वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर हुए क्षेत्र
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism – LWE) दशकों से एक गंभीर सुरक्षा समस्या रहा है। यह समस्या देश के दूरदराज और संसाधन-संपन्न इलाकों में जड़ें जमाए हुए थी, जहां विकास की गति धीमी थी। सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए सुरक्षा और विकास दोनों पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। हाल के वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या और हिंसा में भारी कमी आई है।
वामपंथी उग्रवाद का मौजूदा परिदृश्य
1. प्रभावित जिलों की संख्या:
2010 में वामपंथी उग्रवाद से 126 जिले गंभीर रूप से प्रभावित थे। अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर 38 रह गई।
- हिंसा में गिरावट:
- 2010 में 2,213 हिंसक घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2023 में घटकर 621 रह गईं।
- सुरक्षाबलों और नागरिकों की मौतों में 86% की कमी आई।
2. एनकाउंटर और सुरक्षा बलों की कार्रवाई:
सुरक्षा बलों द्वारा वामपंथी उग्रवादियों पर प्रभावी कार्रवाई की गई है।
- 2019 से 2023 के बीच 500 से अधिक माओवादी मारे गए।
- कई शीर्ष माओवादी नेताओं को गिरफ्तार किया गया या आत्मसमर्पण कराया गया।
- प्रमुख ऑपरेशन:
- डंडकारण्य ऑपरेशन (छत्तीसगढ़): सुरक्षाबलों ने बस्तर और सुकमा जैसे इलाकों में गहराई से प्रवेश किया।
- ओडिशा और झारखंड: इन राज्यों में माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में विशेष बलों ने सफल कार्रवाई की।
सरकार की बहुआयामी रणनीति
1. सुरक्षा पहल:
सुरक्षा बलों को बेहतर संसाधन, उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- फॉर्टिफाइड पुलिस स्टेशन: 250 से अधिक फॉर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए।
- केंद्रीय बलों की तैनाती:
- सीआरपीएफ, बीएसएफ, और आईटीबीपी की 50 से अधिक बटालियन तैनात।
- आधुनिक हथियारों और ड्रोन तकनीक का उपयोग।
- आसूचना साझाकरण: राज्य और केंद्र सरकारों के बीच बेहतर तालमेल।
2. विकास योजनाएं:
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास की गति तेज की गई।
- सड़क और कनेक्टिविटी:
- 14,529 किमी सड़क का निर्माण।
- 6,524 मोबाइल टावर लगाए गए।
- शिक्षा:
- 178 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)।
- 46 आईटीआई संस्थान।
- वित्तीय समावेशन:
- 5,731 डाकघर और 1,007 बैंक शाखाएं खोली गईं।
- 937 एटीएम स्थापित।
- कौशल विकास:
- 49 स्किल डेवलपमेंट सेंटर।
- स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण।
3. माओवादियों का पुनर्वास:
सरकार ने माओवादी कैडरों के लिए पुनर्वास योजनाएं शुरू कीं।
- आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वित्तीय सहायता।
- शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान किए गए।
माओवादियों के गढ़ पर चोट
1. बस्तर, छत्तीसगढ़:
बस्तर क्षेत्र को माओवादियों का मुख्य गढ़ माना जाता था।
- ऑपरेशन प्रहार:
- 2021 में यह ऑपरेशन शुरू किया गया।
- 100 से अधिक माओवादी मारे गए।
- सुरक्षाबलों ने यहां स्थायी कैंप स्थापित किए।
2. गढ़चिरौली, महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में माओवादियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया।
- 2022 में एक बड़े एनकाउंटर में 27 माओवादी मारे गए।
- यह कार्रवाई माओवादियों के लिए बड़ा झटका थी।
3. झारखंड और ओडिशा:
झारखंड और ओडिशा में सुरक्षा बलों ने कई सफल अभियान चलाए।
- पलामू, सरायकेला और सुंदरगढ़ जिलों में बड़े माओवादी गुटों को खत्म किया गया।
- इन राज्यों में माओवादी नेटवर्क को ध्वस्त किया गया।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर हुए क्षेत्र
पिछले 5 वर्षों में निम्नलिखित जिलों को वामपंथी उग्रवाद की सूची से बाहर कर दिया गया:
- आंध्र प्रदेश:
- पूर्व और पश्चिम गोदावरी, श्रीकाकुलम।
- बिहार:
- गया, जमुई, औरंगाबाद।
- झारखंड:
- बोकारो, धनबाद, रांची।
- ओडिशा:
- कोरापुट, संबलपुर।
- उत्तर प्रदेश:
- चंदौली, मिर्जापुर।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी
1. सामुदायिक पुलिसिंग:
सुरक्षाबलों ने स्थानीय लोगों को अपने साथ जोड़ा।
- गांवों में सिविक एक्शन प्रोग्राम।
- युवाओं को खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल किया।
2. जनजातीय युवाओं के लिए कार्यक्रम:
- ‘नेहरू युवा केंद्र संगठन‘ (NYKS) के माध्यम से जागरूकता अभियान।
- रोजगार और शिक्षा के लिए विशेष योजनाएं।
वामपंथी उग्रवाद के प्रमुख आंकड़े (2010-2023):
- हिंसक घटनाओं में कमी: 73%।
- मौतों में कमी: 86%।
- प्रभावित जिलों की संख्या: 126 से घटकर 38।
- विकास योजनाओं पर खर्च: ₹4,350.78 करोड़।
चुनौतियां और आगे की रणनीति
1. घने जंगल और दुर्गम इलाके:
माओवादियों के छिपने के लिए अभी भी कई इलाके सुरक्षित हैं।
2. शेष जिलों में फोकस:
- छत्तीसगढ़, झारखंड, और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में अभी भी हिंसा की घटनाएं हो रही हैं।
- इन क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा पर अधिक जोर देना होगा।
3. पुनर्वास और सामाजिक विकास:
- आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को समाज में शामिल करने के लिए विशेष कार्यक्रम।
- जनजातीय समुदायों का विश्वास जीतने की आवश्यकता।
सरकार ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी रणनीति अपनाकर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई, विकास योजनाएं, और सामुदायिक भागीदारी ने इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया है। हालांकि चुनौतियां अब भी मौजूद हैं, लेकिन वर्तमान नीतियां सही दिशा में हैं। यह प्रयास न केवल वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करेगा बल्कि प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।