरे व अन्य पदार्थों के समुद्र में फेंके जाने को लेकर संधि पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते को लंदन समझौता कहा जाता है। लेकिन सच यहीं है कि समुद्री प्रदूषण रोकने के अभी तक सभी कानून नाकाफी ही साबित हुए हैं। नतीजा समुद्री जैव विविधता खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

national maritime day of India 2024: उदाहरण के तौर पर वर्ष 1970 से देखें तो खुले समुद्र में शार्क की तादाद 70 फीसदी तक घट गयी है। विचार करें तो समुद्री जीवन में प्रदूषण के तीन रास्ते हैं। एक, महासागरों में कचरे का सीधा छोड़ा जाना, दूसरा वर्षा के कारण नदी-नालों में अपवाह से और तीसरा वातावरण में छोड़े गए प्रदूषकों से। समुद्र में प्रदूषण के लिए सबसे आम रास्ता नदियां हैं। समुद्र में पानी का वाष्पीकरण सर्वाधिक होता है।

national maritime day of India 2024: संतुलन की बहाली महाद्वीपों पर बारिश के नदियों में प्रवेश और फिर समुद्र में वापस मिलने से होती है। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क में हडसन और न्यूजर्सी में रैरीटेन जो स्टेटन द्वीप के उत्तरी और दक्षिणी सिरों में समुद्र में मिलती है जिससे समुद्र में प्राणी मंदप्लवक यानी कोपपॉड के पारा प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। फिल्टर-फीडिंग कोपपॉड में सबसे ज्यादा मात्रा इन नदियों के मुखों में नहीं बल्कि 70 मील दक्षिण में एटलांटिक सिटी के नजदीक है क्योंकि पानी के तट के बिल्कुल नजदीक बहता है।

national maritime day of India 2024: अमूमन तय प्वाइंट प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषण का इकलौता, स्पष्ट और स्थानीय स्रोत मौजूद हो। अंदरुनी भागों में तांबे, सोने इत्यादि का खनन भी समुद्री प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है। ज्यादतर प्रदूषण महज मिट्टी से होता है जो नदियों के साथ बहते हुए समुद्र में प्रवेश करती है। हालांकि खनन के दौरान खनिजों के निस्सरण से कई समस्याएं उभरकर सामने आती हैं। गौर करें तो खनन का बहुत घटिया ट्रैक रिकार्ड है।

national maritime day of India 2024: उदाहरण के लिए अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी की मानें तो खनन ने पश्चिमी महाद्वीपीय अमेरिका में 40 फीसद से ज्यादा जलोत्सारण क्षेत्रों के नदी उद्गमों के हिस्से को प्रदूषित किया है और इस प्रदूषण का सर्वाधिक हिस्सा समुद्र में मिलता है। वातावरण में छोड़े गए प्रदूषकों से भी समुद्र प्रदूषित हो रहा है। मसलन कृषि से सतह का अपवाह, साथ शहरी अपवाह और सड़कों, इमारतों, बंदरगाहों और खाड़ियों के निर्माण से हुआ अपवाह कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और खनिजों से लदे कणों और मिट्टी को अपने साथ ले जाता है। उचित होगा कि समुद्र में आॅक्सीजन की मात्रा, जैव विविधता और जलीय जीवों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हाई सीज ट्रीट्री को अति शीध्र मूर्त रुप दिया जाए।

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