लालू को पकड़कर श्मशान घाट ले जाने लगे थे भूत
लालू ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में बताया है यह दिलचस्प किस्सा
लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनसे जुड़ी कई कहानियां तो ऐसी है कि जिसे सुनकर विश्वास भी नहीं होता। लालू ने अपनी जीवनी गोपालगंज से रायसीना में अपनी जिंदगी से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां बताई है। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको बता रहे हैं। एक बार लालू यादव का भूत से सामना हो गया। लालू के पिता तीन भाई थे। उनके एक भाई सूधन राय संन्यासी बन गए थे और शादी नहीं की। वह काली मां और स्थानीय देवता बरम बाबा की पूजा करते थे और लोगों के शरीर में घुस गए भूतों को भगाते थे। लालू जब भी कभी भात और मछली की बात करते थे, तो वह नाराज हो जाते और गालियां देने लगते।
लालू लिखते हैं कि एक बार उनका भूतों से सामना हुआ। यह गर्मियों की चमकदार पूर्णिमा की रात थी। घर के पीछे एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे बरम बाबा का अपना ठिकाना था। गांव के एक काका सोरठी बिरजाभार (भोजपुरी लोक प्रेमकथा) गा रहे थे और बरम बाबा के डेरे में रात्रिभोज के बाद घेरे में बैठकर लोग उन्हें सुन रहे थे। श्रोताओं में लालू भी शामिल था। लालू को चैता, बिरहा, होली, सोरठी और अन्य लोक गीत सुनना अच्छा लगता था और खुद लालू की मानें तो वो आज भी इन्हें सुनते हैं। क्योंकि ये आपको जड़ों से जोड़े रखते हैं। प्रस्तुति के दौरान वहीं चरम बामा के नजदीक गेहूं के पुआल के ढेर में लालू की नींद लग गई। लालू को पता ही नहीं चला कि कब काका ने गाना बंद कर दिया और अन्य ग्रामीण अपने घरों को चल दिए।
अचानक दो लड़कों ने लालू के दोस्तों का स्वांग भरकर उन्हें जगाया। वे लालू को अपने साथ ले जाना चाहते थे। लालू आधे नींद में थे। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। वे गांव के बाहर स्थित श्मशान की ओर बढ़ रहे थे और लालू आंखें मलते हुए उनके पीछे चल रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद लालू लघुशंका के लिए बैठ गए। वे दोनों लड़के नजदीक खड़े रहे, उनके सिर और चेहरे आधे ढके हुए थे। लालू जब पेशाब कर रहे थे तो तभी गांव के एक बुजुर्ग तपेसर बाबा वहां से गुजरे। उन्होंने तेज आवाज में पूछा कि कौन है। जवाब में लालू ने अपना नाम लिया। बाबा ने लालू से पूछा कि कहां जा रहे हो, आओ मेरे पास। चलो घर चलते हैं। लालू बिना कुछ सोचे उनके साथ चल दिए। इस बीच दोनों लडके भाग गए।
दोस्तों ने किया इंकार
अगले दिन सुबह लालू अपने उन दोस्तों से मिले, जो उन्हें श्मशान घाट लेकर जा रहे थे। लालू ने कारण पूछा तो दोस्तों ने बताया कि वो तो पूरी रात अपने घर में सो रहे थे। यह सुनकर लालू परेशान हो गए। भागे-भागे अपने तपेसर बाबा के पास गए। उन्होंने ने भी कहा कि रात में वो घर से बाहर नहीं निकले। पूरी रात घर पर ही थे। लालू को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। लालू घर गए और अपनी मां से सारी बात बताई। मां ने कहा कि ‘जो लोग तुम्हारे दोस्तों का स्वांग भरकर आए थे ये भूत थे। बरम बाबा ने तपेसर बाबा का रूप धारण कर तुमको बचाया। मेरे बेटे! बरम बाबा ने तुम्हें भूतों से बचाया, वरना वे तुम्हें श्मशान घाट ले जाकर मार भी सकते थे।’ उन्होंने मुझे बाबा बरम की प्रार्थना करने की सलाह दी। इसके बाद से आज तक जब कभी लालू अपने गांव जाते हैं तो बरम बाबा के सामने सिर जरूर झुकाते हैं।