दिव्यांगजनों द्वारा संचालित स्टॉल्स और भारतीय पारंपरिक व्यंजन खींच रहे स्वाद के शौकीनों का ध्यान

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित 22वें दिव्य कला मेले ने दिल्लीवासियों को पाक कला का एक अनोखा अनुभव दिया। इंडिया गेट पर आयोजित इस मेले में भारतीय संस्कृति और स्वाद का अद्वितीय संगम देखने को मिला।

नई दिल्ली के इंडिया गेट पर 12 से 22 दिसंबर, 2024 तक आयोजित 22वें दिव्य कला मेले ने समावेशिता और सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस मेले का जीवंत फूड कोर्ट खास आकर्षण बना, जहां देश के विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

फूड कोर्ट में 20 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें से पांच स्टॉल दिव्यांगजनों द्वारा संचालित हैं। यह पहल न केवल उनकी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देती है, बल्कि दिव्यांगजनों के लिए आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का संदेश भी देती है। इन स्टॉल्स पर उत्तर प्रदेश की मुरैना की शाही गजक, दिल्ली के राम लड्डू, लिट्टी-चोखा, स्पाइरल आलू, मिट्टी कैफे के हर्बल व्यंजन और राजस्थान के मसालेदार गोलगप्पे जैसी स्वादिष्ट वस्तुएं उपलब्ध हैं।

समावेशिता और संस्कृति का उत्सव:
दिव्य कला मेले का फूड कोर्ट सिर्फ स्वाद का नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध पाक विरासत का भी उत्सव है। यह आयोजन ‘सशक्त दिव्यांगजन’ थीम पर आधारित है और इसे और खास बनाने के लिए दैनिक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

12 से 22 दिसंबर तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक चलने वाले इस मेले ने इंडिया गेट पर एक अनूठा माहौल तैयार किया है। आगंतुकों को यहां न केवल स्वाद का आनंद मिलता है, बल्कि वे सशक्तिकरण और प्रतिभा के इस उत्सव का भी हिस्सा बनते हैं।

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