बजट सत्र के दसवें दिन गुरूवार को संसद में हुआ हंगामा
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर भारतीय संसद में भारी विरोध और बहस हो रही है। सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हस्तक्षेप मान रहा है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह विधेयक क्या है, इसके प्रमुख प्रावधान क्या हैं, विपक्ष क्यों विरोध कर रहा है, और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की इसमें क्या भूमिका है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए लाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इस विधेयक में निम्नलिखित प्रमुख प्रावधान शामिल हैं:
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता – नए विधेयक के तहत वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
- वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण – वर्तमान में वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी सर्वेक्षण आयुक्त की होती है, लेकिन नए संशोधन के तहत यह जिम्मेदारी जिलाधिकारी (कलेक्टर) को दी जा रही है।
- राज्य सरकार की बढ़ती भूमिका – राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति और प्रबंधन में अधिक अधिकार दिए जा रहे हैं, जिससे प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ेगा।
- वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पुनः कब्जा – कई मामलों में देखा गया है कि वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे होते हैं। नए विधेयक के अनुसार, यदि कोई वक्फ संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करता है, तो सरकार उसे हटाने के लिए सख्त कार्रवाई कर सकेगी।
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विपक्ष का विरोध क्यों?
विपक्षी दल इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बता रहे हैं। उनके विरोध के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति – विपक्ष का कहना है कि वक्फ बोर्ड एक धार्मिक निकाय है और इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने से समुदाय की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
- प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ाना – विपक्षी दलों का तर्क है कि सर्वेक्षण आयुक्त की जगह कलेक्टर को जिम्मेदारी देने से सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा और राजनीतिक लाभ उठाने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
- विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग – विपक्ष चाहता था कि यह विधेयक जेपीसी के पास भेजा जाए ताकि इस पर और चर्चा की जा सके, लेकिन सरकार ने इसे सीधे पारित करने की कोशिश की, जिससे विवाद और बढ़ गया।
- वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंता – कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह विधेयक सरकार को वक्फ संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार देता है, जिससे मुस्लिम समुदाय को नुकसान हो सकता है।
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) क्या है?
संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) एक तदर्थ समिति होती है, जिसे किसी विशेष विधेयक या मुद्दे की गहन जांच करने के लिए गठित किया जाता है। जेपीसी से संबंधित प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
जेपीसी में कितने सदस्य होते हैं?
जेपीसी में सदस्यों की संख्या तय करने का अधिकार संसद के पास होता है। आमतौर पर इसमें 21 से 30 सदस्य होते हैं, जिनमें लोकसभा के सदस्य अधिक होते हैं और राज्यसभा के सदस्य कम होते हैं।
जेपीसी का कार्य क्या होता है?
- विधेयक या मुद्दे की जांच करना – समिति विधेयक के प्रावधानों की गहराई से जांच करती है और उसकी समीक्षा करती है।
- विशेषज्ञों से राय लेना – जेपीसी संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों और नागरिक संगठनों से राय ले सकती है।
- रिपोर्ट प्रस्तुत करना – समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर संसद में प्रस्तुत करती है।
- अनुशंसा देना – रिपोर्ट में अनुशंसा दी जाती है कि विधेयक में क्या बदलाव किए जाएं या इसे स्वीकार किया जाए।
जेपीसी की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं, लेकिन इनका राजनीतिक और विधायी महत्व काफी अधिक होता है।
विधेयक का संभावित प्रभाव
1. मुस्लिम समुदाय पर प्रभाव – विपक्ष को आशंका है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाएगा। हालांकि, सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा।
2. वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में बदलाव – गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से पारदर्शिता बढ़ सकती है, लेकिन इससे वक्फ बोर्ड के पारंपरिक ढांचे में भी बदलाव आएगा।
3. राजनीतिक असर – यदि विपक्ष इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाता है, तो यह आगामी चुनावों में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
4. प्रशासनिक सुधार – यदि विधेयक लागू हो जाता है, तो प्रशासन को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और प्रबंधन में अधिक अधिकार मिल जाएंगे, जिससे अवैध कब्जों पर कार्रवाई करना आसान हो सकता है।
निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर संसद में चल रहा विवाद यह दर्शाता है कि किसी भी धार्मिक या संवेदनशील मुद्दे पर विधायी परिवर्तन करते समय सभी पक्षों की राय को ध्यान में रखना आवश्यक है। जहां सरकार इसे प्रशासनिक सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन मान रहा है।
इस विधेयक को लेकर आगे क्या फैसला लिया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या यह विवाद आगे भी जारी रहेगा या सरकार और विपक्ष के बीच किसी समझौते पर सहमति बनेगी? यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
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