लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों की अहमियत
लेखक- डॉ कुमार आशुतोष, सह प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय
Loksabha election 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) को केवल राजनीतिक चश्मे से देखकर नहीं समझा जा सकता। यह वो राजनीतिक दल है जो राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत अपने सहयोगी दलों की मदद से राष्ट्र को सुदृढ़, समृद्ध और शक्तिशाली बनाने हेतु कृतसंकल्पित है। छोटी-बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के गठबंधन को राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन नाम दिया गया है। इस गठबंधन में शामिल दलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और वर्तमान में 30 से अधिक दल इसका हिस्सा है। ये पार्टियां आमतौर विशिष्ट स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होती है और उनके पास अक्सर एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान होती है।
क्षेत्रीय दलों के सहयोग से भारतीय जनता पार्टी भाषाई तथा जातीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करते हुए वंचित एवं कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों को लोकतांत्रित आवाज भी प्रदान करती है। क्षेत्रीय समुदायों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करके, उनकी समस्याओं का समाधान करके भारतीय जनता पार्टी सबका साथ-सबका विकास संग लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर रही है।
भारतीय राजनीति में गठबंधन के भविष्य के रूप में तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों का विश्लेशण आवश्यक है। चुनाव परिणामों ने बीजेपी तथा उसके सहयोगी दलों को सकारात्मक बल प्रदान किया है। ये राज्य हैं, राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की हार के बाद अब इंडिया गठबंधन के उसके कई सहयोगी दलों ने पार्टी पर बाकि दलों की अनदेखी का आरोप लगाया है। इन्हीं कारणों के तर्क पर कई बड़े नेताओं ने अलग अलग वजहों से इस गठबंधन से अलग होना भी प्रारंभ कर दिया है। उदाहरण के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।Loksabha election 2024
नीतीश ने कांग्रेस पर गठबंधन को लेकर गंभीर ना रहने का आरोप लगाया। 9वीं बार बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेता के रूप में शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार के आने से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बहुत मजबूत स्थिति में आ गई है। एनडीए को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा नि:संदेह मिलेगा। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी सीटों पर जीत दर्ज कर ले।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का गुणा गणित भी इस समय बीजेपी के पक्ष में ही है। बीजेपी ने यहां कई क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाया है। बीजेपी ने यूपी की 80 सीटों पर विजय पताका फहराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाजवादी पार्टी पर जनता का भरोसा डगमगाया है। 2019 में संपन्न लोकसभा चुनावों की बात करें तो यूपी में बीजेपी के खाते में 49.98 प्रतिशत और अपना दल को 1.21 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। वहीं महागठबंधन (बहुजन समाजवादी पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल) को 39.23 प्रतिशत, सपा को 18.11 प्रतिशत और रालोद को 1.69 प्रतिशत वोट मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को मात्र 6.39 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था। Loksabha election 2024
राजस्थान में 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रित पार्टी के साथ मिलकर सभी 25 लोकसभा सीटों पर क्लीन स्वीप किया था। हाल के विधानसभा चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो प्रतीत होता है कि बीजेपी अपना बेहतरीन प्रदर्शन बरकरार रखेगी।
गैर हिंदी भाषी राज्य के रूप में कर्नाटक में 2019 में 28 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता को 25 में जीत मिली थी। बीजेपी की जीत ने सियासी जानकारों को भी सकते में डाल दिया था। यदि इस बार क्षेत्रीय दलों का अच्छा सहयोग मिला तो बीजेपी एक बार फिर अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन फेल होता दिख रहा है।
लोकसभा चुनाव 2024 की कड़ी तैयारी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी अधिक से अधिक क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर रही है। साथ ही क्षेत्रीय दलों के प्रति नरम रूख भी अपना रही है, भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीती हुई सीटें भी छोड़ने को तैयार है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ राज्य में बड़ी जिम्मेदारी भी सहयोगी दलों को प्रदान करते हैं, इससे सभी क्षेत्रीय पार्टियों के अंदर सबका साथ-सबका विकास तथा सबका विश्वास का भाव पैदा होता है। महाराष्ट्र, बिहार जैसे राज्यों में भाजपा अपने सहयोगी दलों के योग्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री का पद भी प्रदान कर चुकी है।
इससे साफ पता चलता है कि भाजपा की क्षेत्रीय दलों के साथ जो भी फैसला लिया जाता है व राष्ट्र हित, लोकतंत्र हित तथा जनकल्याण के लिए किए जाता है। 2019 के चुनाव में भाजपा के साथ 29 क्षेत्रीय दलों ने साथ चुनाव लड़ा तो इस चुनाव में क्षेत्रीय दलों की संख्या 35 से अधिक रहने की उम्मीद है। दूसरी ओर अनेकों विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा के विजय रथ को रोकने को तैयार है। विपक्षी नेताओं की एकजुटता कई मंचों पर देखने को भी मिली है। Loksabha election 2024
विपक्षी दल इंडिया महागठबंधन बनाकर 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी दल भी क्षेत्रीय दलों को साधने में लगे हैं। इसलिए लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों की अहम भूमिका साबित होगी। इसलिए भी जुबानी जंग के बावजूद कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इसकी एक बानगी दिल्ली में देखने को मिली। कभी हां, कभी ना के बाद आखिरकार दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा हो ही गया। लेकिन दिल्ली में केंद्र सरकार के कार्य, जी20 का सफल आयोजन, नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन समेत कई ऐसे कार्य है जो विपक्षी एकता पर भारी पड़ेगी।
एक मजबूत लोकतंत्र के लिए क्षेत्रीय दलों का होना महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय दल दिल्ली की केंद्रीय सत्ता में गेम चेंजर की भूमिका निभाते हैं। भारतीय जनता पार्टी अपनी नीतियों के कारण क्षेत्रीय दलों की प्रथम पसंद हैं। बीजेपी अपने सहयोगी दलों के आतंरिक मामलों में दखल नहीं देती है। 2024 के चुनाव में भाजपा क्षेत्रीय दलों की मदद से ही 400 सीटों का जादुई आंकड़ा पार कर सकती है।
लोकसभा चुनाव 2024 पर केंद्रित यह आर्टिकल भी जरूर पढ़ें
Lok Sabha Election 2024: NDA vs INDIA कौन किसके साथ
Lok Sabha Election 2024: 2014 और 2019 में भाजपा, कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों ने कितनी जीती थी सीटें