हाइलाइट्स

  • दिल्ली अभिलेखागार विभाग दिल्ली के स्कूलों के इतिहास का दस्तावेज संरक्षित करेगा
  • सन 1835-36 में दिल्ली में नई शिक्षा व्यवस्था की गई थी लागू
  • दिल्ली के राॅय के नाम से मशहूर हकीम अजमल खां जादुई ढंग से इलाज करने के लिए थे प्रसिद्ध
  • सन 1858 में डिप्टी कमिश्नर ने 900 रुपये इक्टठा कर पहली बार ग‌र्ल्स स्कूल खोला

दिल्ली, यानी भारत का दिल। जिसका अतीत जितना संजोए जाने योग्य है वर्तमान उतना ही गौरवशाली। इंद्रप्रस्थ से लुटियंस दिल्ली तक के सफर में दिल्ली ने वक्त संग चलना, दौड़ना, गिरना और उठना सीखा है। कभी युद्ध में तोपों के वार से कराह उठी तो कभी जंग ए मैदान में खरोंची गई। लेकिन हर बार गंगा जमुनी तहजीब ने दिल्ली को संभाले रखा। और इस सभ्यता का भरण पोषण किया दिल्ली के स्कूलों ने। जहां छात्रों का ना केवल बौद्धिक विकास किया गया बल्कि उनका सामाजिक दायरा बढ़ाया गया। उन्हें दासता की जंजीरों को तोड़ने के लिए प्रेरित किया गया। शायद यही कारण था कि चाहे 1857 की क्रांति हो या फिर असहयोग आंदोलन दिल्ली में छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इन सब आंदोलनों का केंद्र बिंदू रहे दिल्ली के शैक्षणिक संस्थान। इन शैक्षणिक संस्थानों के इतिहास एवं उनसे जुड़ी कहानियों से छात्रों समेत दिल्लीवासियों को रूबरू कराने की येाजना बनाई है दिल्ली अभिलेखागार विभाग ने। गर्मी की छुट्टियों में दिल्ली के 11 जिलों में से प्रत्येक जिले में एक हफ्ते तक दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों, एतिहासिक घटनाओं के दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाएगी। यही नहीं दिल्ली हॉट में भी ऐतिहासिक दस्तावेजों के जरिए छात्रों समेत इतिहास प्रेमियों को रूबरू कराएगी। इस आर्टिकल में हम अभिलेखागार विभाग द्वारा चुने गए दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों के वैभव से रूबरू कराएंगे।

पाठ्यक्रम में शामिल हुई अंग्रेजी

सन 1835-36 में दिल्ली में नया एजुकेशन सिस्टम लागू किया गया। जिसके बाद अंग्रेजी पाठयक्रम में शामिल हुई। साथ ही फिजिक्स, गणित, भूगोल और जनरल साइंस भी शामिल किया गया। इसी समयावधि में ईस्ट इंडिया कंपनी ने दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए 2000 रुपये अनुदान जारी किए। चीफ कमिश्नर विलियम फ्रेजर ने 4 जमींदारी स्कूल खोला। इन दिनों अध्यापकों को पेंशन के रूप में गेंहू, चीनी समेत खाद्य पदार्थ भी दिए जाते थे।

दिल्ली के राय की जादुई शक्ति

हकीम अजमल खान ने तिब्बिया कॉलेज की स्थापना की। उनका ताल्लुक हकीमों के उस खानदान के साथ था जो प्रथम मुगल सुल्तान बाबर के साथ भारत आया था। उनके परिवार वाले कुशल यूनानी चिकित्सक थे और भारत में आगमन के बाद इसी कार्य में लिप्त थे। उस समय वे ‘दिल्ली के राय’ के नाम से मशहूर थे। हकीम अजमल खान 1892 में यूनानी चिकित्सा की शिक्षा पूरी करने के बाद रामपुर के नबाब का मुख्य चिकित्सक बन गए। धीरे-धीरे वे मशहूर होते गए और ऐसा माना जाने लगा कि उनके पास कोई दिव्य शक्ति है जो जादुई ढंग से लोगों का रोग ठीक कर देती है। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें चिकित्सा का इतना ज्ञान था कि वे सिर्फ मरीज की सूरत देखकर ये बता सकते थे कि उसे क्या बीमारी है। दिल्ली में अगर उनके पास कोई इलाज के लिए आता था तो वे उसका इलाज बिल्कुल मुफ्त करते थे। दस्तावेजों के जरिए इनके बारे में काफी कुछ लोगों को प्रदर्शनी में जानने को मिलेगा।

प्रत्येक जिले में लगेगी प्रदर्शनी

अभिलेखागार विभाग के अधिकारी ने बताया कि 12 शैक्षणिक संस्थानों को चुना गया है। संस्थानों से संबंधित दस्तावेजों को इक्टठा किया जा रहा है। गर्मी की छुट्टियों में प्रत्येक जिले में एक हफ्ते तक एक निश्चित स्थान पर प्रदर्शनी लगाई जाएगी। स्कूल प्रशासन से अनुरोध किया जाएगा कि वो छात्रों को इन प्रदर्शनी में ले आएं ताकि छात्र दिल्ली में शैक्षणिक संस्थानों के इतिहास से परिचित हो सकें। इतना ही नहीं स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में शैक्षणिक संस्थानों के माहौल, छात्रों के आजादी के आंदोलनों में योगदान समेत प्रारंभिक दौर में पढ़ाई के माहौल की भी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा आइएनए, जनकपुरी, पीतमपुरा स्थित दिल्ली हॉट में स्थायी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यहां भी छात्रों के लिए दस्तावेजों की प्रदर्शनी होगी।

बेटियों की फिक्र

सन 1858 में डिप्टी कमिश्नर ने 900 रुपये इक्टठा कर पहली बार ग‌र्ल्स स्कूल खोला। जिसमें शाही परिवार के बच्चे पढ़ते थे लेकिन महिला अध्यापकों की कमी के चलते स्कूल साल भर के अंदर ही बंद हो गया था। पुरानी दिल्ली में ग‌र्ल्स स्कूल खोलने का दूसरा प्रयास मिर्जा इलाही बख्श ने किया। इलाही बख्श ने शाह जी का छत्ता इलाके में 18588-59 में एक स्कूल खोला। लेकिन स्थानीय लोगों के सहयोग के अभाव में स्कूल एक साल के अंदर बंद हो गया। सन 1860 में लाहौर के एजुकेशन कांफ्रेस में वायसराय मायो ने पंजाब के हर जिले में एक ग‌र्ल्स स्कूल खोलने की घोषणा की थी। जिसके बाद दिल्ली, पंजाब में कई स्कूल खोले भी गए थे। लाला वजीर सिंह ने इस दिशा में विशेष प्रयास किए। इसके अलावा साहिब सिंह चौधरी, मथुरा दास, शिव प्रसाद सरकार, मौलवी जियादुद्दीन, मौलवी लतीफ हुसैन ने भी काफी प्रयास किए। बताशा वाली गली, निजामुद्दीन में कई स्कूल खुले। इनसे जुड़े दस्तावेज छात्रों को इनके संघर्ष की कहानी बताएंगे।

बंद होने की कगार पर पहुंचे कालेज को मिली संजीवनी

हिंदू कालेज की स्थापना 1899 में कृष्णा दास ने की थी। उन दिनों किनारी बाजार में एक मकान में कालेज चलता था। यहां देशभक्ति की अलख जगाई जाती थी। सन 1902 में पंजाब विश्व विद्यालय ने कालेज को कहा कि यदि जल्द अपनी बिल्डिंग नहीं बनी तो संबंद्धता खत्म कर दी जाएगी। जिसके बाद राय बहादुर लाला, सुल्तान सिंह ने कश्मीरी गेट स्थित अपनी प्रापर्टी दान की और भवन बनवाया था।

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दिल्ली में शैक्षणिक संस्थानों

1860-61–दिल्ली में नार्थ वेस्ट प्रोविंस के एजुकेशन सिस्टम को अपनाया गया। जिला, तहसील और गांवों में स्कूल खोलने की योजना बनी।

1862–अध्यापकों को ट्रेनिंग के लिए सामान्य स्कूल खोले गए।

1865–दिल्ली में मिशनरी इकाइयों द्वारा विक्टोरिया ग‌र्ल्स स्कूल खोला गया।

1870–अंग्रेजी-संस्कृति स्कूल।

1871-72–एंग्लो अरेबिक स्कूल।

1875-80 के बीच मिशनरी इकाइयों द्वारा कई स्कूल खोले गए। अधिकतर स्कूल सिर्फ छोटी कक्षाओं के लिए थे।

1877–दिल्ली में दरबार लगा, सरकारी कालेज बंद किया गया। कई को लाहौर कालेज से जोड़ा गया।

1881–सेंट स्टीफंस कालेज खुला।

1883–पहला इंडस्टि्रयल स्कूल खुला।

1889–तिब्बिया कालेज खुला।

1904–पहला हिंदू ग‌र्ल्स स्कूल खुला। इंद्रप्रस्थ ग‌र्ल्स स्कूल।

1912-13–क्वीन मेरी ग‌र्ल्स स्कूल, तीस हजारी।

1912-13–पहला मुस्लिम ग‌र्ल्स स्कूल, नोमानिया स्कूल खुला।

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-देहली विद्यार्थी संघ ने आजादी की लड़ाई के लिए युवाओं का आह्वान करते हुए 1938 में एक पंपलेट पूरे शहर में बंटवाया था। इस पर लिखा गया कि राष्ट्रीय जंग के लिए सैनिक तैयार की जरुरत है।

-नवंबर 1930 में नई दिल्ली स्थित एमबी हाईस्कूल के नौवीं के छात्रों ने शर्ट की बटन पर भगत सिंह और दत्त की फोटो लगा विरोध किया।

-नवंबर 1938 में न्यू रॉयल सिनेमा हाल में नाटक तय हुआ। आजादी के आंदोलनों में मदद के लिए पैसे इक्टठा किए गए।

-दिसंबर 1942 इरविन स्टेडियम में इंद्रप्रस्थ कालेज की छात्राओं महारानी के सामने नारेबाजी की।

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इन स्कूलों के दस्तावेजों की लगेगी प्रदर्शनी

-इंद्रप्रस्थ कालेज

-रामजस कालेज

-तिब्बिया कालेज

-मार्डन स्कूल

-सेंट जेवियर स्कूल

-सेंट कोलंबस स्कूल

-हिंदू कालेज

-सेंट स्टीफंस कालेज

-प्रजेंटेशन कांवेट स्कूल

-एंग्लो अरेबिक स्कूल

-दिल्ली कालेज आफ इंजीनियरिंग

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