उपराष्ट्रपति ने पराली जलाने की समस्या के लिए व्यवस्था आधारित समाधान की अपील की

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर उपराष्ट्रपति ने जलवायु संकट पर चिंता जताई

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2024 समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए नवाचार और व्यवस्था आधारित दृष्टिकोण अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल व्यक्तियों के प्रयासों पर नहीं छोड़ी जा सकती, बल्कि इसके लिए एक व्यापक और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हर साल पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले गंभीर पर्यावरणीय संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे केवल व्यक्तियों के प्रयासों पर छोड़ने के बजाय, एक ठोस व्यवस्था आधारित समाधान खोजने का आह्वान किया।

समस्या के मुख्य पहलू:

  • प्रदूषण का प्रभाव: पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य, कार्य के घंटे और सामान्य जीवन प्रभावित होता है।
  • शिक्षा पर प्रभाव: उन्होंने उल्लेख किया कि उच्च प्रदूषण के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं, जो समाज के भविष्य को प्रभावित करता है।

व्यवस्थित समाधान की आवश्यकता:

धनखड़ ने कहा कि समाज को एकजुट होकर नवाचार और व्यवस्थित समाधानों की दिशा में काम करना चाहिए।

“चाहे अमीर हो या गरीब, शहरी हो या ग्रामीण, जलवायु परिवर्तन की समस्या सभी पर समान रूप से प्रभाव डालती है। या तो हम साथ मिलकर काम करें, या फिर साथ मिलकर खत्म हो जाएं।”

भारतीय संस्कृति और सभ्यतागत ज्ञान की शक्ति

उपराष्ट्रपति ने भारतीय सभ्यता के पारंपरिक ज्ञान की सराहना की और इसे जलवायु आपातकाल के समाधान के लिए एक जीवन रक्षा मार्गदर्शिका बताया।

“हमारे वेद, पुराण, महाभारत, रामायण और गीता का ज्ञान हमें संरक्षण के महत्व की प्रेरणा देता है। यह ज्ञान हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।”

संविधान के मौलिक कर्तव्यों पर जोर:

धनखड़ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए की चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक मौलिक कर्तव्य है।

“चुनौतियों का सामना करते समय अधिकारों को पीछे छोड़कर कर्तव्यों को प्राथमिकता देना चाहिए। यह केवल संवैधानिक मार्गदर्शन नहीं, बल्कि हमारे जीवन का तरीका होना चाहिए।”

जिम्मेदारीपूर्ण उपभोग की अपील

उपराष्ट्रपति ने ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग पर बल दिया।

“हमारी वित्तीय ताकत हमें संसाधनों के असीम उपयोग का अधिकार नहीं देती। यह पूरी मानवता का दायित्व है कि हम ऊर्जा और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें।”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

इस अवसर पर विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक, विद्युत मंत्रालय के सचिव पंकज अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here